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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

परमाणु हथियार उन्मूलन पर भारत की प्रतिबद्धता

  • 07 Oct 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

परमाणु परीक्षण विरोधी अंतर्राष्ट्रीय दिवस, संयुक्त राष्ट्र महासभा 

मेन्स के लिये:

परमाणु निशस्त्रीकरण और वैश्विक शांति,  परमाणु निशस्त्रीकरण पर भारत की प्रतिबद्धता 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय विदेश सचिव ने एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान परमाणु हथियारों के उन्मूलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया है।

प्रमुख बिंदु:   

  • केंद्रीय विदेश सचिव ने ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस’ के अवसर पर एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए एक चरणबद्ध तरीके से बिना किसी भेदभाव के परमाणु हथियारों को समाप्त किये जाने का समर्थन किया।
  • उन्होंने कहा कि भारत सभी परमाणु हथियार धारक देशों के बीच भरोसा और आत्मविश्वास बनाए रखने हेतु सार्थक बातचीत स्थापित करने की आवश्यकता में विश्वास रखता है।

नो फर्स्ट यूज़ नीति (No First Use Policy): 

  • केंद्रीय विदेश सचिव ने परमाणु हथियार धारक देशों के खिलाफ 'नो फर्स्ट यूज़' अर्थात परमाणु हथियारों का पहले उपयोग नहीं करने और गैर-परमाणु हथियार धारक देशों पर परमाणु हथियारों का प्रयोग न करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
  • उन्होंने कहा कि भारत परमाणु निशस्त्रीकरण और अप्रसार व्यवस्था को मज़बूत करने के वैश्विक प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार रहा है। 
  • केंद्रीय विदेश सचिव की बात से स्पष्ट होता है कि भारत ने अपनी ‘नो फर्स्ट यूज़ नीति’ में कोई बदलाव नहीं किया है।    
  • गौरतलब है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री ने वर्ष 2019 के चुनावों के बाद भारत की परमाणु नीति में बदलाव के संकेत दिये थे, उन्होंने आने वाले दिनों में ‘नो फर्स्ट यूज़ नीति’ के प्रति भारत के रवैये को भविष्य की परिस्थितियों पर निर्भर बताया था।  
  • वर्ष 1998 के पोखरण परीक्षण के बाद भारत द्वारा वर्ष 1999 में एक परमाणु सिद्धांत (Nuclear Doctrine) जारी किया गया,  जिसके तहत ‘नो फर्स्ट यूज़ नीति’ को शामिल किया गया था।

बहुपक्षीय प्रयासों की भूमिका:   

  • केंद्रीय विदेश सचिव ने ‘निशस्त्रीकरण सम्मेलन’ (The Conference on Disarmament- CD) को विश्व का एक मात्र बहुपक्षीय निशस्त्रीकरण समझौता मंच बताया और भारत द्वारा इस मंच के माध्यम से एक व्यापक परमाणु हथियार सम्मेलन के तहत वार्ता आयोजित करने के समर्थन की बात कही। 
  • भारत निशस्त्रीकरण सम्मेलन में विशेष समन्वयक (Special Coordinator or CD/1299) की रिपोर्ट (24 मार्च, 1994) के आधार पर ‘फिशाइल मैटेरियल कट-ऑफ ट्रीटी’ (Fissile Material Cut-off Treaty) के संदर्भ में भी बातचीत के लिये प्रतिबद्ध है। 
    • गौरतलब है कि CD/1299 के तहत आयोजित चर्चा के माध्यम से  "परमाणु हथियारों या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों के लिये फिशाइल सामग्री के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने हेतु संधि पर बातचीत की पहल को दिशा दी गई थी।  

परमाणु निशस्त्रीकरण की आवश्यकता:

  • शीत युद्द के बाद विश्व में परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल प्रणाली के विकास को सीमित करने पर विशेष बल दिया गया। 
  • परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty- NPT) और नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (New Strategic Arms Reduction Treaty-START) इस दिशा में की गई पहलों के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। 
  • हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में चीन के एक नई सैन्य शक्ति के रूप में उभरने से वैश्विक शक्ति संतुलन में भारी बदलाव देखने को मिला है। इसके अतिरिक्त चीन के कई महत्त्वपूर्ण हथियार नियंत्रण संधियों में शामिल न होना एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। 
  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 में अमेरिका के ‘मध्यम दूरी परमाणु बल संधि’ (Intermediate-Range Nuclear Forces-INF Treaty) से अलग होने के बाद वैश्विक पर हथियारों के विकास पर रोक लगाने के लिये एक नई व्यवस्था की मांग बढ़ी है। 

‘निशस्त्रीकरण सम्मेलन’

(The Conference on Disarmament- CD)

  • निशस्त्रीकरण सम्मेलन (CD) संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA द्वारा मान्यता प्राप्त एक बहुपक्षीय निशस्त्रीकरण वार्ता मंच है। 
  • वर्तमान में यह परमाणु निशस्त्रीकरण, अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ की रोकथाम, सामूहिक विनाश के नए प्रकार के हथियार और रेडियोलॉजिकल हथियारों के विकास को रोकने आदि के क्षेत्र में कार्य करता है। 

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस: 

  • वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा ‘26 सितंबर’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।
  • इस घोषणा का उद्देश्य परमाणु निशस्त्रीकरण पर सहयोग और जन-जागरूकता को बढ़ावा देना था, ध्यातव्य है कि इससे पहले वर्ष 2009 में UNGA द्वारा 29 अगस्त को ‘परमाणु परीक्षण विरोधी अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day against Nuclear Tests) के रूप में घोषित किया गया था।

स्रोत: द हिंदू

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