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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत एवं केन्या मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों के प्रति आशान्वित

  • 13 Jan 2017
  • 4 min read

सन्दर्भ 

गांधीनगर में वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये भारत आए केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याता  (Uhuru Kenyata) ने भारत के साथ बहुपक्षीय संबंधो को मज़बूत करने की बात की है |

भारत - केन्या के आरंभिक संबंध

  • केन्या के साथ भारत के रिश्ते सदियों पुराने हैं। भारत और केन्या ने उपनिवेशवाद के खिलाफ एक-साथ संघर्ष किया था। दोनों ही देश लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं के प्रति आस्था से बंधे हुए हैं। 
  • भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का केन्याई राष्ट्रपति के पिता राष्ट्रपति जोमो केन्याता के साथ सौहर्द्रपूर्ण संबध थे, जिन्होंने केन्या राष्ट्र की नींव डाली थी।
  • गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा प्रोत्साहित भारतीय समुदाय ने केन्या के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा  लिया था। 
  • केन्या के राष्ट्रपति ने केन्या में रह रहे भारतीय समुदाय की सराहना करते हुए इसे केन्याई समाज का अभिन्न अंग बताया। 

वर्तमान स्थिति 

  • तीन दशकों के लंबे अंतराल के बाद दोनों देशों के बीच इतने उच्च स्तर पर आदान-प्रदान हो रहे हैं। 
  • दोनों देशों के बीच व्यापार का स्तर फिलहाल अपेक्षित संभावनाओं से कम है, अतः दोनों देशों के बीच आपसी आर्थिक सम्पर्कों में और ज़्यादादा वृद्धि करने तथा विविधता लाने की आवश्यकता है। 
  • विदित हो कि जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग की नई शुरुआत के बाद भारत और केन्या ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।
  • भारत दोनों ही देशों के उद्योग जगत एवं कारोबारियों द्वारा स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, समुद्री संसाधनों से जुड़ी अर्थव्यवस्था और ऊर्जा क्षेत्र में आपसी सहयोग के अवसरों की तलाश के लिए किये जा रहे प्रयासों का स्वागत करता है।
  • गुजरात बाइब्रेंट शिखर सम्मेलन के दौरान ही दोनों देशों के मध्य कृषि क्षेत्र एवं कृषि के मशीनीकरण के लिये 100 मिलियन डॉलर तक के ऋण को लेकर भी दो समझौते हुए| साथ ही, केन्या ने भारत के समक्ष केन्या के कृषि, सुरक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में निवेश का भी प्रस्ताव रखा| 
  • इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में सुधार तथा उसे और अधिक मज़बूत बनाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया| गौरतलब है कि केन्या, संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधारों की मांग करने वाली अफ्रीकी संघ की 10 सदस्यीय समिति का सदस्य भी है|

निष्कर्ष

भारत और केन्या ने मिलकर एक-दूसरे की भावनाओं के प्रति सहमति जताते हुए आपसी संपर्कों को और ज़्यादा बढ़ाने का आह्वान किया है, ताकि दोनों ही देश परस्पर संबंधों एवं व्यावसायिक विकास को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिये प्रेरित हो सकें|  ऐसा विश्वास जताया जा रहा है कि केन्या के राष्ट्रपति की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच सहयोग और ज़्यादा विस्तृत एवं गहरा होगा तथा  द्विपक्षीय संबंधों के  नए आयाम खुलेंगे।

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