भारतीय अर्थव्यवस्था
बढ़ सकता है भारत का चालू खाता घाटा : मूडीज़
- 20 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में मूडीज़ तथा अन्य आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपए के मूल्य में गिरावट के कारण वित्त वर्ष 2018-19 में भारत का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit- CAD) बढ़कर कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2.5% तक पहुँच सकता है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में तुर्की में हुए राजनीतिक उथल-पुथल के चलते डॉलर के मुकाबले रुपया 70.32 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया। वहीं, चीन की ओर से आर्थिक स्थिति को ठीक रखने के लिये संपत्तियों को सुरक्षित रखने पर ज़ोर देने के कारण भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा पर दबाव बढ़ गया है।
विदेशी मुद्रा के अंत: और ब्राह्य प्रवाह के बीच के अंतर को चालू खाता घाटा CAD कहते है। |
चालू खाता घाटा में वृद्धि के कारण
- भारत का चालू खाता घाटा (CAD) जिसके 2018-19 में 2.5% तक बढ़ने की संभावना है, वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान यह 1.5% था।
- इसका प्रमुख कारण तेल की कीमतों में वृद्धि है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2017-18 में कुल तेल आयात GDP का 2.6% था, जिसके वित्तीय वर्ष 2018-2019 में और अधिक होने की संभावना व्यक्त की गई है।
- रुपए के मूल्य में गिरावट भारत के मौजूदा चालू खाता घाटे (CAD) को भी दर्शाता है।
- अमेरिकी फेडरल की मौद्रिक नीति के मज़बूत होने के कारण पूरी दुनिया में अमेरिकी डॉलर कि तुलना में अन्य देशों की मुद्राओं के मूल्य में गिरावट आई है।
- अर्जेंटीना, वेनेजुएला और तुर्की सहित कई बड़े उभरते बाज़ारों में पैदा हुए आर्थिक संकट भी भारतीय रुपए के लिये चिंता का विषय है जिसने वैश्विक निवेशकों को उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा और सामान्य शेयरों के बारे में सतर्क कर दिया है।
रुपए के मूल्य में गिरावट का प्रभाव
नकारात्मक प्रभाव
- तेल का आयात महँगा होगा जिसके चलते भारत में महँगाई दर बढ़ने की संभावना है।
- बढ़ी हुई महँगाई दर का असर बुनियादी तथा अन्य आधारभूत संरचनाओं पर पड़ेगा।
- हालाँकि कमज़ोर होता रुपया निर्यातकों को लाभ पहुँचाएगा फिर भी व्यापार घाटे के कम होने की संभावना नहीं है, जो जुलाई 2018 में 18.02 बिलियन डॉलर के पाँच साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।
सकारात्मक प्रभाव
- भारतीय मुद्रा के अधिमूल्यित (Overvalued) होने के कारण निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को हानि हो रही थी। ऐसे में रुपए का मूल्य गिरने के कारण भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं की निर्यात प्रतिस्पर्द्धा में सुधार होगा।
- इसका सबसे अधिक लाभ निर्यात करने वाली आईटी कंपनियों को मिलेगा।
मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service)
- मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service), मूडीज़ कॉरपोरेशन की बॉण्ड-क्रेडिट की रेटिंग करने वाली कंपनी है। इसको संक्षेप में केवल 'मूडीज़' कहा जाता है।
- मूडीज़ की स्थापना 1909 में जॉन मूडी द्वारा स्टॉक और बॉण्ड तथा बॉण्ड और बॉण्ड रेटिंग से संबंधित सांख्यिकी का मैनुअल बनाने के लिये की गई थी।
- यू.एस. सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन के द्वारा वर्ष 1975 में कंपनी को राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सांख्यिकी रेटिंग संगठन (NRSRO) के रूप में चिह्नित किया गया था।
- मूडीज़ की निवेशक सेवा वाणिज्यिक और सरकारी संस्थाओं के द्वारा जारी किये गए बॉण्डों पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय अनुसंधान का कार्य करती है।
- यह दुनिया की तीन सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (standard and Poors) और फिच समूह (Fitch Group) के साथ शामिल है।