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भारत-विश्व

विभिन्न देशों के साथ भारत के अहम समझौते

  • 07 Jun 2018
  • 16 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न देशों के साथ कुछ महत्त्वपूर्ण समझौतों को मंज़ूरी प्रदान की है। इन समझौतों से होने वाले लाभ, इनकी पृष्ठभूमि आदि के विषय में इस लेख में वर्णन किया गया है। मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 (भारत और विश्व) के अंतर्गत भारत और पड़ोसी देशों के साथ इसके संबंधों के विषय में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। यदि उत्तर लेखन में इस प्रकार के समझौतों को उदहारण के तौर पर प्रस्तुत किया जाए तो इससे उत्तर अधिक प्रमाणिक हो जाता है।

भारत और डेनमार्क
केंद्रीय मंत्रिमंडल को सतत् और स्मार्ट शहरी विकास (Sustainable and Smart Urban Development) के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर भारत और डेनमार्क के बीच अप्रैल 2018 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। 

प्रमुख बिंदु

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य ज्ञान, संस्थागत सहयोग, अनुसंधान और विकास तथा संबंधित मुद्दों पर वाणिज्यिक संबंधों के आदान-प्रदान के माध्यम से पारस्परिक और लाभ के आधार पर सतत् और स्मार्ट शहरी विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • इसके अतंर्गत सहयोग के क्षेत्रों जैसे- स्मार्ट शहरी समाधान, टिकाऊ व एकीकृत शहरी नियोजन, पुनर्विकास और भूमि उपयोग, ऊर्जा में अपशिष्ट समेत एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, टिकाऊ परिवहन प्रणाली, जल एवं स्वच्छता प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता, संसाधनों का उपभोग तथा अन्य संबंधित क्षेत्रों आदि में पारस्परिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई। 

कार्यान्वयन रणनीति 

  • इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, एमओयू के ढाँचे के तहत सहयोग हेतु कार्यक्रमों की रणनीतियों और इन्हें कार्यान्वित करने हेतु एक संयुक्त कार्यकारी समूह (Joint Working Group -JWG) की स्थापना की जाएगी।
  • प्रतिभागियों की सहमति से भारत और डेनमार्क के ये संयुक्त कार्य समूह एक तय समय अंतराल पर मिलते भी रहेंगे। 

प्रमुख प्रभाव 

  • इस समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच सतत् और स्मार्ट शहरी विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

लाभार्थी 

  • इस समझौता ज्ञापन के ज़रिये ऊर्जा, टिकाऊ परिवहन प्रणाली, जल और स्वच्छता प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता, संसाधन संग्रहण सहित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में रोज़गार पैदा होने की उम्मीद है।

भारत और रूस
केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय डाक विभाग और रशिया पोस्‍ट (रूसी संघ की संयुक्‍त साझेदारी वाली कंपनी ‘मार्का’) के बीच संयुक्‍त डाक टिकट जारी करने के संबंध में हुए समझौते से अवगत कराया गया।

प्रमुख बिंदु

  • इसका उद्देश्‍य डाक टिकट जारी करने के क्षेत्र में पारस्‍परिक लाभ के लिये परिचालन उत्‍कृष्‍टता हासिल करना और डाक सेवा में सहयोग स्‍थापित करना है।   
  • भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंध पारस्‍परिक हितों के मुद्दों पर व्‍यापक समझ से प्रेरित हैं। भारत और रूस द्विपक्षीय संबंध के लगभग सभी क्षेत्रों में व्‍यापक सहयोग का फायदा उठा रहे हैं। 

भारत और ब्रिटेन
केंद्रीय मंत्रिमंडल को सतत् शहरी विकास के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर भारत और ब्रिटेन के बीच अप्रैल 2018 में हस्‍ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सतत् शहरी विकास के क्षेत्र में भारत और ब्रिटेन के बीच संस्‍थागत सहयोग उपलब्‍ध कराना और उसे मज़बूती देना है।
  • सहयोग के क्षेत्रों में स्‍मार्ट सिटी का विकास, ठोस कचरा प्रबंधन, पर्यावरण के अनुकूल किफायती आवास, अपशिष्‍ट जल प्रबंधन, शहरी संस्‍थानों में क्षमता निर्माण, शहरी क्षेत्रों में कौशल विकास, शहरी मोबिलिटी, बौद्धिक परिवहन प्रणाली एवं ट्रांजिट-केंद्रित विकास, वित्‍तीय पहुँच में नवाचार एवं अन्‍य संबंधित क्षेत्र शामिल हैं। दोनों पक्षों ने इन क्षेत्रों में सहयोग के लिये आपसी सहमति जताई थी।

