भारत-अफ्रीका साझेदारी: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और रोडमैप 2030 | 04 Jul 2023
प्रिलिम्स के लिये:AEG, ICCR, ITEC, G-20, भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन मेन्स के लिये:भारत-अफ्रीका साझेदारी: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और रोडमैप 2030 |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा स्थापित 20-सदस्यीय अफ्रीका विशेषज्ञ समूह (AEG) ने 'भारत-अफ्रीका साझेदारी: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और रोडमैप 2030' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।
- यह रिपोर्ट अफ्रीका के साथ भारत की महत्त्वपूर्ण साझेदारी पर प्रकाश डालती है और आपसी संबंधों को मज़बूत करने के लिये नियमित नीति समीक्षा एवं कार्यान्वयन के महत्त्व पर बल देती है।
- कुल वैश्विक आबादी की लगभग 17% जनसंख्या अफ्रीका में निवास करती है और वर्ष 2050 तक इसके 25% तक पहुँचने का अनुमान है, एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की भूमिका इस साझेदारी में महत्त्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- अफ्रीका में परिवर्तन:
- अफ्रीका में जनसांख्यिकीय, आर्थिक, राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखे जा रहे हैं। यह धीरे-धीरे क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में बढ़ रहा है तथा लोकतंत्र, शांति और प्रगति को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है।
- हालाँकि इथियोपिया, सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जैसे कुछ देश अभी भी विद्रोह, जातीय हिंसा और आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- प्रतिस्पर्द्धा और बाह्य साझेदार:
- चीन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई बाह्य साझेदार अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने के लिये सक्रिय रूप से प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
- उनका उद्देश्य बाज़ार पहुँच, ऊर्जा एवं खनिज संसाधनों को सुरक्षित करने के साथ ही क्षेत्र में अपने राजनीतिक तथा आर्थिक प्रभाव को बढ़ाना है।
- चीन की भागीदारी:
- चीन वर्ष 2000 से अफ्रीका के सबसे बड़े आर्थिक भागीदार के रूप में है। यह अफ्रीका में बुनियादी ढाँचे के विकास में सहायता करने, संसाधन प्रदाता तथा वित्तपोषक के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- चीन द्वारा वित्त, सामग्री तथा राजनयिक प्रयासों में अफ्रीका का पर्याप्त सहयोग किया गया है।
भारत-अफ्रीका संबंधों को मज़बूत करने के लिये अनुशंसाएँ:
- राजनीतिक एवं कूटनीतिक सहयोग को मज़बूत करना:
- भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के माध्यम से समय-समय पर नेताओं के मध्य वार्ता हेतु सम्मेलन आयोजित करना।
- भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन पूरी तरह से विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा प्रायोजित एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य अफ्रीकी देशों को मानव संसाधन और कृषि आदि में विकास की अपनी क्षमता विकसित करने में सहायता प्रदान करके भारत-अफ्रीका सहयोग सुनिश्चित करना है।
- अफ्रीकी संघ (AU's) की पूर्ण सदस्यता पर G-20 सदस्यों के बीच आम सहमति बनाना।
- अफ्रीकी मामलों के लिये विदेश मंत्रालय (EEE) में एक सचिव को नियुक्त करना।
- भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के माध्यम से समय-समय पर नेताओं के मध्य वार्ता हेतु सम्मेलन आयोजित करना।
- रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग में वृद्धि:
- अफ्रीकी रक्षा सहयोग में वृद्धि साथ ही रक्षा संबंधी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करना।
- समुद्री सहयोग को मज़बूत करना तथा रक्षा निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिये ऋण शृंखला का विस्तार करना।
- आतंकवाद विरोधी, साइबर सुरक्षा के साथ उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग का विस्तार करना।
- महत्त्वपूर्ण आर्थिक और विकास सहयोग:
- वित्त तक पहुँच बढ़ाने के लिये अफ्रीका ग्रोथ फंड (AGF) के निर्माण के माध्यम से भारत-अफ्रीका व्यापार को बढ़ावा देना।
- परियोजना निर्यात में सुधार और शिपिंग क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि करने हेतु विभिन्न उपाय लागू करना।
- त्रिपक्षीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग में उत्तरोत्तर वृद्धि करना।
- सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग में वृद्धि:
- भारतीय और अफ्रीकी विश्वविद्यालयों, विचारकों, नागरिक समाज और मीडिया संगठनों के बीच अधिकाधिक संवाद को सुविधाजनक बनाना।
- अफ्रीकी छात्रों के अध्ययन के लिये एक राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना।
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) छात्रवृत्ति का नामकरण प्रसिद्ध अफ्रीकी हस्तियों के नाम पर करना।
- भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अफ्रीकी छात्रों के लिये वीज़ा नीति को उदार बनाना और अल्पकालिक कार्य वीज़ा प्रदान करना।
- ‘रोडमैप 2030’ का क्रियान्वयन:
- विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के बीच सहयोग के माध्यम से 'रोडमैप 2030' को लागू करने के लिये एक विशेष तंत्र की स्थापना।
- विदेश मंत्रालय में अफ्रीकी सचिव और एक नामित उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के संयुक्त नेतृत्त्व में अधिकारियों की एक टीम का गठन।
- इस रोडमैप का पालन करके और अनुशंसित उपायों को लागू करके भारत तथा अफ्रीका के बीच साझेदारी और मज़बूत हो सकती है।
भारत-अफ्रीका संबंधों की उपलब्धियाँ:
- आर्थिक सहयोग:
- कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, कार और हल्की मशीनरी जैसी वस्तुओं के भारतीय विनिर्माताओं के लिये अफ्रीका एक विशाल अप्रयुक्त बाज़ार है।
- वर्ष 2011-2022 तक अफ्रीका के साथ भारत का कुल व्यापार में 68.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 90.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। साथ ही वर्ष 2022 में व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा।
- विकास कार्य में सहयोग:
- ITEC कार्यक्रम अफ्रीकी पेशेवरों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम की सुविधा प्रदान करता है। भारत ने बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं, कृषि विकास तथा क्षमता निर्माण के लिये ऋण और अनुदान की सीमा भी बढ़ा दी है।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग:
- भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों द्वारा अफ्रीकी देशों में स्वास्थ्य देखभाल पहुँच में सुधार करने के लिये सस्ती जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। भारत ने एचआईवी/एड्स, मलेरिया और इबोला जैसी बीमारियों से निपटने हेतु चिकित्सा टीमें भेजने के साथ ही तकनीकी सहायता भी प्रदान की है।
- रक्षा सहयोग:
- भारत ने हिंद महासागर रिम (IOR) पर सभी अफ्रीकी देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं, यह अफ्रीकी देशों के साथ बढ़ती रक्षा भागीदारी का प्रमाण है।
- लखनऊ (वर्ष 2020) और गांधीनगर (वर्ष 2022) में डिफेंस एक्सपो के मौके पर रक्षा मंत्रियों के स्तर पर आयोजित दो भारत-अफ्रीका रक्षा संवाद की मेज़बानी भी भारत-अफ्रीका के बीच रक्षा क्षेत्र में बढ़ते महत्त्व को दर्शाती है।
- वर्ष 2022 में भारत ने रक्षा क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिये तंज़ानिया और मोज़ाम्बिक के साथ त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास का पहला संस्करण शुरू किया था।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटल सहयोग:
- पैन अफ्रीकन ई-नेटवर्क परियोजना (वर्ष 2009 में आरंभ) के तहत भारत ने अफ्रीका के देशों को सैटेलाइट कनेक्टिविटी, टेली-मेडिसिन और टेली-एजुकेशन प्रदान करने के लिये एक फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क स्थापित किया है।
- वर्ष 2019 में ई-विद्याभारती और ई-आरोग्यभारती (e-VBAB) की शुरुआत की गई जो अफ्रीकी छात्रों को मुफ्त टेली-शिक्षा तथा स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित थी।
भारत के लिये अफ्रीका का महत्त्व:
- इस दशक में सबसे तेज़ी से विकसित होते रवांडा, सेनेगल, तंज़ानिया आदि आधा दर्जन से अधिक देश अफ्रीका में हैं जो अफ्रीका को विश्व के विकास ध्रुवों में से एक बनाता है।
- पिछले दशकों में अफ्रीका और उप-सहारा अफ्रीका में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 1980-90 के दशक की तुलना में दोगुने भी अधिक दर से बढ़ गई है।
- अफ्रीकी महाद्वीप की जनसंख्या एक अरब से अधिक है और संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 2.5 ट्रिलियन डॉलर है जो इसे एक विशाल संभावित बाज़ार बनाता है।
- अफ्रीका एक संसाधन संपन्न देश है जहाँ कच्चे तेल, गैस, दालें, चमड़ा, सोना और अन्य धातुओं का विशाल भंडार है जिनकी भारत में पर्याप्त मात्रा में कमी है।
- नामीबिया और नाइजर यूरेनियम के शीर्ष दस वैश्विक उत्पादकों में से हैं।
- दक्षिण अफ्रीका विश्व में प्लैटिनम और क्रोमियम का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत अपनी तेल आपूर्ति में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है जो मध्य पूर्व में दूर स्थित है तथा अफ्रीका भारत की ऊर्जा आवश्यकतओं को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. उभरते प्राकृतिक संसाधन समृद्ध अफ्रीका के आर्थिक क्षेत्र में भारत अपना क्या स्थान देखता है? (2014) प्रश्न. अफ्रीका में भारत की बढ़ती रुचि के अपने सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष हैं। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2015) |