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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत का पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन

  • 13 Jul 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये 

 क्रिप्टोगेमिक गार्डन (Cryptogamic Garden), जिम्नोस्पर्म, एंजियोस्पर्म, थैलोफाइटा,  ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा

मेन्स के लिये

 क्रिप्टोगेमिक गार्डन के स्थानीयकरण के कारक,  क्रिप्टोगेम का संक्षिप्त परिचय एवं वर्गीकरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के देहरादून के चकराता शहर में भारत के पहले क्रिप्टोगेमिक गार्डन (Cryptogamic Garden) का उद्घाटन किया गया।

  • गार्डन में लाइकेन, फर्न और कवक ( इनके सामूहिक रूप को  क्रिप्टोगेमिक के रूप में जाना जाता है) की लगभग 50 प्रजातियाँ दिखाई देगी। 

नोट: 

  • पादप समुदाय को दो उप-समुदायों में विभाजित किया जा सकता है- क्रिप्टोगेम (Cryptogams) और फेनरोगेम (Phanerogams)।
  • क्रिप्टोगेम में बीज रहित पौधे और पौधे जैसे जीव होते हैं, जबकि फेनरोगेम में बीज वाले पौधे होते हैं।

प्रमुख बिंदु 

इस उद्यान/गार्डन के स्थानीय कारक: 

  • यह उद्यान चकराता के देवबन में 9,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
  • इस क्षेत्र को इसके निम्न प्रदूषण स्तर और आर्द्र जलवायु परिस्थितियों के कारण चुना गया है जो इन प्रजातियों के विकास के लिये अनुकूल है।
  • इसके अतिरिक्त देवबन में देवदार और ओक के प्राचीन घने वन हैं जो क्रिप्टोगेमिक प्रजातियों के लिये एक प्राकृतिक आवास निर्मित करते हैं।

क्रिप्टोगेम (Cryptogams):

  • क्रिप्टोगेम एक पौधा है जो बीजाणुओं द्वारा प्रजनन करता है।
  • "क्रिप्टोगेम" शब्द का अर्थ है 'अदृश्य प्रजनन', इसका अभिप्राय यह है कि वे किसी भी प्रजनन संरचना, बीज या फूल का उत्पादन नहीं करते हैं।
  • इसी कारण इन्हें "फूल रहित" या "बीज रहित पौधे" या 'लोअर प्लांट'' कहा जाता है।
  • इन प्रजातियों के अनुकूलन हेतु आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
  • ये जलीय और स्थलीय दोनों  क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • क्रिप्टोगेम के सबसे प्रसिद्ध समूह शैवाल, लाइकेन, काई और फर्न हैं।

क्रिप्टोगेम का वर्गीकरण: क्रिप्टोगेम को पौधे के विभिन्न संरचनात्मक और कार्यात्मक मानदंडों के आधार पर 3 समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

  • थैलोफाइटा (Thallophyta): थैलोफाइटा पादप समुदाय का एक विभाजन है जिसमें पौधे के जीवन के प्राचीनतम रूप शामिल हैं जो एक सामान्य पौधे की संरचना को प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार के पौधों में जड़ों, तनों या पत्तियों की कमी होती है।
    • इसमें शैवाल जैसे स्पाइरोगाइरा(Spirogyra), सरगासम (Sargassum) आदि शामिल हैं।
    • ये मुख्य रूप से जलीय पौधे हैं तथा खारे और मीठे दोनों जल क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • ब्रायोफाइटा (Bryophyta): ब्रायोफाइट्स में सीमित प्रजाति के गैर-संवहनी भूमि के पौधे शामिल होते हैं। इन पौधों हेतु आर्द्र जलवायु अनुकूल होती  है लेकिन वे शुष्क जलवायु में भी जीवित रह सकते हैं। उदाहरण- हॉर्नवॉर्ट्स (Hornworts), हपैटिक्स (Liverworts), हरिता (Mosses) इत्यादि।
    • वे शैवाल और टेरिडोफाइट्स के बीच एक मध्यवर्ती स्थिति पर उगते है।
    • चूँकि ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर भी कहा जाता है क्योंकि ये भूमि और जल पर जीवित रह सकते हैं । 
  • टेरिडोफाइटा (Pteridophyta): टेरिडोफाइटा एक संवहनी पौधा है जो बीजाणुओं को फैलाता है। यह जाइलम और फ्लोएम वाला पहला पौधा है।
    • फर्न प्राचीनतम संवहनी पौधों का सबसे बड़ा जीवित समूह है।

क्रिप्टोगेम के अन्य प्रकार:

  • लाइकेन: लाइकेन एक मिश्रित जीव है जिसमें दो अलग-अलग जीवों, एक कवक और एक शैवाल के बीच पारस्परिक कल्याणकारी सहजीविता होती है। 
  • कवक: यह सामान्यत: बहुकोशिकीय यूकेरियोटिक जीवों का एक समुदाय है जो परपोषी होते  हैं।

Cryptogams

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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