सीआईआई एक्ज़िम बैंक कॉन्क्लेव में भारत-अफ्रीका | 20 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:सीआईआई EBC, इंडिया अफ्रीका ट्रेड मेन्स के लिये:भारत-अफ्रीका संबंध और समझौते, भारतीय अर्थव्यवस्था में अफ्रीका का महत्त्व, अफ्रीका में चीन की उपस्थिति, भारत-अफ्रीका संबंधों का इतिहास। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी (नई दिल्ली, भारत) पर 17वें भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक्ज़िम बैंक कॉन्क्लेव (EBC) में भारत ने अफ्रीका के साथ व्यापार और निवेश समझौते की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- इससे पहले भारतीय उपराष्ट्रपति ने सेनेगल का दौरा किया और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, युवा मामलों में सहयोग तथा वीज़ा मुक्त शासन के लिये तीन समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी पर CII EBC:
- परिचय:
- इसे वर्ष 2005 में विदेश मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से लॉन्च किया गया था।
- इसे "भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी पर CII EXIM बैंक कॉन्क्लेव" नाम दिया गया था, जो "परियोजना साझेदारी" पर पहले के प्रमुख समझौते का विस्तार करता है।
- महत्त्व:
- कॉन्क्लेव ने न केवल कई नई सीमा पार साझेदारी को जड़ें जमाने के लिये आधार तैयार किया है, बल्कि मौजूदा सहयोगी व्यवस्थाओं का महत्त्वपूर्ण मूल्यांकन भी किया है जिसके आधार पर भविष्य की अफ्रीका भागीदारी हेतु एक नया रोडमैप तैयार किया जाएगा।
- इसने भारत सरकार, एक्ज़िम बैंक और उद्योग के नीतिगत संवादों को आकार दिया है।
- इसने भारतीय निर्यातकों को अफ्रीकी देशों तक पहुँचने के लिये प्रोत्साहित किया है।
- इसने 4430 से अधिक परियोजनाओं पर चर्चा हेतु एक मंच प्रदान किया है।
- इसने उन कंपनियों को प्रोत्साहित किया है जो भारत सरकार की ऋण व्यवस्था से परे व्यवसाय के अवसरों को तलाश रही है।
- इसने भारतीय कंपनियों द्वारा व्यावसायिक प्रयासों का समर्थन करने के लिये प्रतिस्पर्द्धी ऋण सुविधाओं के साथ अफ्रीकी क्षेत्र में अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान की है।
भारत-अफ्रीका संबंधों के प्रमुख क्षेत्र:
- भारत नई तकनीकों की पेशकश करने में सक्षम होगा जो अफ्रीका के युवाओं के लिये व्यापार, वाणिज्य, निवेश और अवसरों का विस्तार करने में मदद करेंगी।
- अफ्रीका के साथ भारत की विकास साझेदारी ऐसी शर्तों पर होगी और अफ्रीका के लिये सुविधाजनक होंगी, जो इसकी क्षमता को बढ़ाएगी तथा इसके भविष्य को बाधित नहीं करेगी।
- अफ्रीका के विकास का समर्थन करने, शिक्षा, स्वास्थ्य का विस्तार करने, डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांँचे के लिये डिजिटल क्रांति के साथ भारत के अनुभव का उपयोग किया जा सकता है।
- भारत के स्टार्टअप और डिजिटल नवाचार जैसे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), डिजिटल वाणिज्य के लिये ओपन नेटवर्क (ONDC) आदि अफ्रीका को अत्यधिक लाभ पहुंँचा सकते हैं।
अफ्रीका-भारत संबंध:
- उच्च स्तरीय दौरे:
- पिछले आठ वर्षों के दौरान भारत से 36 उच्च स्तरीय यात्राओं और अफ्रीका से 100 से अधिक समान यात्राओं को रिकॉर्ड करते हुए महाद्वीप के साथ जुड़ाव बढ़ा है।
- ऋण और सहायता:
- भारत ने अफ्रीका को 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का रियायती ऋण दिया है।
- इसके अलावा भारत ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता प्रदान की है।
- परियोजनाएंँ:
- भारत ने अब तक 197 परियोजनाएंँ पूरी कर ली हैं, 65 वर्तमान में निष्पादन के अधीन हैं और 81 पूर्व-निष्पादन चरण में हैं।
- गाम्बिया में भारत ने नेशनल असेंबली भवन का निर्माण किया है और जल आपूर्ति, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण में परियोजनाएंँ शुरू की हैं।
- जाम्बिया में भारत एक महत्त्वपूर्ण जल-विद्युत परियोजना, स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण और वाहनों की आपूर्ति में शामिल है।
