अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-चीन हॉटलाइन
- 01 Mar 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और चीन ने दोनों देशों के बीच एक हॉटलाइन स्थापित करने को लेकर बनी सहमति की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
हॉटलाइन
- दोनों देशों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने का निर्णय भारत के विदेश मंत्री और चीन के विदेश मंत्री के बीच एक टेलीफोनिक वार्ता के दौरान लिया गया।
- हॉटलाइन निरंतर परिचालन वाली एक प्रत्यक्ष टेलीफोन लाइन होती है, जो तत्काल संचार को सुविधाजनक बनाती है।
- हॉटलाइन दोनों देशों के बीच समय पर संचार और विचारों के आदान-प्रदान में सहायक होगी।
भारत का पक्ष
- भारत ने दोनों देशों के संबंधों के दृष्टिकोण से परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हित पर ज़ोर दिया।
- हाल ही में दोनों देशों के बीच सीमा से सैन्य वापसी को लेकर समझौता किया गया है, जो कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति को बढ़ावा देगा और अंततः दोनों देशों के संबंधों को सामान्य करेगा।
चीन का पक्ष
- चीन के अनुसार, सीमा पर मौजूद स्थिति को दोनों देशों के संबंधों के केंद्र में नहीं लाया जाना चाहिये, बल्कि इसे दोनों देशों के समग्र संबंधों में सीमित स्थान दिया जाना चाहिये।
- हॉटलाइन की स्थापना यह दर्शाती है कि दोनों देश अपने आपसी मुद्दों को हल करते हुए पुनः सामान्य गतिविधियों की स्थिति में लौट रहे हैं।
हालिया विकासक्रम
- मई 2020: नाथू ला, सिक्किम (भारत) में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच झड़प हुई।
- सिक्किम में झड़प के बाद दोनों देशों के बीच लद्दाख में तनाव बढ़ गया और सीमा क्षेत्र में कई स्थानों पर सैनिक टुकड़ियाँ एकत्रित हो गईं।
- जून 2020: भारत और चीन की सेनाएँ पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी आदि क्षेत्रों में आपसी गतिरोध का सामना कर रही थीं तथा ये क्षेत्र वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव का केंद्र बन गए थे।
- जून 2020: भारत द्वारा चीन के 59 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- नवंबर 2020: भारत ने 43 एप्स पर प्रतिबंध लगाया, जिनमें से अधिकतर चीन से संबंधित थे।
- ये प्रतिबंध सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत लागू किये गए थे।
- फरवरी 2021: भारत और चीन ने अंततः पैंगोंग त्सो झील पर आंशिक सैन्य वापसी को लेकर सहमति व्यक्त की।
आगे की राह
- आवश्यक है कि दोनों देश इतनी चुनौतियों के बाद प्राप्त स्थिति को और मज़बूत करें तथा इस प्रगति को आगे बढ़ाने के लिये साथ काम करें, परामर्श प्रक्रिया को जारी रखें तथा सीमा प्रबंधन एवं नियंत्रण तंत्र में सुधार करें।
- दो बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में चीन और भारत को एक-दूसरे के साथ मिलकर पारस्परिक विकास को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, साथ ही एक-दूसरे के विकास में बाधा बनने के बजाय साझेदारी को बढ़ाना होगा।
- भारत और चीन को सीमावर्ती क्षेत्रों में आपसी विश्वास बनाए रखने और शांति स्थापित करने के लिये सीमा वार्ता को आगे बढ़ाने की भी ज़रूरत है।