कार्यान्‍वयन रणनीति 

  • इस एमओयू के तहत एक भारत-यूके संयुक्‍त कार्य समूह (जेडब्‍ल्‍यूजी) गठित किया जाएगा जो एमओयू के दायरे में सहयोग पर रणनीति एवं कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेगा।
  • शहरी विकास पर संयुक्‍त कार्य समूह की बैठक साल में एक बार होने की उम्‍मीद है। यह बैठक बारी-बारी से भारत और ब्रिटेन में होगी।

प्रमुख प्रभाव

  • यह एमओयू दोनों देशों के बीच सतत् शहरी विकास के क्षेत्र में दीर्घावधि द्विपक्षीय सहयोग को गहराई और मज़बूती देने के लिये प्रोत्‍साहित करेगा।

लाभार्थी

  • इस एमओयू से स्मार्ट सिटी का विकास, ठोस कचरा प्रबंधन, पर्यावरण के अनुकूल किफायती आवास, अपशिष्‍ट जल प्रबंधन, शहरी क्षेत्रों में कौशल विकास, शहरी मोबिलिटी बौद्धिक परिवहन प्रणाली जैसे क्षेत्रों में विकास किया जाएगा।

भारत और फ्राँस

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल को मार्च, 2018 में भारत और फ्राँस के बीच टिकाऊ शहरी विकास के क्षेत्र में हुए समझौते के बारे में जानकारी दी गई। यह समझौता 5 वर्ष की अवधि तक लागू रहेगा। 

प्रमुख बिंदु 
इस समझौते का उद्देश्‍य स्‍मार्ट सिटी, शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का विकास, शहरी व्‍यवस्‍थाओं और सुविधाओं (जल आपूर्ति और सिवरेज प्रणाली) की पूर्ति, ठोस कचरे का निपटान और प्रबंधन, कचरा भराव वाले स्‍थानों में सुधार, गैर राजस्‍व जल का प्रबंधन, जल का दोबारा उपयोग और रिसाइकलिंग, तकनीकी बदलाव, जलदायी स्‍तर का कृत्रिम रूप से पुनर्भरण द्वारा ताजे जल का संरक्षण, वृत्‍तीय अर्थव्‍यवस्‍था, सामूहिक आवास, पर्यावरण अनुकूल आवास, शहरी नियोजन, विरासत, मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण और दोनों पक्षों के आपसी सहमति से संबंधित अन्‍य क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है।

कार्यान्‍वयन रणनीति
इस समझौते के अंतर्गत सहयोग के आधार पर कार्यक्रमों की रणनीति तैयार करने और कार्यान्‍वयन के लिये इसके प्रारूप के तहत संयुक्‍त कार्य समूह गठित किया जाएगा। संयुक्‍त कार्य समूह वर्ष में एक बार बैठक करेगा, जो बारी-बारी से भारत और फ्राँस में आयोजित होंगी।

प्रमुख प्रभाव

  • इस समझौते से दोनों देशों के बीच टिकाऊ शहरी विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

लाभार्थी

  • इस समझौते से स्‍मार्ट सिटी विकास, शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, शहरी व्‍यवस्‍थाओं और सुविधाओं (जल आपूर्ति और सिवरेज प्रणाली) को मुहैया कराना, ठोस कचरे के निपटान और प्रबंधन, कचरा भराव वाले स्‍थानों में सुधार, किफायती आवास, कचरा प्रबंधन, शहरी वातावरण और विरासत संरक्षण के क्षेत्र में रोज़गार पैदा होने की संभावना है।

भारत और ओमान
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और ओमान के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंज़ूरी दी। इस एमओयू पर भारत की ओर से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और ओमान के परिवहन एवं संचार मंत्रालय ने फरवरी 2018 में मस्‍कट में हस्‍ताक्षर किये थे।

