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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत-बांग्लादेश ‘अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल’

  • 21 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत-बांग्लादेश ‘अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल’

मेन्स के लिये:

अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और बांग्लादेश के बीच ‘अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल’ (Protocol on Inland Water Transit and Trade- PIWT & T) के द्वितीय परिशिष्ट पर हस्ताक्षर किये गए।

प्रमुख बिंदु:

  • परिशिष्ट, 2020 पर भारत की तरफ से भारतीय उच्चायुक्त एवं बांग्लादेश की तरफ से सचिव (जहाज़रानी) द्वारा 20 मई, 2020 को हस्ताक्षर किये गए।
  • नवीन समझौते के बाद ‘भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल’ (Indo Bangladesh Protocol- IBP) के तहत परिवहन मार्गों की संख्या 8 से बढ़ाकर 10 हो गई है। 
  • IBP मार्गों पर अनेक नवीन अवस्थतियों को ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ (Ports of Call) के रूप में जोड़ा जाएगा।

अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार पर प्रोटोकॉल:

  • भारत और बांग्लादेश के बीच हस्ताक्षरित अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार प्रोटोकॉल दीर्घकालिक व्यापार सुनिश्चितता की दिशा में किया गया प्रोटोकॉल है। यह समझौता किसी तीसरे देश में भी माल परिवहन की अनुमति देता है। 
  • दोनों देशों के बीच ‘अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार प्रोटोकॉल’ पर ‘ भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते’ (Trade Agreement between Bangladesh & India Protocol) प्रोटोकॉल के अनुच्छेद (viii) के अनुसार, हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस प्रोटोकॉल पर पहली बार वर्ष 1972 (बांग्लादेश की आज़ादी के तुरंत बाद) में हस्ताक्षर किये गए थे। अंतिम बार वर्ष 2015 में पाँच वर्षों के लिये नवीकरण किया गया था।
  • समझौते का प्रत्येक पाँच वर्षों की अवधि के बाद स्वचालित रूप से नवीनीकरण किया जाता है। 

प्रमुख पारगमन मार्ग:

Connectivity-with-Mainland

1. कोलकाता-चांदपुर-पांडु-सिलघाट-कोलकाता 
2. कोलकाता-चांदपुर-करीमगंज-कोलकाता 
3. सिलघाट-पांडु-अशुगंज-करीमगंज-पांडु-सिलघाट 
4. राजशाही-धूलियन-राजशाही।
5. कोलकाता-चांदपुर-आशूगंज (जलमार्ग से)
6. अखुरा-अगरतला (सड़क मार्ग से)

पोर्टस ऑफ कॉल: 

  • पोर्टस् ऑफ कॉल अंतर्देशीय व्यापार में जहाज़ों को आने-जाने की सुविधाएँ प्रदान करते हैं। 
  • वर्तमान में प्रोटोकॉल के तहत भारत और बांग्लादेश दोनों में 6-6 ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ हैं। नवीन समझौते के माध्यम से पाँच नवीन ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ तथा दो ‘विस्तारित पोर्टस ऑफ कॉल’ जोड़े गए हैं जिससे प्रत्येक देश में इनकी संख्या बढ़ कर 11 हो गई है।  

पारगमन मार्गों का महत्त्व:

  • भारत में जोगीगोफा और बांग्लादेश में बहादुराबाद को नए ‘पोर्टस ऑफ काल’ के रूप में सम्मिलित किया गया है। यह मेघालय, असम एवं भूटान को कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करेगा। जोगीगोफा में एक ‘मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क’ बनाए जाने का प्रस्ताव है। 
  • नए पोर्टस ऑफ कॉल, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (IBP) मार्गों पर कार्गो की लोडिंग एवं अनलोडिंग की सुविधा प्रदान करेंगे। नवीन ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ के निर्माण से इसके परिक्षेत्र के आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
  • संगठित तरीके से कार्गो पोतों की आवाज़ाही में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय पारगमन कार्गो मुख्य रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में बिजली परियोजनाओं के लिये कोयला, फ्लाई ऐश आदि का परिवहन करते हैं। 
  • भारत से बांग्लादेश को फ्लाई ऐश का निर्यात मुख्यत: इन कार्गो के माध्यम से किया जाता है जो 3 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष होता है।

निष्कर्ष:

  • लगभग 638 अंतर्देशीय पोतों द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 4000 माल परिवहन यात्राएँ की जाती हैं। ऐसी उम्मीद की जाती है कि प्रोटोकॉल में किया गया संशोधन बेहतर विश्वसनीयता एवं लागत के दृष्टिकोण से बेहतर सिद्ध होगा तथा दोनों देशों के बीच व्यापार को और अधिक सुगम बनाएगा।

स्रोत: पीआईबी 

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