अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-आसियान बैठक
- 10 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत-आसियान त्रिगुट (Troika) व्यापार मंत्रियों की बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक का उद्देश्य वर्तमान में जारी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) पर अनौपचारिक विचार- विमर्श करना था।
- भारत में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी को अपनी एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy) के विस्तार के रूप में माना जाता है जिसमें सभी क्षेत्र में आर्थिक विकास एवं स्थायित्व के लिये व्यापक संभावनाएँ हैं।
- विशेषज्ञ स्तर पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी वार्ताओं के 26वें दौर में कुछ प्रगति हुई है। ये वार्ताएँ हाल ही में मेलबर्न में संपन्न हुई तथा इस दौरान सदस्य देशों ने कुछ हद तक लचीलापन रुख अपनाते हुए सामंजस्य स्थापित किया।
- भारत ने भी इन वार्ताओं के दौरान काफी हद तक लचीला रुख दिखाया तथा कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में समुचित सामंजस्य स्थापित करने में सहायता की है।
- आने वाले समय में चीन और वियतनाम में होने वाली वार्ताओं के दौरान और ज़्यादा सामंजस्य स्थापित किये जाने की संभावना है।
भारत की स्थिति
- पिछले मुक्त व्यापार समझौतों के प्रभाव के बारे में भारतीय उद्योग जगत में आशंका और निराशावाद है।
- भारत ने वस्तुओं के मामले में जितनी रियायतें दी हैं उनके मुकाबले उसे अपेक्षाकृत कम छूट प्राप्त हुई है।
- मूल देश के प्रावधानों पर अमल नहीं करने और इस तरह के उल्लंघन की जांच एवं उन्हें सुलझाने में पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण भारत में वस्तुओं के आयात में काफी वृद्धि देखने को मिली है।
- विभिन्न मानकों के साथ-साथ इस क्षेत्र में नियामकीय कदमों और अन्य गैर-शुल्क बाधाओं के कारण भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (ASEAN-India Free Trade Area- AIFTA) के तहत भारत द्वारा प्राथमिकता प्राप्त शुल्क दरों का उपयोग 30 प्रतिशत से कम है।
चुनौतियाँ
- भारतीय वस्तुओं के मामले में विशेषकर चीन के साथ बाज़ार पहुँच से जुड़े मुद्दे काफी जटिल हैं।
- भारतीय उद्योग जगत इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों विशेषकर वस्तुओं और सेवाओं के मामले में संतुलित नतीजे सुनिश्चित करते हुए सभी के लिये लाभप्रद साबित होगी।