भारत और सऊदी अरब | 28 Nov 2019
मेन्स केलिये:
भारत-सऊदी अरब संबंध
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-सऊदी अरब के मध्य रणनीतिक साझेदारी परषिद की स्थापना तथा नशीली दवाइयों, मादक पदार्थों और प्रतिबंधित रसायनों की अवैध बिक्री एवं तस्करी को रोकने के लिये हस्ताक्षरित अनुबंध को कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की।
प्रमुख बिंदु
- इस अनुबंध के चलते दोनों देशों के उच्च स्तरीय नेतृत्व इस रणनीतिक भागीदारी के तहत चल रही पहलों/परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी करने के लिये नियमित तौर पर मिलने में समर्थ होंगे।
- इससे रणनीतिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी और यह अर्जित किये जाने वाले लक्ष्यों और प्राप्त होने वाले लाभों को भी परिभाषित करेगा।
लाभ:
- इस प्रस्ताव का उद्देश्य लिंग, वर्ग या आय के पूर्वाग्रह के बिना सऊदी अरब के साथ बेहतर आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों से नागरिकों को लाभ पहुँचाना है।
- सऊदी अरब के साथ किया गया यह अनुबंध रक्षा, सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने, ऊर्जा सुरक्षा तथा नवीकरणीय ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में भागीदारी के नए मार्ग प्रशस्त करेगा।
- समझौता ज्ञापन से संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण सम्मेलन द्वारा परिभाषित नशीली दवाइयों, नशीले पदार्थों एवं प्रतिबंधित रसायनों की अवैध बिक्री एवं तस्करी रोकने के लिये दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा।
- समझौता ज्ञापन के तहत नशीली दवाइयों के उत्पादकों, तस्करों एवं अवैध विक्रेताओं की संदिग्ध गतिविधियों, आग्रह करने पर एनडीपीसी की अवैध बिक्री के विवरण और नशीली दवाइयों से संबंधित आरोप में गिरफ्तार विक्रेताओं के वित्तीय हालात से संबंधी जानकारियाँ साझा करने का प्रावधान है।
- समझौता ज्ञापन के तहत नशीली दवाइयों, नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री के आरोप में गिरफ्तार दूसरे देश के नागरिकों के विवरण के बारे में अधिसूचित करने और गिरफ्तार व्यक्ति को दूतावास संबंधी मदद मुहैया कराने का प्रावधान है।
- समझौता ज्ञापन के तहत दोनों में से किसी भी देश में अंदर बरामद की गई नशीली दवाइयों, नशीले पदार्थों का रासायनिक विश्लेषण और नशीली दवाइयों एवं नशीले पदार्थों के बारे में आँकड़े/सूचना साझा करने का प्रावधान है।
अवैध नशीली दवाइयों की बिक्री एक वैश्विक अवैध व्यापार बन गया है। नशीले पदार्थों का बड़े स्तर पर उत्पादन और विभिन्न सरल मार्गों खासकर अफगानिस्तान के ज़रिये इनका प्रसार बढ़ने से युवाओं के बीच इनका उपभोग ऊँचे स्तर पर पहुँच चुका है जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है तथा समाज में अपराध बढ़े हैं। नशीले पदार्थों की बिक्री से दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में बगावत और आतंकवाद के लिये धन मुहैया कराया जाता है।
भारत-सऊदी अरब संबंध
- भारत-सऊदी अरब के मध्य द्विपक्षीय आर्थिक संबंध विभिन्न प्रयासों के बावजूद सीमित ही बने हैं। पिछले कुछ वर्षों में तेल के दामों में आई गिरावट ने इस व्यापार में और कमी की है। वर्ष 2019 के प्रथम 9 माह के लिये द्विपक्षीय व्यापार 22 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत कम है। यह व्यापार अत्यधिक असंतुलित है, एक ओर जहाँ कुल व्यापार में भारतीय निर्यात का हिस्सा केवल 20 प्रतिशत है, वहीं दूसरी ओर इस व्यापार में प्रमुख हिस्सा तेल से संबंधित है।
- भारत एवं सऊदी अरब दोनों इस बात के पक्षधर हैं कि व्यापार में न सिर्फ विविधता होनी चाहिये बल्कि यह संतुलित भी होना चाहिये, जिससे यह दीर्घकाल तक सतत् बना रहे। संबंधों में उतर-चढ़ाव के कारण भारत में सऊदी अरब का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कुल विदेशी निवेश का 0.05 प्रतिशत है, इसे भी स्वाभाविक रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है।
- हालाँकि सऊदी अरब ने अपने विज़न 2030 के रणनीतिक दस्तावेज़ में आठ प्रमुख साझीदारों की सूची में भारत को भी शामिल किया है। साथ ही सऊदी अरामको महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर स्थित रायगढ़ में प्रस्तावित 44 बिलियन डॉलर की रिफाइनरी में प्रमुख साझीदार बनने जा रही है। इसके अतिरिक्त सऊदी अरब भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों में भी सहयोग प्रदान कर रहा है।
- विदित है कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आयात पर निर्भर है तथा सऊदी अरब भी अपने तेल निर्यात के लिये भारत को एक बाज़ार के रूप में देख रहा है।
निष्कर्ष
- वर्तमान में भारत-सऊदी अरब संबंध तेल व्यापार से आगे बढ़ रहे हैं तथा दोनों देश आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर भी करीब आए हैं। यह समय की मांग है कि दोनों देशों के बीच एक मज़बूत साझेदारी हो जिससे दोनों देश अपने साझा हितों की पूर्ति कर सकें।