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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दासता रिपोर्ट की वास्तविकता क्या है?

  • 06 Oct 2017
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया स्थित वॉक फ्री फाउंडेशन (Walk Free Foundation - WFF) द्वारा ‘आधुनिक गुलामी’ (modern slavery) के संबंध में एक अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इस रिपोर्ट में भारत  को उल्लिखित न किये जाने के संबंध में भारत द्वारा आईएलओ (International Labour Organisation - ILO) के समक्ष नाराज़गी व्यक्त की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय श्रम मंत्रालय ने आईएलओ को 'आधुनिक दासता के वैश्विक अनुमान’ (Global Estimates of Modern Slavery: Forced Labour and Forced Marriage 2017) नामक रिपोर्ट के संबंध में पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा है।
  • ध्यातव्य है कि इस रिपोर्ट को 19 सितंबर को जारी किया गया था। 
  • वस्तुतः यह पत्र इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) द्वारा भारत में दासता के संबंध में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा जारी दस्तावेज़ों के बारे में सरकार को प्रदत्त एक राजनीतिक संदेश के उपरांत लिखा गया है।
  • भारत में दासता की स्थिति के विषय में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा जारी जानकारियों से जहाँ एक ओर वैश्विक स्तर पर भारत की छवि धूमिल होगी, वहीं दूसरी ओर इससे देश को निर्यात में भी नुकसान हो सकता है।

पत्र में किन-किन रिपोर्टों का उल्लेख किया गया है?

  • आईबी द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय एवं श्रम मंत्रालय को प्रदत्त पत्र में निम्नलिखित रिपोर्टों का उल्लेख किया गया है – 

♦ दासता के समकालीन रूपों पर वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र के विशेष संवाददाता की रिपोर्ट, जिसमें दासता के कारणों और परिणामों को भी शामिल किया गया था।
♦  वर्ष 2015 में जबरन श्रम के संबंध में सुझावों एवं सम्मेलनों के अनुपालन हेतु आईएलओ के विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट। 
♦  वर्ष 2016 में प्रस्तुत ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स। 
♦  2017 की आईएलओ-डब्ल्यूएफएफ की संयुक्त रिपोर्ट।

अध्ययन की प्रमाणिकता पर संदेह 

  • भारत द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि न तो इस प्रकार के किसी अध्ययन से पहले केंद्र सरकार से परामर्श किया गया और न ही इसकी विश्वसनीयता स्थापित की गई है। 
  • ऐसी स्थिति में हम यह जानना चाहते हैं कि किस आधार पर इस अध्ययन की विश्वसनीयता हेतु डाटा को सत्यापित किया गया है। विशेषकर उस स्थिति में जब न तो आईएलओ और न ही किसी अन्य राष्ट्रीय सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर सर्वेक्षण पद्धति के संबंध में कोई परामर्श लिया गया है और न ही इसे सत्यापित ही किया गया है।
  • हालाँकि, 2017 आईएलओ-डब्लूएफएफ की रिपोर्ट में देश-वार आँकड़ों का उल्लेख नहीं किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार, 2016 में तकरीबन 40.3 मिलियन लोगों को 'आधुनिक गुलामी' का शिकार बताया गया।

