सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट | 28 May 2020
प्रीलिम्स के लिये:सकल घरेलू उत्पाद, रेटिंग एजेंसी मेन्स के लिये:सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विभिन्न रेटिंग एजेंसियों द्वारा जारी रिपोर्टों के अनुसार, देशभर में लॉकडाउन के कारण वित्तीय वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है।
प्रमुख बिंदु:
- उल्लेखनीय है कि रेटिंग एजेंसी ‘क्रिसिल’ (Crisil) और ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ (State Bank of India-SBI) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष (2020-21) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) में क्रमशः 5% (क्रिसिल) और 6.8% (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) की गिरावट होगी।
- ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 40% की गिरावट की आशंका है।
- उन राज्यों में भी आर्थिक गतिविधियाँ लंबे समय तक प्रभावित रह सकती हैं, जहाँ COVID-19 के मामले ज़्यादा हैं।
- ध्यातव्य है कि भारत में मानसून के कारण केवल तीन बार वित्तीय वर्ष 1957-58, 1965-66 और 1979-80 में मंदी आई थी। इस दौरान खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था। वर्तमान में ‘सकल घरेलू उत्पाद’ में कृषि का योगदान 17% है।
- लॉकडाउन के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने में कृषि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है बशर्ते मानसून साथ दे।
अन्य बिंदु:
- मार्च 2020 में औद्योगिक उत्पादन में 16%, अप्रैल 2020 के दौरान निर्यात में 60.3%, दूरसंचार क्षेत्र में नए ग्राहकों की संख्या में 35% और रेल के जरिये माल ढुलाई में 35% की गिरावट दर्ज की गई है।
क्रिसिल का अनुमान:
- मानसून सामान्य रहने की स्थिति में कृषि क्षेत्र में 2.5% की वृद्धि का अनुमान है।
- देशभर में लॉकडाउन के कारण गैर-कृषि जीडीपी में 6% की गिरावट का अनुमान है।
- अन्य देशों में लॉकडाउन लागू होने से भारत के निर्यात क्षेत्र प्रभावित होंगे।
- भारत में अगले तीन वित्तीय वर्षों तक ‘सकल घरेलू उत्पाद’ में वृद्धि दर 7-8% हासिल करना मुश्किल होगा।
- क्रिसिल के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 25% की गिरावट का अनुमान है।
फिच का अनुमान:
- फिच के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5% की गिरावट का अनुमान है।
- ध्यातव्य है कि इससे पहले फिच ने वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु 0.8% वृद्धि का अनुमान लगाया था।
गिरावट के कारण:
- देशभर में लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के कारण आर्थिक गतिविधियाँ बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।
- दुनिया में काफी सख्त लॉकडाउनों में से एक भारत में लागू किया गया था।
- वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल माह का प्रदर्शन सबसे ख़राब था।
- शिक्षा, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र को प्रतिबंधित करना भी अर्थव्यवस्था की गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक हैं।