वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच पर भारत | 26 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:स्वच्छ ऊर्जा, जैव ईंधन, अंतर्राष्ट्रीय समूह और मंच, सरकार की पहल मेन्स के लिये:जैव ईंधन के लाभ, स्थायी जैव ईंधन के लिये सरकारी प्रयास, स्वच्छ ऊर्जा के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंच |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में पिट्सबर्ग, पेनसिल्वेनिया में वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच-2022 में भारत के प्रतिनिधि ने कहा है कि "सतत् जैव ईंधन परिवहन क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"
वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच:
- विषय:
- अमेरिका ने पहली बार वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच की मेज़बानी की, जो 21 से 23 सितंबर, 2022 तक 13वें स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (CEM 13) और 7वें मिशन इनोवेशन मिनिस्ट्रियल (MI-7) का संयुक्त आयोजन है।
- मुख्य बिंदु:
- CEM13/MI-7 का केंद्रीय बिंदु है: तेज़ी से नवाचार और विस्तार।
- इसका अर्थ है स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विस्तार के लिये सहयोग और साझा रणनीतियों के माध्यम से नवाचार की गति एवं पैमाने को तेज़ करना।
- CEM13/MI-7 का केंद्रीय बिंदु है: तेज़ी से नवाचार और विस्तार।
- उद्देश्य:
- वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा नेतृत्व और सहयोग को एक संवादात्मक, प्रेरक एवं प्रभावशाली कार्यक्रम के माध्यम से परिभाषित करना जो वैश्विक नेताओं को उनके जलवायु प्रतिज्ञाओं को पूरा करने पर प्रकाश डालता है।
- उन कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना जो कम लागत, शून्य-उत्सर्जन ऊर्जा भविष्य के साथ सभी के लिये अवसर प्रदान करते हैं, विशेष रूप से रोज़गार के बेहतर अवसर।
- जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिये और उद्देश्यपूर्ण नवाचार हेतु एक अभूतपूर्व गति और पैमाने पर नवाचार एवं विस्तार के क्षेत्र में निरंतर विकास का प्रदर्शन करना।
- इस मंच पर भारत की भूमिका:
- स्वच्छ ऊर्जा में तेज़ी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में:
- भारत ने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करते हुए उन्नत सतत् जैव ईंधन पर काम कर रहे एक अंतःविषय टीम के साथ 5 जैव ऊर्जा केंद्र स्थापित करने की सूचना दी है।
- अप्रैल 2022 में, भारत ने नई दिल्ली में मिशन इनोवेशन एनुअल गैदरिंग की मेज़बानी की, मिशन इंटीग्रेटेड बायोरिफाइनरी को इंडिया और नीदरलैंड द्वारा लॉन्च किया गया था, इसका लक्ष्य कम कार्बन वाले भविष्य के लिये नवीकरणीय ईंधन, रसायनों तथा सामग्रियों के लिये नवाचार में तेज़ी लाने हेतु प्रमुख सदस्यों को एकजुट करना है।
- स्वच्छ ऊर्जा प्रदर्शन पर भारत:
- भारत, स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (CEM) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते, वर्ष 2023 में G-20 की अध्यक्षता के साथ-साथ बंगलूरू मेंं CEM-14 की मेज़बानी करेगा।
- भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिन्होंने दीर्घकालिक विज़न (2017-18 से 2037-38 तक 20 वर्ष की अवधि तक) के साथ कूलिंग एक्शन प्लान (CAPCAP) तैयार किया है, जो सभी क्षेत्रों में शीतलन आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
- भारत ने 2005 के स्तर की तुलना में 2030 में उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने के महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- भारत दुनिया में सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा (RE) विस्तार कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है, जिसमें देश में समग्र नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 के 32 गीगावाट से 5 गुना बढ़कर वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट और वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट हो जाएगी।
- स्वच्छ ऊर्जा में तेज़ी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में:
मंत्रिस्तरीय स्वच्छ ऊर्जा और मिशन नवाचार:
- मंत्रिस्तरीय स्वच्छ ऊर्जा :
- स्थापना:
