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अमेरिका के खिलाफ़ भारत पहुँचा WTO

  • 21 May 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

9 मार्च को अमेरिका द्वारा आयातित एल्युमिनियम और स्टील पर भारी शुल्क लगाया गया था। अब भारत ने इस मामले को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के विवाद निस्तारण तंत्र के समक्ष उठाया है। भारत का कहना है कि अमेरिका द्वारा इस प्रकार शुल्क लगाया जाना वैश्विक कारोबारी नियमों के विपरीत है।

क्या है पूरा मामला?

  • अमेरिका द्वारा गत 9 मार्च को स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्युमिनियम पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का फैसला लिया गया था।
  • अमेरिका ने यह शुल्क कनाडा और मैक्सिको को छोड़कर बाकी सभी देशों से आयातित एल्युमिनियम तथा स्टील पर लगाया था।
  • अमेरिका की इस घोषणा से पूरे विश्व में ट्रेड वॉर की आशंका पैदा हो गई है।
  • भारत ने अमेरिका से इस भारी शुल्क से छूट देने की माँग की थी।
  • अमेरिका के इस कदम का जवाब देते हुए चीन ने भी अमेरिका के कई उत्पादों पर शुल्क लगा दिया था।

दोनों देशों के बीच व्यापार

  • भारत से अमेरिका को हर साल लगभग 1.5 अरब डॉलर के स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों का निर्यात किया जाता है।
  • वर्ष 2016-17 में भारत से अमेरिका को किया जाने वाला कुल निर्यात 42.21 अरब डॉलर जबकि कुल आयात 22.3 अरब डॉलर का था।

आगे की राह

अमेरिका का यह फ़ैसला न केवल भारत द्वारा किये जाने वाले इन वस्तुओं के निर्यात को बल्कि वैश्विक कारोबार को भी प्रभावित करेगा। हालाँकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के खिलाफ़ WTO में जाना, भारत के हित में नहीं होगा क्योंकि अमेरिका के साथ भारत का व्यापार सरप्लस की स्थिति में है।

ट्रेड वॉर क्या है?

ट्रेड वॉर या व्यापार की लड़ाई संरक्षणवाद का परिणाम है। ट्रेड वॉर की स्थिति तब उत्पन्न होती हैं, जब एक देश दूसरे देश के साथ किये जाने वाले व्यापार पर शुल्क में वृद्धि करता है और दूसरा देश इसके जवाब में ऐसा ही करता है। दो देशों के बीच शुरू हुए इस प्रकार के ट्रेड वॉर से धीरे-धीरे विश्व के कई देशों के बीच व्यापारिक तनाव का माहौल उत्पन्न हो सकता है।

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