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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बाज़ार पहुँच को लेकर भारत-चीन व्यापार वार्ता स्थगित

  • 13 Jul 2017
  • 3 min read

संदर्भ 
भारत और चीन के बीच एक–दूसरे के बाज़ार में पहुँच को लेकर गतिरोध के कारण व्यापार वार्ता स्थगित हो गई है। दोनों में से कोई भी पक्ष रियायतें देने का इच्छुक नहीं है। 

प्रमुख बिंदु 

  • भारत और चीन के बीच एक–दूसरे के कृषि उत्पादों के बाज़ार में पहुँच को लेकर हाल ही में हुई द्विपक्षीय वार्ता गतिरोध के कारण स्थगित हो गई है। 
  • चीन ने भारतीय चावल, अनार, लंबी भिंडी और गोजातीय मांस के चीन के बाजारों में  पहुँचने संबंधी कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि भारत ने चीन से सेब, नाशपाती, दूध और दूध उत्पादों के आयात पर लगे प्रतिबंध को ज़ारी रखने का फैसला किया है। इस वार्ता का विवरण जल्द ही बीजिंग में भारतीय दूतावास के साथ साझा किया जाएगा।

व्यापार घाटा

  • गौरतलब है कि चीन द्वारा उसके बाज़ार तक पहुँच में रोक लगाने से भारत का व्यापार घाटा एक  भयानक स्तर तक पहुँच गया है।
  • चीन के साथ भारत का माल व्यापार घाटा, जो 2015-16 में 52.7 अरब डॉलर था, 2016-17 में मामूली गिरावट के साथ 51.1 अरब डॉलर रहा है।

गोजातीय मांस

  • चीन के अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान, भारत के पशुपालन विभाग ने चीन में भारतीय गोजातीय मांस के लिये बाज़ार पहुँच की कमी के मुद्दे को उठाया है। चीन ने अभी तक भारत से  गोजातीय मांस आयात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया है, जिसे उसने 1990 में भारत में मुंहपका-खुरपका रोग (Foot-and-Mouth Disease) की घटनाओं के कारण लगाया था। 
  • हाल ही में वार्ता में भारतीय पक्ष ने बताया कि भारत ने एक मज़बूत मुंहपका-खुरपका रोग (एफएमडी) नियंत्रण कार्यक्रम के माध्यम से कुछ क्षेत्रों को एफएमडी मुक्त सुनिश्चित किया था और उन क्षेत्रों से कई देशों को गोजातीय मांस निर्यात भी किया गया। 
  • संयोग से, चीन ने इस वर्ष जनवरी में कथित तौर पर इस निषेध को उठाने पर सहमति व्यक्त की थी, क्योंकि उसके अधिकारियों ने भारत में कुछ बूचड़खानों का निरीक्षण किया था और संतुष्टि व्यक्त की थी।

क्या है मुंहपका-खुरपका रोग?

  • यह विभक्त-खुर वाले पशुओं में पाई जाने वाली एक विषाणु-जनित संक्रामक बीमारी है।
  • इस बीमारी में तेज़ ज्वर के साथ-साथ पशुओं के मुह में दाने उभर आते हैं, जिससे  वे जुगाली नहीं कर पाते हैं। इसी तरह उनके खुरों में कीड़े पड़ जाते हैं। 
  • यह बीमारी पशुओं को कमज़ोर बना देती है, जो अंततः मौत का कारण भी बनती है।
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