भारत की वृद्धि दर वर्ष 2018 में 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना | 19 Apr 2018
चर्चा में क्यों?
आईएमएफ के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था 2018 में 7.4 प्रतिशत और 2019 में 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर वर्ष 2018 में 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था 6.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकती है, भारत की वृद्धि दर चीन से अधिक हो सकती है क्योंकि जीएसटी जैसे सुधार ने आंतरिक व्यापार बाधाओं को कम करने में सहायता की है।
- आईएमएफ के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की 2018 में 7.4 प्रतिशत और 2019 में 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है, जबकि भारत का निकटतम प्रतिद्वंद्वी चीन 2018 में 6.6 प्रतिशत और 201 9 में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है।
- भारत कुछ कारकों “one-off factors” के कारण 2017 की दूसरी तिमाही में गिरने के बाद तेज़ी से बढ़ने भी लगा है।
- आईएमएफ के अनुसार भारत 2018 और 2019 में विश्व की तेज़ी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर सामने आएगा।
- हालाँकि, नवीनतम आईएमएफ विकास दर का अनुमान अक्तूबर के बाद से ही अपरिवर्तित बना हुआ है।
- 2016 में चीन की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत के मुकाबले भारत की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत थी।
- 2017 में किये गए दो प्रमुख आर्थिक सुधारों विमुद्रीकरण (demonetization) तथा वस्तु और सेवा कर (goods and services tax) के कारण वृद्धि दर में मामूली कमी होकर यह 6.7 प्रतिशत रही।
- चीन 6.9 प्रतिशत विकास दर के साथ 2017 में भारत से थोड़ा सा आगे था।
- विश्व आर्थिक आउटलुक के अनुसार भारत अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष में मुद्रा विनिमय के संदर्भ में की गई पहलों, राष्ट्रीय वस्तु और सेवा कर के कार्यान्वयन के प्रभाव और निजी खपत में वृद्धि से नवीनतम पूर्वानुमान अपरिवर्तित रहे हैं।
- आईएमएफ के मुताबिक, भारत ने हाल ही में काफी संरचनात्मक सुधार किये हैं। जीएसटी के कार्यान्वयन के माध्यम से, व्यापार में आंतरिक बाधाओं को कम करके दक्षता में वृद्धि करने का प्रयास किया गया है। इससे कर अनुपालनों में सुधार हुआ है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मध्यम अवधि के विकास की काफी अधिक संभावनाएँ हैं, हालाँकि एक महत्वपूर्ण चुनौती विकास की समग्रता (समग्र विकास) को बढ़ाना है।
- भारत में बढ़ते उच्च सार्वजनिक ऋण और बजट घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में प्राप्त असफलता के कारण मध्यम अवधि में राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की मांग बढ़ी है ताकि राजकोषीय नीति की विश्वसनीयता को मज़बूती प्रदान कर मध्यम अवधि में राजकोषीय समेकन को सुनिश्चित किया जा सके।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, रोज़गार सृजन को मुख्य प्राथमिकता प्रदान करते हुए, श्रम बाजार कठोरता को कम करना, बुनियादी ढाँचे की बाधाओं को कम करना और शैक्षणिक परिणामों में सुधार करना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनसांख्यिकीय लाभांश बर्बाद न हों।
- विश्व आर्थिक आउटलुक के अनुसार , पिछले साल चीन और भारत में वृद्धि क्रमशः शुद्ध निर्यात में वृद्धि और मज़बूत निजी खपत द्वारा समर्थित थी, जबकि दोनों अर्थव्यवस्थाओं में निवेश वृद्धि की दर बहुत ही धीमी रही।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund - IMF)
- आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की कल्पना पहली बार वर्ष 1944 में सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।
- इस सम्मेलन का आयोजन सयुंक्त राज्य अमेरिका के न्यू हेम्पशायर शहर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर किया गया था।
- ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक के गठन की भी कल्पना की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक विश्व बैंक की महत्त्वपूर्ण संस्था है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक को प्राय सयुंक्त रूप से ब्रेटन वुड्स के जुड़वाँ (Bretton woods twins) के नाम से जाना जाता है।
- ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के निर्णयानुसार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की औपचारिक स्थापना 27 दिसम्बर, 1945 को सयुंक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन शहर में हुई थी, लेकिन इसने वास्तविक रूप से 01 मार्च, 1947 से कार्य करना प्रारंभ किया।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. संयुक्त राज्य अमेरिका में है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के वर्तमान में 189 सदस्य हैं। नौरू गणराज्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य बनने वाला आखिरी (189वाँ) देश है।
- क्रिस्टीन लेगार्ड (Christine Lagarde) वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक है। इसके प्रथम प्रबंध निदेशक कैमिल गट्ट (Camille Gutt) थे।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी को कम करना, रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।
- यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के संस्थापक सदस्यों में से एक है, यह 27 दिसंबर, 1945 को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल हुआ।