सार्क समूह की पहल से पाकिस्तान बाहर | 06 Jan 2018
चर्चा में क्यों ?
भारत ने पाकिस्तान को सार्क सदस्य देशों की उस सूची से बाहर कर दिया है, जिन्हें भारत अपनी अत्याधुनिक राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (National Knowledge Network-NKN) परियोजना से जोड़ना चाहता है।
प्रमुख बिंदु
- सीमा-पार आतंकवादी हमलों के कारण भारत द्वारा लम्बे समय से आधिकारिक वार्ता को निलंबित किया जाता रहा। इससे स्पष्ट है कि भारत-पाक संबंधों में तनाव का विस्तार अब अनुसंधानात्मक गतिविधियों तक भी हो गया है।
- भारत सरकार ने एक दूरसंचार कंपनी की नियुक्ति की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है जिसे NKN को छह सार्क देशों-अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के शोध और शिक्षा नेटवर्क तक विस्तार करने के लिये नियुक्त किया जाना था। पाकिस्तान ही एकमात्र सार्क राष्ट्र है जिसे इस पहल से बाहर रखा गया है।
राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (National Knowledge Network)
- यह एक अखिल भारतीय मल्टी-गीगाबिट नेटवर्क है जो भारत में कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और अनुसंधान को बढ़ावा देता है तथा अगली पीढ़ी की एप्लीकेशन्स और सेवाओं के निर्माण में सहायता देता है।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre-NIC) इसे लागू करने वाली एजेंसी है।
- 2010 में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क की स्थापना के साथ ही इसे 10 साल की अवधि के लिये शुरू किया गया था।
- वर्तमान में इसे डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत ही क्रियान्वित किया जा रहा है।
- परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान में अग्रणी मिशन उन्मुख एजेंसियां भी NKN का हिस्सा हैं।
उद्देश्य
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का उद्देश्य ज्ञान बाँटने और सहयोगात्मक अनुसंधान की सुविधा के लिये एक उच्च गति डेटा संचार नेटवर्क के साथ उच्च शिक्षा और शोध के सभी संस्थानों को आपस में जोड़ना है।
- इस नेटवर्क के तहत, यह प्रस्ताव है कि लगभग 1500 संस्थानों के लिये 2-3 साल की समयावधिमें कोर और संबद्ध लिंक स्थापित किए जाएंगे।
आवश्यकता क्यों?
- इसकी परिकल्पना सभी उच्च अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्रों को जोड़ने और विज्ञान, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, प्रशासन आदि शीर्षों से सभी हितधारकों को एक साथ लाकर एक साझे मंच का निर्माण करने के लिये की गई है।
- राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की विचारधारा के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान के प्रसार और निर्माण में लगी संस्थाओं जैसे- अनुसंधान प्रयोगशलाएं, विश्वविद्यालय, प्रोफेशनल संस्थान और उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों की क्षमता का उपयोग करने के लिये एक उच्च गति ब्रॉडबैंड नेटवर्क के माध्यम से इन सभी को कनेक्ट करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- यह विभिन्न शैक्षणिक नेटवर्कों जैसे TEIN4, गरुड़(GARUDA), CERN और इंटरनेट 2(Internet2) के शोधकर्त्ताओं के बीच सहयोग को सक्षम करता है। यह दूरस्थ उन्नत अनुसंधान सुविधाओं तक पहुँच और वैज्ञानिक डेटाबेस को साझा करने की योजना को संभव बनाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी (International connectivity)
- भारत ने NKN को सार्क देशों में वैश्विक अनुसंधान और शिक्षा नेटवर्क तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है।
- NKN को अब निम्नलिखित तरीकों से जोड़ा जाएगा-
⇒ अफगानिस्तान से दिल्ली या मुंबई
⇒ बांग्लादेश से कोलकाता या दिल्ली
⇒ भूटान से कोलकाता या दिल्ली
⇒ नेपाल से कोलकाता या दिल्ली
⇒ मालदीव से चेन्नई या मुंबई
⇒ श्रीलंका से चेन्नई या मुंबई - NKN को चलाने के लिये एक अत्याधुनिक प्रबंधन केंद्र और नेटवर्क संचालन केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।
- इस अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी के लिये अफगानिस्तान, मालदीव और श्रीलंका का भारत से कनेक्शन एक सबमरीन केबल के माध्यम से होगा।
- विभिन्न महत्वपूर्ण और उभरते हुए क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये NKN ने जिनेवा, एम्स्टर्डम और सिंगापुर में अपने अन्तराष्ट्रीय पॉइन्ट्स-ऑफ-प्रजेंस (PoP) स्थापित किये है और जल्द ही न्यूयॉर्क में भी एक PoP स्थापित करने की योजना है।
सार्क संबंधी सामान्य जानकारी
- सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है।
- इस समूह में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं| 2007 से पहले सार्क के सात सदस्य थे, अप्रैल 2007 में सार्क के 14वें शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान इसका आठवाँ सदस्य बन गया था।
- सार्क की स्थापना 8 दिसंबर, 1985 को हुई थी और इसका मुख्यालय काठमांडू (नेपाल) में है।
- सार्क का प्रथम सम्मेलन ढाका में दिसंबर 1985 में हुआ था।
- प्रत्येक वर्ष 8 दिसंबर को सार्क दिवस मनाया जाता है।
- संगठन का संचालन सदस्य देशों के मंत्रिपरिषद द्वारा नियुक्त महासचिव करते हैं, जिसकी नियुक्ति तीन साल के लिये देशों के वर्णमाला क्रम के अनुसार की जाती है.