अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय वार्ता
- 06 Mar 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय वार्ता के लिये बांग्लादेश का दौरा किया।
- यह बैठक मार्च 2021 में निर्धारित भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा से पहले आयोजित की जाएगी।
- इससे पूर्व वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में बांग्लादेश के सशस्त्र बलों की 122 सदस्यीय टुकड़ी ने 72वें गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया था।
प्रमुख बिंदु
बांग्लादेश का पक्ष
- समस्याओं का समाधान
- बांग्लादेश के मुताबिक, पड़ोसी देशों की समस्याओं को चर्चा और वार्ता के माध्यम से हल किया जाना चाहिये।
- एक-दूसरे के लाभ को प्राथमिकता
- दोनों देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये संभावित तरीकों पर ध्यान देना होगा और एक-दूसरे की प्राथमिकताओं को परस्पर लाभकारी तरीके से समायोजित करने पर ज़ोर देना होगा।
- महामारी के दौरान सहयोग
- इस दौरान बांग्लादेश ने मौजूदा कोरोना वायरस महामारी के विरुद्ध टीकाकरण कार्यक्रम को लागू करने में दोनों देशों की सहयोगात्मक पहल के महत्त्व को भी रेखांकित किया।
- बांग्लादेश ने भारत के सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन खरीदी है।
- भारत में बनी वैक्सीन की 9 मिलियन खुराक के साथ बांग्लादेश इसका सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता है।
- बहुआयामी संबंध
- दोनों देश सुरक्षा, व्यापार, परिवहन और कनेक्टिविटी, संस्कृति, ऊर्जा, साझा संसाधनों और रक्षा समेत सभी आयामों में संबंधों का विस्तार करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
भारत का पक्ष
- भारत ने बांग्लादेश को ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी से संबंधित सभी मापदंड पूरे करने पर बधाई दी।
- ज्ञात हो कि बांग्लादेश वर्ष 1975 से ही संयुक्त राष्ट्र (UN) के‘सबसे कम विकसित’ देशों (LDC) की श्रेणी में शामिल था।
- किंतु वर्ष 2018 में बांग्लादेश ने ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी से संबंधित सभी आवश्यक मापदंडों को पूरा कर लिया है।
- इसलिये संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश को ‘सबसे कम विकसित’ देश की श्रेणी से ‘विकासशील’ देश की श्रेणी में शामिल करने की सिफारिश की है।
- एक बार अंतिम सिफारिश प्राप्त होने पर बांग्लादेश वर्ष 2026 में औपचारिक रूप से विकासशील राष्ट्र की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
- रणनीतिक साझेदार:
- भारत-बांग्लादेश रणनीतिक साझेदारी, दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध शांतिपूर्ण, समृद्ध और प्रगतिशील दक्षिण एशिया के सपने को साकार करने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
- महामारी के दौरान निरंतर वार्ता
- कोरोना वायरस महामारी के बावजूद दोनों देशों के बीच बातचीत और परामर्श जारी रहा:
- भारत और बांग्लादेश ने दिसंबर 2020 में एक वर्चुअल समिट का आयोजन किया।
- सितंबर 2020 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच एक संयुक्त सलाहकार आयोग का गठन किया गया।
- कोरोना वायरस महामारी के बावजूद दोनों देशों के बीच बातचीत और परामर्श जारी रहा:
- तीस्ता नदी विवाद
- तीस्ता नदी विवाद पर चर्चा के लिये भारत एवं बांग्लादेश के जल संसाधन सचिवों के बीच बैठक का आयोजन किया जाएगा।
- कनेक्टिविटी का विकास
- भारत ने दक्षिण एशिया क्षेत्र के भू-आर्थिक परिदृश्य को बदलने के लिये बांग्लादेश के साथ आगामी 20 वर्षों के लिये कनेक्टिविटी के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की इच्छा ज़ाहिर की है।
- भारत की विदेश नीति के केंद्र में बांग्लादेश
- बांग्लादेश सदैव ही भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के केंद्र में रहा है, साथ ही वह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के लिये भी प्रासंगिक है।
- बांग्लादेश न केवल दक्षिण एशिया में बल्कि व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी और भागीदार देश है।
- ज़मीनी स्थिति में सुधार
- दोनों देशों के बीच ज़मीनी स्तर पर महत्त्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है।
- अगरतला में छत्रोग्राम बंदरगाह के माध्यम से कंटेनर कार्गो के ट्रायल रन का संचालन करना।
- त्रिपुरा को राष्ट्रीय जलमार्ग से जोड़ने वाले अंतर्देशीय जलमार्गों में दो नए प्रोटोकॉल मार्गों को जोड़ना।
- बांग्लादेश को 10 ब्रॉड गेज इंजन प्रदान करना।
- ऊर्जा क्षेत्र में एक संयुक्त उद्यम का विकास।
- दोनों देशों के बीच ज़मीनी स्तर पर महत्त्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है।
आगे की राह
- नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के कारण भारत और बांग्लादेश के संबंधों में बीते वर्ष कुछ तनाव देखने को मिला था, हालाँकि लगभग एक वर्ष बाद अब दोनों देशों के संबंधों में सुधार होता दिखाई दे रहा है, जो कि प्रायः ‘क्विट’ कूटनीति का एक परिणाम प्रतीत होता है। भारत को ऐसी साझेदारी के विकास पर ज़ोर देना चाहिये जो आर्थिक विकास और विकासात्मक मापदंडों में सुधार करने में सहायक हो।
- जियो-इकोनॉमिक में हो रहे परिवर्तनों को देखते हुए बांग्लादेश के साथ संबंधों को मज़बूत करना भारत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। बांग्लादेश अपनी लगातार बढ़ती अर्थव्यवस्था और आर्थिक सफलता के साथ दक्षिण एशिया क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभर सकता है।
- दोनों देश 54 ट्रांस-बाउंड्री नदियों को साझा करते हैं और इसलिये जल प्रबंधन काफी महत्त्वपूर्ण विषय है।
- भारत-बांग्लादेश संबंध महत्त्वपूर्ण स्तर पर पहुँच गए हैं, हालाँकि अभी भी सहयोग, समन्वय और समेकन के आधार पर दोनों देशों के संबंधों को अगले स्तर तक ले जाने की गुंजाइश शेष है।
- तीस्ता नदी जैसे विशिष्ट मुद्दों को हल करना और रोहिंग्या मुद्दे पर बांग्लादेश के आह्वान पर प्रतिक्रिया देना काफी महत्त्वपूर्ण है।