अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-क्रोएशिया संबंध
- 07 Sep 2021
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प्रिलिम्स के लिये:गुटनिरपेक्ष आंदोलन, नाटो मेन्स के लिये:भारत-क्रोएशिया संबंधों की पृष्ठभूमि और महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और क्रोएशिया के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में दोनों देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि हिंद-प्रशांत, अफगानिस्तान की स्थिति, आतंकवाद का मुकाबला करने और साझा आर्थिक हितों जैसे मुद्दों पर दोनों देशों की स्थिति काफी हद तक समान है।
प्रमुख बिंदु
- बैठक की मुख्य बातें:
- पर्यटन एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है और दोनों ही देश हवाई संपर्क का विस्तार करने का प्रयास करेंगे।
- दोनों का मानना है कि रेलवे, फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर में काफी संभावनाएंँ विद्यमान हैं।
- यूरोपीय संघ-भारत संबंध, अफगानिस्तान की स्थिति, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग तथा कोविड के बाद की रिकवरी सहित आपसी हित के कई विषयों पर भी इस बैठक में चर्चा की गई।
- भारत-क्रोएशिया संबंधों के बारे में:
- क्रोएशिया अपनी भू-रणनीतिक स्थिति, यूरोपीय संघ और नाटो का सदस्य होने के साथ-साथ एड्रियाटिक समुद्र तट के माध्यम से यूरोप के लिये गेटवे के दृष्टिकोण से एक महत्त्वपूर्ण मध्य यूरोपीय देश है।
- पूर्व यूगोस्लाविया के दिनों से ही भारत और क्रोएशिया के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं।
- 1990 के दशक की शुरुआत में राजनीतिक उथल-पुथल और संघर्षों की एक शृंखला के परिणामस्वरूप यूगोस्लाविया का विघटन हुआ।
- इस विघटन ने छ: नए देशों को जन्म दिया अर्थात् बोस्निया और हर्ज़िगोविना, क्रोएशिया, मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, सर्बिया तथा स्लोवेनिया।
- भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टिटो, दोनों ही गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अग्रदूत थे।
- क्रोएशिया के लोगों की भारत में गहरी दिलचस्पी है। ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में इंडोलॉजी विभाग छह दशकों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है और एक दशक पहले भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) हिंदी पीठ की स्थापना की गई थी।