गोल्ड रिज़र्व में भारत शीर्ष 10 देशों में शामिल | 05 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल’ (World Gold Council-WGC) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में स्वर्ण भंडार के मामले में भारत का 10वाँ स्थान है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत का स्वर्ण भंडार कुल 618.2 टन है।
- WGC द्वारा इसी वर्ष मार्च में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विश्व में 11वाँ (607 टन) स्थान था।
- भारत का स्वर्ण भंडार दो दशकों में 357.8 टन से बढ़कर वर्तमान में 618.2 टन हो गया है।
- शीर्ष दस देशों की सूची में भारत को स्थान तब प्राप्त हुआ है जब स्वर्ण की मासिक खरीद की मात्रा तीन वर्षों में सबसे कम है।
- अधिकांश देशों का यह डेटा जुलाई 2019 तक का है क्योंकि डेटा संकलन के दो महीने के अंतराल के बाद रिपोर्ट जारी की जाती है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका (8,134 टन) के पास सर्वाधिक स्वर्ण भंडार है तथा जर्मनी (3,367 टन) दूसरा सर्वाधिक स्वर्ण भंडार वाला देश है।
- जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) 2,451.8 टन के स्वर्ण भंडार के साथ तीसरे स्थान पर है इसके बाद इटली (2,451.8 टन), फ्राँस (2,436.1 टन), रूस (2,219.2 टन), चीन (1,936.5 टन), स्विट्ज़रलैंड (1,040 टन), जापान (765.2 टन) और भारत (618.2 टन) हैं।
स्वर्ण भंडार और अर्थव्यवस्था
मुद्रास्फीति के विरुद्ध बचाव: स्वर्ण के अंतर्निहित मूल्य (Inherent Value) और सीमित आपूर्ति के कारण मुद्रास्फीति (Inflation) के समय इसकी मांग में वृद्धि हो जाती है क्योंकि मुद्रा के अन्य रूपों की तुलना में स्वर्ण बेहतर मूल्य बनाए रखने में सक्षम है।
मुद्रा की सामर्थ्य: जब कोई देश निर्यात से अधिक आयात करता है तो उसकी मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation) होगा, वहीँ दूसरी ओर किसी देश का शुद्ध निर्यातक होने पर उसकी मुद्रा का अधिमूल्यन (Revaluation) होता है।
- यदि सोने की कीमत बढ़ती है तो इससे किसी देश के कुल निर्यात का मूल्य बढ़ जाता है। इसलिये सोने का निर्यात करने वाला या सोने के भंडार तक पहुँच रखने वाले देश की मुद्रा का अधिमूल्यन होगा।
- केंद्रीय बैंक देश के स्वर्ण भंडार में वृद्धि (स्वर्ण की अधिक खरीदारी के लिये) हेतु अधिक मुद्रा छापने पर भरोसा करते हैं जिस कारण अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाती है।
- परिणामस्वरूप स्वर्ण खरीदने के लिये उपयोग की जाने वाली मुद्रा का अवमूल्यन हो जाता है।
मुद्रा के रूप में: 20वीं शताब्दी के अधिकांश समय में विश्व आरक्षित मुद्रा के रूप में सोने का उपयोग किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 1971 तक गोल्ड स्टैंडर्ड का इस्तेमाल किया।
- गोल्ड स्टैंडर्ड के तहत पेपर मुद्रा स्वर्ण भंडार की सामान मात्रा से समर्थित होती थी।
हालांकि गोल्ड स्टैंडर्ड को बंद कर दिया गया है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council)
- वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) विश्व के प्रमुख स्वर्ण उत्पादकों का एक गैर-लाभकारी संघ है।
- इसका मुख्यालय लंदन में है।
- यह स्वर्ण उद्योग के लिये एक बाज़ार विकास संगठन है।
- WGC की स्थापना विपणन, अनुसंधान और लॉबिंग के माध्यम से सोने के उपयोग और मांग को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।