पेंगोंग झील के पास भारत और चीन में पथराव | 19 Aug 2017
चर्चा में क्यों ?
भारतीय सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों ने लद्दाख में प्रसिद्ध पेंगोंग झील के किनारे भारतीय क्षेत्र में घुसने की चीनी सैनिकों की कोशिशों को नाकाम कर दिया जिसके बाद पथराव हुआ और उसमें दोनों पक्षों को चोटें आई हैं।
इसके बाद बैनर ड्रिल रस्म के तहत स्थिति को नियंत्रण में लाया गया है। बैनर ड्रिल के तहत दोनों पक्ष अपने-अपने स्थान पर जाने से पहले बैनर दिखाते हैं।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब सिक्किम के डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- सिक्किम के बाद लद्दाख में भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी फौजें उतर आई हैं।
- भारतीय रक्षा सूत्रों के अनुसार, चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील के पास भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेका था। चीन का गश्ती दल इस झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर अक्सर आते रहते हैं।
- चीनी सैनिकों ने फिंगर फोर एरिया (Finger Four Area) तक दो बार अतिक्रमण करने का विफल प्रयास भी किया है।
- उल्लेखनीय है कि भारत ने 1990 के दशक के अंत में वार्ता के दौरान इस क्षेत्र पर अपना दावा किया था। तब चीनी सेना ने यहाँ एक सड़क निर्माण कर कहा था कि यह अक्साई चीन का हिस्सा है जो उसके नियंत्रण में है।
पेंगोंग झील : एक नज़र
- पेंगोंग झील या पेंगोंग त्सो लद्दाख में भारत-चीन सीमा के विवादित क्षेत्र में स्थित है। यह 4350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित 134 किलोमीटर लंबी है और लद्दाख से तिब्बत तक फैली हुई है।
- इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में स्थित है जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के मध्य से गुज़रती है।
- इसका जल खारा होने के कारण इसमें मछली या अन्य कोई जलीय जीवन नहीं है। परंतु यह कई प्रवासी पक्षियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। इसे रैमसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की नमभूमि (Wet land) स्थल घोषित किये जाने की चर्चा चल रही है।
- 19वीं शताब्दी के मध्य में यह झील जॉनसन रेखा के दक्षिणी छोर पर थी। जॉनसन रेखा अक्साई चीन क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का एक प्रारंभिक प्रयास था।
- इस क्षेत्र में खर्नाक किला है जो इस झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यह किला अब चीन के नियंत्रण में है। 20 अक्टूबर, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीनी सेना ने यहाँ सैन्य कार्रवाई की थी।
- पूर्व में इस झील से श्याक नदी (सिंधु नदी की एक सहायक नदी) निकलती थी लेकिन प्राकृतिक बांध के कारण यह बंद हो गई है।
- इस झील का भ्रमण करने के लिये एक इनर लाईन परमिट की आवश्यकता होती है क्योंकि यह भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित है।
- भारतीय नागरिक व्यक्तिगत परमिट प्राप्त कर सकते हैं, अन्य लोगों को एक मान्यता प्राप्त मार्गदर्शक के साथ समूह परमिट (कम-से-कम तीन व्यक्तियों के साथ) होना चाहिये।
- लेह में स्थित पर्यटन कार्यालय यह परमिट जारी करता है। सुरक्षा कारणों से भारत इस झील में नौकायन की अनुमति नहीं देता है।