भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत बना दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
- 20 Feb 2020
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प्रीलिम्स के लिये:IMF, वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट मेन्स के लिये:भारत के दुनिया की पाँचवीं अर्थव्यवस्था बनने से संबंधित मुद्दे, आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के अक्तूबर 2019 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (World Economic Outlook) रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- IMF के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत नॉमिनल GDP के आधार पर 2.94 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
- दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग में भारत ने फ्राँस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। ध्यातव्य है कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार 2.83 ट्रिलियन डॉलर और फ्राँस का 2.71 ट्रिलियन डॉलर है।
- भारत की आर्थिक संवृद्धि के बावजूद स्थिरता से लेकर बुनियादी ढाँचे तक की अनेक चुनौतियाँ अभी भी देश में बनी हुई हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि के कारण
- भारत की GDP वृद्धि दर पिछले एक दशक में दुनिया में सबसे अधिक रही है। यह नियमित रूप से 6-7% के बीच वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त कर रही है जो कि भारत के पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। हालाँकि मुद्रास्फीति एवं अन्य कारणों के चलते वास्तविक GDP की वृद्धि दर में कमी का अनुमान है।
- मैकिंजे ग्लोबल इंस्टीट्यूट की वर्ष 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, शहरीकरण, प्रौद्योगिकियों में सुधार और उत्पादकता में सुधार जैसे कई कारकों की वज़ह से अर्थव्यवस्था में वृद्धि देखी गई है। ध्यातव्य है कि भारत वर्ष 2010 तक ब्राज़ील एवं इटली से भी नीचे (9वें स्थान पर) था।
- पिछले 25 वर्षों में भारत की आर्थिक संवृद्धि में अत्यंत तेज़ी देखी गई है। वर्ष 1995 के बाद से देश की नॉमिनल GDP में लगभग 700% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- विश्व बैंक के अनुसार, भारत सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी ढाँचे के विकास संबंधी अपनी नीतियों को समायोजित करते हुए भविष्य में होने वाले विकास को और अधिक टिकाऊ और समावेशी बनाने के लिये उपाय कर रहा है।
5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से भारत को लाभ
- इससे भारत की वैश्विक ख्याति में वृद्धि होगी।
- वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक व्यवस्था पर विश्वास बढ़ेगा।
- भारत निवेशकों को आसानी से अपनी नीतियों एवं योजनाओं से प्रभावित कर अत्यधिक निवेश आकर्षित कर सकेगा।
- भारत की वैश्विक साख में वृद्धि होने से विश्व बैंक, IMF जैसे संस्थओं से आसानी से ऋण प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
- भारत दक्षिण एशिया के नेता के रूप में अपनी प्रबल दावेदारी प्रस्तुत कर सकेगा।
भारत के सामने भविष्य की चुनौतियाँ
- मज़बूत आर्थिक संवृद्धि के बावजूद देश में अभी भी अनेक चुनौतियाँ हैं। विश्व बैंक के अनुसार, भौगोलिक स्थिति के आधार पर भारत में विकास और नए अवसरों तक सभी वर्गों की आसान पहुँच का अभाव है।
- इसके अलावा दुनिया की कुल गरीब जनसंख्या का लगभग एक-चौथाई भाग भारत में निवास करता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत के 39% ग्रामीण निवासी स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं और लगभग आधी आबादी अभी भी खुले में शौच करती है।
- ध्यातव्य है कि भारत तेज़ी से आर्थिक संवृद्धि तो कर रहा है किंतु देश में समावेशी विकास का अभाव बना हुआ है जो कि भारत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है।
आगे की राह
- भारत को आर्थिक संवृद्धि के साथ-साथ समावेशी आर्थिक विकास की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि समावेशी विकास के बिना आर्थिक संवृद्धि का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है।
- वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में व्याप्त सुस्ती से निपटने की दिशा में व्यापक प्रयास किये जाने चाहिये।