- इसे दिसंबर 2009 में कोपेनहेगन में पार्टियों के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन में स्थापित किया गया था।
- उद्देश्य:
- यह नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिये एक उच्च स्तरीय वैश्विक मंच है जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाना तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था में संक्रमण को प्रोत्साहित करना है।
- केंद्र बिंदु:
- CEM तीन वैश्विक जलवायु और ऊर्जा नीति लक्ष्यों पर केंद्रित है:
- वैश्विक स्तर पर ऊर्जा दक्षता में सुधार।
- स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि।
- स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँच का विस्तार।
- CEM तीन वैश्विक जलवायु और ऊर्जा नीति लक्ष्यों पर केंद्रित है:
- सदस्य संख्या:
- 29 देश CEM का हिस्सा हैं।
- भारत भी इसका एक सदस्य देश है।
- स्थापना:
- मिशन इनोवेशन मिनिस्ट्रियल:
- विषय:
- मिशन इनोवेशन (MI) एक वैश्विक पहल है जो स्वच्छ ऊर्जा को सभी के लिये सस्ती, आकर्षक और सुलभ बनाने हेतु अनुसंधान, विकास एवं प्रदर्शन में एक दशक की कार्रवाई तथा निवेश को उत्प्रेरित करती है। यह पेरिस समझौते के लक्ष्यों की दिशा में विकास को गति देगा और शून्य तक चने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- लक्ष्य:
- शून्य-उत्सर्जन नौवहन
- हरित ऊर्जा भविष्य
- स्वच्छ हाइड्रोजन
- कार्बन डाइऑक्साइड को हटाना
- शहरी संक्रमण
- नेट ज़ीरो इंडस्ट्रीज
- एकीकृत बायोरिफाइनरी
- विषय:
जैव ईंधन:
- परिचय:
- कोई भी हाइड्रोकार्बन ईंधन जो किसी कार्बनिक पदार्थ (जैविक सामग्री) से कम समय (दिन, सप्ताह या महीनों) में उत्पन्न होता है, उसे जैव ईंधन माना जाता है।
- जैव ईंधन प्रकृति में ठोस, तरल या गैसीय हो सकता है।
- ठोस: लकड़ी, सूखे पौधे की सामग्री और खाद
- तरल: बायोइथेनॉल और बायोडीज़ल
- गैसीय: बायोगैस
- इन्हें परिवहन, स्थिर, पोर्टेबल और अन्य अनुप्रयोगों के लिये डीज़ल, पेट्रोल या अन्य जीवाश्म ईंधन के स्थान पर अथवा उनके साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इसके अलावा, इनका उपयोग ऊष्मा और विद्युत उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- जैव ईंधन उपयोग बढ़ने मुख्य कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, जीवाश्म ईंधन से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और किसानों के लाभ के लिये कृषि फसलों से ईंधन प्राप्त करने में रुचि हैं।
- जैव ईंधन को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहलें:
- 5 जैव ऊर्जा केंद्रों के तहत पहलें:
- “जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT), पैन आईआईटी सेंटर फॉर बायोएनर्जी (Pan IIT Center for Bioenergy)" ने थर्मोस्टेबल और ग्लूकोज़ टॉलरेंट β-ग्लूकोसिडेज़ विकसित किया है।
- DBT – आईसीजीईबी बायोएनर्जी सेंटर (ICGEB Bioenergy Centre) ने 2जी इथेनॉल उत्पादन के लिये बड़े पैमाने पर सेल्युलेस एंजाइम प्रौद्योगिकी विकसित की है।
- DBT -इंडियन ऑयल कोऑपरेशन लिमिटेड बायोएनर्जी सेंटर (Indian Oil Cooperation Limited Bio-energy Centre) फरीदाबाद ने निर्माणाधीन एक संयंत्र (प्रतिदिन 10 टन बायोमास) में विकसित ग्लाइकेन हाइड्रॉलिस का उपयोग करके बायोमास को इथेनॉल में बदलने की प्रक्रिया का मूल्यांकन किया है।
- DBT-आईसीटी सेंटर फॉर एनर्जी बायोसाइंसेज़ (ICT Centre for Energy Biosciences) का उद्देश्य कचरे के मूल्यवर्द्धन के लिये व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रौद्योगिकियों के निर्माण हेतु जैविक और रासायनिक परिवर्तन करना है।
- DBT-टीईआरआई बायोएनर्जी रिसर्च सेंटर (TERI Bioenergy Research Center) अगली पीढ़ी के फ़ीड के रूप में शैवाल बायोमास का उपयोग करके उन्नत जैव ईंधन, बायोडीजल, बायोहाइड्रोजन, पाइरोलाइटिक बायोइल के उत्पादन के लिये स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के विकास को लेकर सक्रिय रूप से खोज कर रहा है।
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. शैवाल आधारित जैव ईंधन का उत्पादन संभव है, लेकिन इस उद्योग को बढ़ावा देने में विकासशील देशों की संभावित सीमा/सीमाएँ क्या है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a)
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