अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत इज़रायल संबंधो में सुधार की उम्मीद
- 03 Jan 2017
- 4 min read
सन्दर्भ
हाल ही में, अमेरिकी जेविश समिति के माध्यम से कहा गया है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के अंतर्गत भारत-इज़राइल संबंधों में सुधार की सम्भावनाओं को बल मिलेगा| समिति के मुताबिक, नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा पहले से ही भारत-इज़राइल संबंधो में सुधार के प्रयास हो रहे हैं तथा आगे की परिस्थितियाँ और भी अनुकूल नज़र आ रही हैं|
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- अमेरिकी जेविश समिति ने इस बात पर बल दिया है कि अमेरिका, भारत और इज़राइल मिलकर परस्पर संबंधो को नई ऊँचाईयों पर ले जाएंगे|
- दरअसल, अरब देशों और फिलिस्तीन के संबंध में भारत की एक स्पष्ट विदेश नीति है, साथ ही इज़रायल के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं, जिन्हें वह और आगे बढ़ाना चाहता है।
- भारत की विदेश नीति स्पष्ट है कि उसे साझेदार चाहिये और इज़रायल के रुप में उसे एक भरोसेमंद सहयोगी मिला हुआ है। खास बात यह है कि दोनों देशों के रिश्ते में किसी बाहरी तत्त्व का हस्तक्षेप नहीं है।
- जहाँ तक उपकरणों की खरीद का सवाल है, भारत-इज़रायल संबंध केवल रक्षा खरीदार और विक्रेता भर तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि दोनों देश हमेशा से बाह्य आक्रमण के भुक्तभोगी रहे हैं| अतः रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र में दोनों की साझेदारी एक-दूसरे की ज़रूरत है।
- गौरतलब है कि भारत को नए रक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के संबंध में कोई नया घटनाक्रम सामने नहीं आया है, लेकिन इज़रायल का कहना है कि वह भारत को तमाम रक्षा उपकरण (जिनकी भारत को ज़रूरत है) देने के लिये राजी है।
निष्कर्ष
- ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप-मोदी और नेतान्याहू द्वारा वैश्विक कूटनीति में एक नया गठबंधन देखने को मिलेगा| तीनों देशों के नागरिकों के आपसी स्तर पर विशेष संबंध हैं और वर्तमान वैश्विक परिस्थितियाँ इन रिश्तों को नए आयाम दे सकती हैं|
- गौरतलब है कि पिछले ढाई साल में भारत-इज़रायल संबंध काफी बेहतर हुए हैं, लेकिन मौजूदा सरकार के दौरान संबंध सापेक्ष तौर पर दिख रहे हैं। दोनों देशों के नेतृत्व की राजनीतिक इच्छा शक्ति द्विपक्षीयसहयोग को बढ़ाने को लेकर पहले की तुलना में इस समय कहीं ज़्यादा है।
- निःसंदेह भारत और इज़राइल के व्यावसायिक संबंधों में भी अभूतपूर्व बढोतरी हुई, लेकिन कृषि क्षेत्र में सहयोग सराहनीय नहीं है। ध्यान देने वाली बात है कि पानी की कमी और विकट चुनौतियाँ होने के बावजूद भी इज़रायल ने तकनीकी विकास के माध्यम से फसल उत्पादन के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया है। भारतीय किसानों को इज़रायली तकनीक का लाभ मिल सके, इसके लिये भारत और इज़राइल को परम्परागत समझौतों से इतर कृषि के तकनीकी विकास से संबंधित समझौतों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है|