विश्व में भारत दूसरा सबसे बड़ा स्क्रैप आयातक | 08 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
दक्षिण कोरिया को पछाड़ते हुए भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्क्रैप (Scrap) आयातक बन गया है।
प्रमुख बिंदु :
- भारत में स्क्रैप आयात वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में 35% से बढ़कर 3.87 मिलियन टन तक पहुँच गया है।
- यह दर्शाता है कि भारत में कुशल धातु रीसाइक्लिंग सुविधाओं और प्रौद्योगिकी की कमी के कारण इस्पात के आंतरिक स्क्रैप (भारत में ही मौजूद स्क्रैप, जो पुराने वाहनों और मशीनों से उत्पन्न होता है) का उपयोग नहीं हो रहा है।
- भारतीय घरेलू इस्पात उद्योग में मंदी और आयातित स्क्रैप धातुओं की सस्ती कीमत के कारण भारत दूसरा सबसे बड़ा स्क्रैप आयातक बन गया।
- हालाँकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत के आंतरिक स्क्रैप बाज़ार में भी अपार संभावनाएँ हैं। उदाहरण के लिये एक अनुमान के मुताबिक, भारत में वर्ष 2025 तक लगभग 22 मिलियन अप्रचलित वाहन होंगे (वर्तमान में यह संख्या 8.7 मिलियन है)।
- लेकिन अभी तक भारत में स्क्रैपिंग और रीसाइक्लिंग के संदर्भ में नियमों का अभाव है, जो इस क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा है।
- इस प्रकार भारत को एक व्यापक धातु रीसाइक्लिंग और स्क्रैपिंग नीति की आवश्यकता है ताकि भारत के आंतरिक स्क्रैप बाज़ार का सुव्यवस्थित विकास हो सके।
- सरकार ऑटोमोबाइल उद्योग में आंतरिक स्क्रैप जुटाने को प्रोत्साहित कर सकती है। उदाहरण के लिये यदि कार का खरीदार अपनी पुरानी कार को स्क्रैप करने के लिये दे देता है तो सरकार उसे नई कार के पंजीकरण शुल्क में छूट दे सकती है।
आंतरिक स्क्रैप का उपयोग करने के लाभ :
- यह भारत के व्यापार संतुलन में सुधार करेगा।
- आंतरिक स्क्रैप को जुटाने से प्लास्टिक, रबर, कांच, कपड़े, धातु उद्योग और प्रौद्योगिकी क्षेत्र जैसे वर्चस्व वाले उद्योगों में रीसाइक्लिंग से लाखों लोगों को रोज़गार मिलेगा।
तुर्की अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा रिसाइकिलर और स्क्रैप आयातक बना हुआ है।