भारत का पहला 24x7 सौर ऊर्जा संचालित गाँव | 12 Oct 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गाँव, ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट, रूफटॉप सोलर सिस्टम, बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS)। मेन्स के लिये:अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ और भारत की सौर ऊर्जा क्षमता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने गुजरात के मेहसाणा ज़िले के एक गाँव मोढेरा को भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गाँव घोषित किया।
भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गाँव:
- मोढेरा गाँव: मोढेरा अपने सूर्य मंदिर, संरक्षित प्राचीन स्थल के लिये प्रसिद्ध है, जो पुष्पावती नदी पर स्थित है। इसे चालुक्य वंश के राजा भीम प्रथम ने 1026-27 इस्वी में बनवाया था।
- मंदिर में 3-डी प्रोजेक्शन सुविधा मिलेगी जो पर्यटकों को मोढेरा के इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करेगी।
- सौर ऊर्जा उत्पादन: सौर ऊर्जा उत्पादन में सौर ऊर्जा गाँव आत्मनिर्भर होगा, क्योंकि यह गाँव के घरों पर लगाए गए 1000 सौर पैनलों का उपयोग करेगा, जिससे ग्रामीणों के लिये चौबीसों घंटे बिजली पैदा होगी।
- इसे ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट और आवासीय एवं सरकारी भवनों पर 1300 से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम के माध्यम से विकसित किया गया है, जो सभी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) के साथ एकीकृत हैं।
- BESS एक प्रकार की ऊर्जा भंडारण प्रणाली है जो बिजली के रूप में ऊर्जा को स्टोर और वितरित करने के लिये बैटरी का उपयोग करती है।
- इसे ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट और आवासीय एवं सरकारी भवनों पर 1300 से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम के माध्यम से विकसित किया गया है, जो सभी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) के साथ एकीकृत हैं।
- लाभ:
- यह परियोजना प्रदर्शित करेगी कि कैसे भारत की अक्षय ऊर्जा कौशल ज़मीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बना सकती है।
- गाँव के लोग बिजली के लिये भुगतान नहीं करेंगे, बल्कि वे इसे बेचना शुरू कर सकते हैं और सौर पैनल द्वारा उत्पादित ऊर्जा को सरकारी ग्रिड को बेचकर धन कमा सकते हैं।
- यह परियोजना ग्रामीण स्तर पर रोज़गार पैदा करेगी और अंततः जीवन स्तर में सुधार होगा।
- इससे क्षेत्र में विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाओं के सतत् कार्यान्वयन को बढ़ावा मिलेगा।
- क्षेत्र के निवासी अपने बिजली बिलों का 60-100% बचा सकेंगे।
- इससे उन ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों के कठिन परिश्रम में कमी आएगी जो लंबी दूरी से ईंधन की लकड़ी के संग्रह करने और रसोई में खाना पकाने में लगी हुई हैं।
- यह फेफड़ों और आँखों की बीमारियों के जोखिम को भी कम करेगा।
- यह परियोजना प्रदर्शित करेगी कि कैसे भारत की अक्षय ऊर्जा कौशल ज़मीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बना सकती है।
भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति:
- परिचय: पिछले 8 वर्षों में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में 19.3 गुना वृद्धि हुई है और यह 56.6 GW है।
- इसके अलावा भारत ने वर्ष 2022 के अंत तक 175 गीगावाट (GW) अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अक्षय ऊर्जा के लिये दुनिया की सबसे बड़ी योजना है।
- भारत नई सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में एशिया में दूसरा और विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है। यह पहली बार जर्मनी (59.2 GW) को पछाड़ते हुए कुल स्थापित क्षमता (60.4 GW) के क्षेत्र में चौथे स्थान पर है।
