‘ट्रेंड इन वर्ल्ड मिलिट्री एक्सपेंडेचर’ रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु | 28 Apr 2020
प्रीलिम्स के लिये:‘ट्रेंड इन वर्ल्ड मिलिट्री एक्सपेंडेचर’ रिपोर्ट, रक्षा बजट मेन्स के लिये:सैन्य शक्ति में निरंतर वृद्धि और वैश्विक शांति, भारतीय रक्षा क्षेत्र का विकास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Stockholm International Peace Research Institute- SIPRI) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में विश्व में सर्वाधिक सैन्य खर्च वाले देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर रहा है।
मुख्य बिंदु:
- हाल ही में SIPRI ने ‘ट्रेंड इन वर्ल्ड मिलिट्री एक्सपेंडेचर, 2019’ (Trends in World Military Expenditure, 2019) नामक रिपोर्ट जारी की है।
- SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर सैन्य खर्च बढ़कर 1,917 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गया।
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में चीन का सैन्य खर्च वर्ष 2018 की तुलना में 5.1% की वृद्धि के साथ 261 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- वर्ष 2019 में भारत का कुल सैन्य खर्च 71.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, वर्ष 2018 की तुलना में भारतीय सैन्य खर्च में 6.8% की वृद्धि देखी गई।
वैश्विक आँकड़े:
- SIPRI रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में सर्वाधिक सैन्य खर्च के मामले में शीर्ष 5 देश निम्नलिखित हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): 732 बिलियन अमेरिकी डॉलर
- चीन: 261 बिलियन अमेरिकी डॉलर
- भारत: 71.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर
- रूस: 65.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर
- सऊदी अरब: 61.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर
- वर्ष 2019 के कुल वैश्विक सैन्य खर्च का 62% इस सूची के शीर्ष 5 देशों द्वारा किया गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में वैश्विक जीडीपी (GDP) का 2.2% वैश्विक स्तर पर सैन्य खर्च के रूप में इस्तेमाल किया गया।
- वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 के कुल वैश्विक सैन्य खर्च में 3.8% की वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2010 के बाद अब तक की सबसे अधिक वृद्धि है।
भारत का सैन्य खर्च:
- SIPRI के अनुसार, हाल के कुछ दशकों में भारतीय सैन्य खर्च में लगातार वृद्धि हुई है, पिछले 30 वर्षों (वर्ष 1990-2019) के बीच भारतीय सैन्य खर्च में 259% की वृद्धि और वर्ष 2010-19 के बीच 37% की वृद्धि दर्जकी गई है।
- हालाँकि पिछले एक दशक में भारत की जीडीपी पर सैन्य खर्च का भार कम हुआ है (वर्ष 2010 में 2.7% जबकि वर्ष 2019 में मात्र 2.4%)।
- फरवरी 2020 में संसद में प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2020-21 के कुल 30,42,230 करोड़ रुपए बजट में से 3,37,553 करोड़ रुपए (रक्षा पेंशन को छोड़कर) सैन्य खर्च के रूप में आवंटित किये गए, इसके अतिरिक्त 1,33,825 करोड़ रुपए रक्षा पेंशन के रूप में आवंटित किये गए हैं।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 का कुल रक्षा बजट केंद्र सरकार के कुल खर्च (वित्तीय वर्ष 2020-21) का 15.49% है।
अन्य प्रमुख देश:
- SIPRI की इस सूची में पाकिस्तान वर्ष 2019 में सैन्य खर्च के मामले में विश्व में 24वें स्थान पर रहा जबकि वर्ष 2018 में वह इस सूची में 19वें स्थान पर था।
- वर्ष 2010 से 2019 के बीच पाकिस्तान के सैन्य खर्च में 70% की वृद्धि के साथ 10.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- हालाँकि सैन्य खर्च में हुई इस वृद्धि का प्रभाव सरकारी कोष पर भी पड़ा है। इस दौरान देश की जीडीपी पर सैन्य खर्च का दबाव 3.4% (वर्ष 2010) से बढ़कर 4% (वर्ष 2019) तक पहुँच गया है।
- इस वर्ष ईरान के सैन्य खर्च में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 15% की गिरावट देखने को मिली, वर्ष 2019 में ईरान का कुल सैन्य खर्च 12.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया।
- SIPRI की इस सूची में यूरोप के देशों में फ्राँस (50.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर/1.6% की वृद्धि) और जर्मनी (49.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर/10% की वृद्धि) क्रमशः छठे और सातवें स्थान पर रहे।
- इसके साथ ही जापान (47.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और दक्षिण कोरिया (43.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर) इस सूची में क्रमशः 9वें और 10वें स्थान पर रहे।
सैन्य खर्च में वृद्धि के कारण:
- चीन और पाकिस्तान से भारत के तनावपूर्ण संबंध भारतीय सैन्य खर्च में हो रही लगातार वृद्धि का प्रमुख कारण हैं।
- विशेषज्ञों के अनुसार, जर्मनी द्वारा सैन्य खर्च में वृद्धि किये जाने का एक कारण यूरोप और नाटो (NATO) के कुछ देशों के बीच रूस की बदलती छवि का प्रभाव भी हो सकता है।
- हालाँकि COVID-19 की वैश्विक महामारी का प्रभाव भविष्य में देशों के सैन्य खर्च पर भी देखा जा सकता है।