रिपोर्ट में निहित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और वॉक फ्री फाउंडेशन (डब्ल्यूएफएफ) द्वारा जारी वर्ष 2017 के आधुनिक गुलामी संबंधी वैश्विक अनुमानों में दुनिया भर में तकरीबन 40.3 मिलियन लोगों को गुलामी का शिकार बताया गया है। 
  • उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में आधुनिक गुलामों में महिलाओं की संख्या  (29 लाख यानि 71%) सबसे अधिक है। इसके बाद बच्चे सबसे अधिक (तकरीबन 10 मिलियन अर्थात् 25%) गुलाम हैं।
  • गुलामी में फँसे 40.3 मिलियन लोगों में से तकरीबन 25 मिलियन लोग जबरन श्रम तथा 15 मिलियन जबरन विवाह से संबद्ध पाए गए।
  • इसके अतिरिक्त तकरीबन 25 मिलियन लोगों में से 16 मिलियन का निजी क्षेत्र द्वारा शोषण, 4.8 मिलियन जबरन यौन शोषण तथा 4.1 मिलियन लोग सरकारी अधिकारियों द्वारा अधिरोपित जबरन श्रम में लिप्त पाए गए।
  • निजी क्षेत्र में जबरन श्रम से संबद्ध 50% लोगों की दासता का प्रमुख कारण कर्ज़दार होना पाया गया। वहीं कृषि, घरेलू कार्य एवं विनिर्माण क्षेत्र में काम करने के लिये मजबूर वयस्कों में यह अनुपात बढ़कर 70% तक पाया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त निजी तौर पर अधिरोपित जबरन श्रम के अंतर्गत पुरुषों (6.8 मिलियन या 42.4%) की तुलना में महिलाएँ (9.2 लाख या 57.6%) अधिक प्रभावित पाई गईं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वयस्कों का सबसे बड़ा हिस्सा (24%) घरेलू श्रमिकों के रूप में कार्यरत है, इसके बाद निर्माण क्षेत्र (18%), कृषि एवं मछली पकड़ने (11%) तथा विनिर्माण क्षेत्र (15%) का स्थान आता है।
  • इसके अतिरिक्त वाणिज्यिक सेक्स उद्योग में महिलाएँ सबसे अधिक (99%) जबरन श्रम की शिकार पाई गईं। जबरन विवाह की शिकार महिलाओं का अनुपात 84% दर्ज़ किया गया। 
  • ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 के अनुसार, दुनिया भर की तुलना में भारत में गुलामों की संख्या सबसे अधिक थी। यहाँ तकरीबन 18.3 मिलियन लोग आज भी दासता की बेड़ियों में बँधे हैं। इसके अतिरिक्त भारत की लगभग 1.4% आबादी गुलामों जैसी स्थितियों में अपना जीवन व्यतीत कर रही है।
  • इसके अलावा, 2016 में 5 से 17 वर्ष के 151.6 मिलियन बच्चे बाल श्रम में शामिल थे, जबकि लगभग 50% (72.5 मिलियन) खतरनाक कार्यों में शामिल थे। उल्लेखनीय है कि 70.9% बाल श्रम कृषि क्षेत्र पर केंद्रित था, जबकि 11.9% उद्योग में संलिप्त पाया गया। 

दासता की वैश्विक स्थिति क्या है?

  • सबसे ज़्यादा बाल श्रमिकों की संख्या (72.1 मिलियन) अफ्रीका में पाई गई, उसके बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्र (62 मिलियन) का स्थान आता है।
  • आधुनिक गुलामी का सबसे प्रचलित स्वरूप (7.6 प्रति 1,000 व्यक्ति) अफ्रीका में नज़र आता है। इसके पश्चात् एशिया और प्रशांत क्षेत्र (6.1 प्रति 1,000) तथा उसके बाद यूरोप एवं मध्य एशिया (3.9 प्रति 1,000) का स्थान आता है। 
  • इस संबंध में जारी ताज़ा आँकड़ों से स्थायी विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) को प्राप्त करने में आवश्यक नीति-निर्माण के संबंध में मदद मिलेगी। 
  • ध्यातव्य है कि इन लक्ष्यों के अंतर्गत सभी रूपों में उपस्थित बरन मज़दूरी, आधुनिक गुलामी, मानव तस्करी और बाल श्रम को खत्म करने हेतु प्रभावी उपाय करने की मांग की गई है।

आईएलओ-डब्ल्यूएफएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, 'आधुनिक दासता' शब्द में जबरन श्रम, ऋण बंधन, जबरन विवाह, अन्य प्रकार की गुलामी एवं अन्य गुलामी जैसी प्रथाओं तथा मानव तस्करी सहित विभिन्न प्रकार की विशिष्ट कानूनी अवधारणाओं को शामिल किया गया है। हालाँकि दासता को कानून के अंतर्गत परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति का शोषण किये जाने संबंधी स्थितियों (किसी व्यक्ति को धमकी, हिंसा, बलात्कार, धोखे और/या शक्ति के दुरुपयोग) को संदर्भित किया गया है, जिनका न तो व्यक्ति द्वारा विरोध किया जा सकता है और न ही इन्हें छोड़ा जा सकता है।

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