- जून 2022 तक राजस्थान और गुजरात बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले शीर्ष राज्य थे, जिनकी स्थापित क्षमता क्रमशः 53% एवं 14% थी, इसके बाद महाराष्ट्र (9%) का स्थान है।
- संबंधित पहलें:
- सौर पार्क योजना: सौर पार्क योजना कई राज्यों में लगभग 500 मेगावाट (MW) क्षमता वाले कई सोलर पार्क बनाने की योजना है।
- रूफटॉप सौर योजना: रूफटॉप सौर योजना का उद्देश्य घरों की छत पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का दोहन करना है।
- अटल ज्योति योजना (अजय): अजय योजना सितंबर 2016 में उन राज्यों में सौर स्ट्रीट लाइटिंग (SSL) प्रणाली की स्थापना के लिये शुरू की गई थी, जहाँ 50% से कम घरों में ग्रिड आधारित बिजली का उपयोग शामिल है (2011 की जनगणना के अनुसार)।
- राष्ट्रीय सौर मिशन: यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा चुनौती को संबोधित करते हुए पारिस्थितिक रूप से सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार और राज्य सरकारों की एक प्रमुख पहल है।
- सृष्टि योजना: भारत में रूफटॉप सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिये सोलर ट्रांसफिगरेशन ऑफ इंडिया (सृष्टि) योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
भारत में सौर ऊर्जा से संबंधित चुनौतियाँ:
- आयात पर अधिक निर्भरता: भारत के पास पर्याप्त मॉड्यूल और PV सेल निर्माण क्षमता का अभाव है।
- वर्तमान सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता प्रतिवर्ष 15 GW तक सीमित है, जबकि घरेलू उत्पादन केवल 3.5 GW के आसपास है।
- इसके अलावा मॉड्यूल निर्माण क्षमता के 15 GW में से केवल 3-4 GW मॉड्यूल तकनीकी रूप से प्रतिस्पर्द्धी और ग्रिड-आधारित परियोजनाओं में परिनियोजन के योग्य हैं।
- वर्तमान सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता प्रतिवर्ष 15 GW तक सीमित है, जबकि घरेलू उत्पादन केवल 3.5 GW के आसपास है।
- कच्चे माल की आपूर्ति: सिलिकॉन वेफर, सबसे महँगा कच्चा माल है, जो भारत में निर्मित नहीं होता है।
- यह वर्तमान में 100% सिलिकॉन वेफर्स और लगभग 80% सेल का आयात करता है।
- इसके अलावा विद्युत प्रवाह के लिये चाँदी और एल्युमीनियम धातु के पेस्ट जैसे अन्य प्रमुख कच्चे माल का भी लगभग 100% आयात किया जाता है।
- यह वर्तमान में 100% सिलिकॉन वेफर्स और लगभग 80% सेल का आयात करता है।
- सौर PV सेल की अक्षमताएँ: उपयोगिता-पैमाने पर सौर PV क्षेत्र को भूमि की लागत, उच्च पारेषण और वितरण हानि एवं अन्य अक्षमताओं व ग्रिड एकीकरण की समस्या जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- जैवविविधता से संबंधित मुद्दे: स्थानीय समुदायों और जैवविविधता संरक्षण मानदंडों के मामले में भी संघर्ष की स्थिति है।
- मूल्य निर्धारण का मुद्दा: हालाँकि भारत ने उपयोगिता-पैमाना सेक्टर में कम लागत में सौर ऊर्जा उत्पादन का रिकॉर्ड स्थापित किया है, इसके परिणामस्वरूप भी अंतिम उपयोगकर्त्ताओं के लिये बिजली की कीमतों में कमी नहीं आई है।
आगे की राह
- भारत सौर फोटोवोल्टिक (PV) मॉड्यूल के निर्माण में काफी प्रगति कर रहा है, लेकिन इसे एक विनिर्माण केंद्र बनने के लिये और अधिक नीतिगत उपायों की आवश्यकता होगी। अल्पावधि में, इसमें उचित परीक्षण के माध्यम से प्रशिक्षित श्रम, प्रक्रिया को सीखने और मूल कारणों का विश्लेषण प्रदान करने के लिये उद्योग के साथ सहयोग करना शामिल हो सकता है, तथा दीर्घावधि में यह भारत में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायक हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: a
मेन्स:प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय विविधताएँ हैं। विस्तृत चर्चा कीजिये। (2020) |