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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका और टिकटॉक

  • 05 Aug 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये

टिकटॉक, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

मेन्स के लिये

टिकटॉक की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, टिकटॉक पर प्रतिबंध के निहितार्थ

चर्चा में क्यों?

भारत द्वारा टिकटॉक (TikTok) समेत अन्य एप्स पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध के बाद अब टिकटॉक, अमेरिका और चीन के बीच तेज़ी से बढ़ते डिजिटल युद्ध के केंद्र में भी आ गया है।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि बीते दिनों भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act) की धारा 69 (A) का प्रयोग करते हुए चीन द्वारा निर्मित और संचालित 59 एप्स को प्रतिबंधित कर दिया है, जिनमें टिकटॉक, शेयर इट, कैम स्कैनर इत्यादि शामिल थे।

टिकटॉक  और अमेरिका

  • भारत द्वारा टिकटॉक और अन्य एप्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद अमेरिका भी इसी प्रकार की कार्रवाई पर विचार कर रहा है।
  • ध्यातव्य है कि इस संबंध में अमेरिका ने भी सुरक्षा कारणों का हवाला दिया है।
  • केवल टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के बजाय अमेरिका, चीन की इंटरनेट कंपनी बाइटडांस (ByteDance), जिसके पास टिकटॉक का मालिकाना हक है, पर अपने व्यवसाय को अमेरिका की दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) को सौंपने का दबाव बना रहा है।
  • ध्यातव्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO), सत्य नडेला के साथ बातचीत करके बाइटडांस और माइक्रोसॉफ्ट वार्ता में हस्तक्षेप भी किया है।

माइक्रोसॉफ्ट के लिये टिकटॉक का महत्त्व

  • उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 तक विश्व में टिकटॉक के पास कुल 800 मिलियन से भी अधिक उपयोगकर्त्ता थे। केवल अमेरिका में ही बीते वर्ष टिकटॉक को कुल 49 मिलियन बार डाउनलोड किया गया था। 
  • अनुमान के अनुसार, अमेरिका में टिकटॉक उपयोगकर्त्ता औसतन एक दिन में 8 बार और लगभग 40 मिनट तक इस एप का प्रयोग करते हैं।
  • इस प्रकार यदि माइक्रोसॉफ्ट, टिकटॉक को प्राप्त करने में सफल रहता है तो उसे अमेरिका में टिकटॉक उपयोगकर्त्ताओं का एक व्यापक आधार मिलेगा।
  • गौरतलब है कि माइक्रोसॉफ्ट अमेरिका की अन्य दिग्गज कंपनियों जैसे फेसबुक और गूगल आदि से सोशल मीडिया के क्षेत्र में काफी पीछे रही है, शायद इसका मुख्य कारण यह है कि माइक्रोसॉफ्ट के पास कोई विशिष्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं है, यदि माइक्रोसॉफ्ट टिकटॉक का अधिग्रहण कर लेता है तो उसकी यह कमी भी पूरी हो जाएगी और उसे एक पहले से बना हुआ तथा प्रसिद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्राप्त होगा।

टिकटॉक के साथ क्या समस्या है?

  • अमेरिका में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की शुरुआत मुख्यतः दो कारणों से हुई, सबसे पहला तो यह कि टिकटॉक चीन की एक इंटरनेट कंपनी, बाइटडांस के स्वामित्त्व में है और दूसरा यह कि चीन लगातार तकनीक समेत अन्य विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दे रहा है।
  • अमेरिका में इस बात को लेकर चिंता काफी बढ़ गई है कि चीन की सरकार इस एप के माध्यम से उन अमेरिकियों के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकती है जो इसका उपयोग कर रहे हैं, ऐसे में अमेरिका के नागरिकों की निजता पर एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है, हालाँकि टिकटॉक ने बार-बार इन आरोपों से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। 
  • ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि चीन की स्वामित्त्व वाली कंपनियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक बड़ा खतरा पैदा करती हैं, क्योंकि चीन के स्थानीय कानूनों के तहत चीन की सरकार को चीन में कार्य कर रही कंपनियों के डेटा तक पहुँच प्राप्त है।
  • अमेरिका ने इससे पूर्व भी चीन की हूवेई (Huawei) और जेडटीई (ZTE) कंपनियों पर इसी प्रकार के आरोप लगाए थे। इस प्रकार अब टिकटॉक अमेरिका और चीन के बीच इस डिजिटल युद्ध के केंद्र में आ गया है।

अमेरिका-चीन डिजिटल युद्ध

  • गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में उद्योग विकास एवं तकनीक के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के मध्य तनाव में काफी तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है, बीते एक दशक में वैश्विक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दो दिग्गज देशों के बीच यह एक द्वंद्वयुद्ध के रूप में परिवर्तित होता दिखाई दे रहा है। 
  • बीते दिनों अमेरिका ने चीन की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी हुआवे (Huawei) पर कई प्रतिबंध अधिरोपित किये थे। ध्यातव्य है कि ये प्रतिबंध ऐसे समय में लगाए गए थे जब वैश्विक स्तर पर लगभग सभी देशों में 5G को शुरू करने की तैयारी की जा रही है, ऐसे में अमेरिका के इस निर्णय से चीन की 5G तकनीक पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • वर्ष 2012 में चीन की दूरसंचार कंपनियों के कारण उत्पन्न खतरे की जाँच करने वाली एक अमेरिकी समिति ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि हुआवे और चीन की एक अन्य दूरसंचार कंपनी ज़ेडटीई (ZTE) को विदेशी राष्ट्र जैसे चीन आदि के प्रभाव से मुक्त नहीं माना जा सकता है और इस प्रकार ये कंपनियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये एक सुरक्षा खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।

क्या है टिकटॉक?

  • ध्यातव्य है कि टिकटॉक लघु वीडियो साझा करने वाला एक प्रसिद्ध प्लेटफॉर्म है, और यह उपयोगकर्त्ताओं को किसी भी विषय पर तकरीबन 15-सेकंड के वीडियो बनाने और उसे साझा करने की अनुमति देता है।
  • 2019 की शुरुआत से ही यह एप कई बार शीर्ष स्थान पर रहा है, गौरतलब है कि महामारी-जनित लॉकडाउन के दौरान इस एप में आम लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ी है।
  • एक अनुमान के अनुसार,  जनवरी 2020 तक विश्व में टिकटॉक के 800 मिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्त्ता थे, जिसमें से सबसे अधिक उपयोगकर्त्ता भारत में थे, हालाँकि अभी इस एप को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है।

भारत और टिकटॉक

  • बीते दिनों भारत सरकार ने चीन से संचालित टिकटॉक समेत कुल 59 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। 
  • हालाँकि सरकार ने यह प्रतिबंध डेटा सुरक्षा एवं गोपनीयता की दृष्टि से प्रस्तावित किया है, किंतु विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत सरकार द्वारा की गई यह कार्रवाई भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव का परिणाम है।
  • यह देखते हुए कि भारत टिकटॉक के वैश्विक बाज़ार का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, सरकार के इस निर्णय का टिकटॉक के राजस्व पर काफी गहरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
  • इसके अलावा भारत सरकार का यह प्रतिबंध 21वीं सदी की डिजिटल महाशक्ति बनने के चीन के सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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