सामाजिक न्याय
भारत की नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट
- 05 May 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:नागरिक पंजीकरण प्रणाली, भारत का रजिस्ट्रार जनरल, जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम। मेन्स के लिये:जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी 2020 नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट (Civil Registration System Report- CRS) पर आधारित महत्त्वपूर्ण सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में देश में जन्म के समय सबसे अधिक लिंगानुपात केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में दर्ज किया गया।.
- रिपोर्ट भारत का महापंजीयक द्वारा प्रकाशित की गई थी।
- जन्म के समय लिंगानुपात प्रति हज़ार पुरुषों पर जन्म लेने वाली महिलाओं की संख्या है। जनसंख्या के लेंगिक अंतर को मापने में यह एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है।
भारत का महापंजीयक:
- वर्ष 1961 में भारत का महापंजीयक की स्थापना गृह मंत्रालय के तहत भारत सरकार द्वारा की गई थी।
- यह भारत की जनगणना और भारतीय भाषा सर्वेक्षण सहित भारत के जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों के परिणामों की व्यवस्था, संचालन तथा विश्लेषण करता है।
- प्रायः एक सिविल सेवक को ही रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त किया जाता है जिसकी रैंक संयुक्त सचिव पद के समान होती है।
- प्रायः एक सिविल सेवक को ही रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त किया जाता है जिसकी रैंक संयुक्त सचिव पद के समान होती है।
- भारत में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (RBD) अधिनियम’ 1969 के अधिनियमन के साथ अनिवार्य है तथा घटना के स्थान के अनुसार किया जाता है।
- गृह मंत्रालय की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ वास्तविक समय में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को सक्षम करने के लिये नागरिक पंजीकरण प्रणाली में सुधार करने की योजना बना रही है।
जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD) अधिनियम:
- जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम को वर्ष 1969 में देश भर में जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण में एकरूपता तथा उसके आधार पर महत्त्वपूर्ण आंकड़ों के संकलन के लिये अधिनियमित किया गया था।
- अधिनियम के अधिनियमन के साथ भारत में जन्म, मृत्यु और मृत जन्म का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है।
- देश में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त पदाधिकारी करते हैं।
- जनगणना संचालन निदेशालय, महापंजीयक के कार्यालय का अधीनस्थ कार्यालय हैं और यह कार्यालय अपने संबंधित राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश में अधिनियम के कामकाज की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- जन्म के समय उच्च लिंग अनुपात (SRB): यह वर्ष 2020 में लद्दाख (1104) के बाद अरुणाचल प्रदेश (1011), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (984), त्रिपुरा (974) तथा केरल (969) में दर्ज किया गया है।
- वर्ष 2019 में जन्म के समय उच्चत लिंगानुपात अरुणाचल प्रदेश (1024) के बाद नगालैंड (1001), मिज़ोरम (975) और अंडमान निकोबार द्वीप समूह (965) में दर्ज किया गया था।
- जन्म के समय लिंगानुपात पर महाराष्ट्र, सिक्किम, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से जानकारी "उपलब्ध नहीं थी"।
- जन्म के समय सबसे कम लिंग अनुपात: वर्ष 2020 में जन्म के समय सबसे कम लिंग अनुपात दर्ज करने वाले शीर्ष पाँच राज्यों में मणिपुर (880), दादरा और नगर हवेली, दमन एवं दीव (898), गुजरात (909), हरियाणा (916) तथा मध्य प्रदेश (921) शामिल हैं।
- वर्ष 2019 में सबसे कम लिंगानुपात गुजरात (901), असम (903), मध्य प्रदेश (905) और जम्मू-कश्मीर (909) में दर्ज किया गया था।
- जन्म दर: नगालैंड, पुद्दुचेरी, तेलंगाना, मणिपुर, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, मिज़ोरम तथा चंडीगढ़ जैसे राज्यों में पंजीकृत जन्म दर में गिरावट दर्ज की गई।
- पंजीकृत जन्म दर में लक्षद्वीप, बिहार, हरियाणा, सिक्किम, मध्य प्रदेश और राजस्थान में वृद्धि दर्ज की गई है।
- मृत्यु दर: महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, नगालैंड, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, सिक्किम, पंजाब, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, अंडमान और निकोबार तथा असम में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु दर में वृद्धि दर्ज की गई है।
- बिहार में सबसे अधिक मृत्यु दर 18.3% तथा इसके बाद महाराष्ट्र में 16.6% और असम में 14.7% के साथ वृद्धि हुई है।
- इस बीच मणिपुर, चंडीगढ़, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पुद्दुचेरी, अरुणाचल प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु दर में कमी देखी गई है।
- शिशु मृत्यु: रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में 1,43,379 शिशु मृत्यु दर्ज की गई जिसमें ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा केवल 23.4% था, जबकि कुल पंजीकृत शिशु मृत्यु का 76.6% शहरी क्षेत्र में दर्ज किया गया है।
- रजिस्ट्रारों को शिशु मृत्यु की सूचना न देने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु का पंजीकरण न होना चिंता का विषय था, विशेष रूप से घरेलू आयोजनों के मामले में।