भारतीय अर्थव्यवस्था
इंडिया फिनटेक रिपोर्ट 2019
- 27 Mar 2019
- 3 min read
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में वैश्विक फिनटेक निरीक्षण मंच, मेडिसी (Medici) और ज़ोन स्टार्टअप्स (Zone Startups) द्वारा जारी की गई ‘इंडिया फिनटेक रिपोर्ट 2019’ के अनुसार, देश में 338 ऑनलाइन ऋण प्रदाता स्टार्टअप है। जो घरेलु उपभोक्ताओं के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र को भी लक्षित कर रहे है।
मुख्य बिंदु
- ‘इंडिया फिनटेक रिपोर्ट’ (India Fintech Report) के अनुसार, डिजिटल ऋण प्रदाता कंपनियों (फिनटेक कंपनियों) का वर्तमान योगदान 23% है जिसके वर्ष 2023 तक 48% होने का अनुमान है।
- पारंपरिक ऋण प्रदाता (बैंक व अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ) कुल आवेदित ऋणों का 25% से 40% तक ही ऋण उपलब्ध करवा पाते हैं, वहीं फिनटेक कंपनियाँ ऋण मूल्यांकन के लिये अधिक डाटा जैसे लेन-देन व्यवहारों, एप आधारित डेटा, अवस्थिति सूचना, सामाजिक डेटा आदि तक पहुँच के कारण इस सीमा का 10% से 15% तक विस्तार करने के उद्देश्य के साथ बाज़ार के लिये बड़ा अवसर उपलब्ध करवा सकती हैं।
- फिनटेक ऋण सेवाएँ शहरी उपभोक्ताओं को प्रमाणपत्रों के सत्यापन की दीर्घ प्रक्रिया से मुक्त करने के साथ ही ग्रामीण ऋण आवेदकों को भी वैकल्पिक ऋण तंत्र तक पहुँच प्रदान करेगी जो उन्हें साहूकारों के जाल में फँसने से बचाएगा।
- फिनटेक ऋण सेवा उन 300 मिलियन घरेलू उपभोक्ताओं तक ऋण बाज़ार की पहुँच उपलब्ध करवाएगी जिनकी बैंक तक पहुँच नहीं है। इसलिये विभिन्न उपयोगों के लिये मूल्यांकन हेतु पहचान प्रमाणीकरण, क्रेडिट स्कोर, नौकरी पात्रता व अन्य सामाजिक डेटा का संग्रह निकट भविष्य में अधिक ध्यान आकर्षित करेगा।
- फिनटेक ऋण सेवाओं की उच्च ब्याज दर और गैर-निष्पादित संपत्तियों के आँकड़ों का अभाव इस ऑनलाइन ऋण तंत्र की प्रमुख चुनौती है।
अन्य संबंधित बिंदु
- पूर्व में रिज़र्व बैंक ऑनलाइन पीयर-टू-पीयर ऋण प्लेटफॉर्म को एन.बी.एफ.सी. की मान्यता प्रदान कर चुका है। यह प्लेटफॉर्म ऑनलाइन मध्यवर्ती संस्था के रूप में ऋण सुविधा सेवाओं को उपलब्ध करवाता है जिसमें ऋण प्रदाता व प्राप्तकर्त्ता दोनों एक ही प्लेटफॉर्म पर होते हैं।
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