प्रमुख बिंदु 

  • इस एमओयू से इन क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा – अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग जैसे- पृथ्‍वी की रिमोट सेंसिंग, उपग्रह आधारित नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान एवं सौरमंडल से संबंधित खोज, अंतरिक्ष यान, अंतरिक्ष प्रणाली एवं ग्राउंड सिस्‍टम का इस्‍तेमाल और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग।
  • इस एमओयू के तहत एक संयुक्‍त कार्य समूह का गठन होगा जिसमें डीओएस/इसरो और ओमान के परिवहन एवं संचार मंत्रालय (एमटीसी) से सदस्‍य लिये जाएंगे जो समय सारणी एवं इस एमओयू को लागू करने के लिये साधनों सहि‍त कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करेंगे।
  • इससे पृथ्‍वी के रिमोट सेंसिंग, उपग्रह नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान एवं बाहरी अंतरिक्ष के अन्‍वेषण जैसे क्षेत्रों में नई अनुसंधान गतिविधियों की संभावनाएँ तलाशने एवं संभावित अनुप्रयोगों को बल मिलेगा। 

कार्यान्‍वयन रणनीति

  • इस हस्‍ताक्षरित एमओयू से एक संयुक्‍त कार्य समूह की स्‍थापना होगी जो समय सारणी और इस एमओयू के प्रावधानों को लागू करने के साधनों सहित एक कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करेगा।

लाभ

  • यह एमओयू मानवता की भलाई के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के क्षेत्र में संयुक्‍त गतिविधियों को बढ़ावा देगा। इस प्रकार इससे देश के सभी क्षेत्रों और तबकों को लाभ मिलेगा।

प्रभाव

  • इस एमओयू के ज़रिये ओमान के साथ सहयोग बढ़ेगा और मानवता की भलाई के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के क्षेत्र में संयुक्‍त गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

पृष्‍ठभूमि

  • ओमान ने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम तैयार करने के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ सहयोग में दिलचस्‍पी दिखाई थी।
  • इसी क्रम में मार्च 2011 में ओमान के संचार विभाग के एक 4-सदस्‍यीय प्रतिनिधिमंडल ने इसरो का दौरा किया था और इसरो के तकनीकी प्रतिष्‍ठानों को देखा था।
  • उसके बाद ओमान ने मई 2016 में ओमान में भारत के राजदूत के समक्ष इसरो के साथ अपने अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में सहयोग की इच्‍छा जताई थी।
  • तदनुसार दोनों पक्षों ने बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के लिये इस समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर के लिये पारस्‍परिक रूप से सहमति जताई।
  • इस एमओयू पर भारत की ओर से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और ओमान के परिवहन एवं संचार मंत्रालय ने 11 फरवरी, 2018 में मस्‍कट में हस्‍ताक्षर किये थे।

भारत और नीदरलैंड
केंद्रीय कैबिनेट ने भारत और नीदरलैंड के बीच अप्रैल, 2018 में स्‍थानीय नियोजन जल प्रबंधन और मोबिलिटी प्रबंधन के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को स्‍वीकृति दे दी है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस एमओयू का उद्देश्‍य जल आपूर्ति एवं निकासी व्‍यवस्‍था, अपशिष्‍ट जल के पुन: उपयोग और पुन: चक्रीकरण,  जल स्रोतों के कृत्रिम विकास के द्वारा स्‍वच्‍छ जल का संरक्षण, एकीकृत ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन और धरोहर संरक्षण त‍था परस्‍पर लाभ के लिये समानता, किफायती आवास, स्‍मार्ट सिटी विकास, भोगौलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के आधार पर दोनों देशों के बीच स्‍थानीय नियोजन, जल प्रबंधन और मोबिलिटी प्रबंधन के क्षेत्रों में भागीदारी को प्रोत्‍साहन देना और इसे मज़बूत बनाना है। 

कार्यान्‍वयन रणनीति 

  • इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत भागीदारी के वास्‍ते कार्यक्रमों के लिये रणनीति बनाने और उन्‍हें लागू करने के लिये एक संयुक्‍त कार्य समूह का गठन किया जाएगा। संयुक्‍त कार्य समूह की भारत और नीदरलैंड में बारी-बारी से साल में एक बार बैठक होगी। 

प्रमुख प्रभाव 

  • एमओयू से दोनों देशों के बीच स्‍थानीय नियोजन, जल प्रबंधन और मोबिलिटी प्रबंधन के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़़ावा मिलेगा। 

लाभार्थी 

  • एमओयू से स्‍थानीय नियोजन, जल प्रबंधन और मोबिलिटी प्रबंधन, स्‍मार्ट सिटी विकास, किफायती आवास, अपशिष्‍ट प्रबंधन, शहरी पर्यावरण और धरोहर संरक्षण के क्षेत्रों में रोज़गार पैदा होने का अनुमान है।
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