- मॉरीशस में हाल की उल्लेखनीय परियोजनाओं में मेट्रो एक्सप्रेस, नया सर्वोच्च न्यायालय और सामाजिक आवास शामिल हैं।
- नामीबिया में आईटी में एक नया उत्कृष्टता केंद्र अभी चालू हुआ है।
- जबकि दक्षिण सूडान में भारत प्रशिक्षण और शिक्षा पर ध्यान दे रहा है।
- कोविड-19 सहायता:
- 32 अफ्रीकी देशों को भारत से 150 टन चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
- उनमें से कई ने भारत से सीधे या अन्यथा प्राप्त 'मेड इन इंडिया' टीकों का भी उपयोग किया।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत ने ट्रिप्स छूट सहित टीकों के लिये न्यायसंगत और सस्ती पहुंँच हेतु दबाव बनाने के लिये मिलकर काम किया है।
- 32 अफ्रीकी देशों को भारत से 150 टन चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
- मानव संसाधन:
- भारत ने 2015 में भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (आईएएफएस)-III के दौरान 50,000 छात्रवृत्तियों की घोषणा की थी, जिसमें से 32,000 से अधिक छात्रवृत्ति स्लॉट का पहले ही उपयोग किया जा चुका है।
- भागीदारों को उच्च गुणवत्ता वाली आभासी शिक्षा और चिकित्सा सेवाएंँ प्रदान करने के लिये, ई-विद्या भारती तथा ई-आरोग्य भारती नेटवर्क को क्रमश: टेली-एजुकेशन एवं टेली-मेडिसिन के लिये वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
- भारत ने अफ्रीकी देशों को IT केंद्रों, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पार्कों और उद्यमिता विकास केंद्रों (EDC) की स्थापना के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने में मदद की है।
- राहत एवं सहायता:
- वर्ष 2019 में चक्रवात इदाई द्वारा प्रभावित मोजाम्बिक की सहायता के लिये ऑपरेशन सहायता, जनवरी 2020 में मेडागास्कर में बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिये ऑपरेशन वनीला, वाकाशियो जहाज़ की ग्राउंडिंग के कारण तेल रिसाव को रोकने में मॉरीशस को सहायता।
- ऊर्जा:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक उल्लेखनीय मंच है जिसने स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के तीव्र विकास को बढ़ावा दिया है।
- इसके बाद सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा को और बढ़ावा देने के लिये 'वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड' पहल की शुरुआत की गई है।
- हाल के वर्षों में भारत, अफ्रीका में विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ तीसरे विश्व के देशों के सहयोग कार्यक्रमों में भी प्रमुख भागीदार रहा है।
- व्यापार एवं अर्थव्यवस्था:
- वर्ष 2021-22 में अफ्रीका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार पिछले वर्ष के 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 89.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- वर्ष 1996-2021 तक 73.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ भारत अफ्रीका में निवेश करने वाले शीर्ष पाँच निवेशकों में शामिल है।
- शुल्क मुक्त टैरिफ वरीयता (DFTP) योजना, जो भारत की कुल टैरिफ लाइनों के 98.2% तक शुल्क मुक्त पहुँच प्रदान करती है, के माध्यम से भारत ने अफ्रीकी देशों के लिये अपना बाज़ार खोल दिया है।
- अब तक 33 LDC अफ्रीकी देश इस योजना के तहत लाभ पाने के हकदार हैं।
भारत-अफ्रीका संबंधों की संभावनाएँ:
- खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान:
- कृषि और खाद्य सुरक्षा भी दोनों देशों के संबंधों को गहरा करने का एक आधार हो सकता है।
- अफ्रीका के पास विश्व की कुल कृषि योग्य भूमि का एक बड़ा हिस्सा है, लेकिन वैश्विक कृषि-उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है।
- भारत ने कृषि क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर ली है, जो कि कई कृषि उपजों का शीर्ष उत्पादक है।
- नव-उपनिवेशवाद का सामना:
- चीन, अफ्रीका में सक्रिय रूप से ‘चेकबुक एंड डोनेशन’ कूटनीति का उपयोग कर रहा है।
- हालाँकि चीनी निवेश को नव-औपनिवेशिक प्रकृति के रूप में देखा जाता है; क्योंकि यह धन, राजनीतिक प्रभाव, विशाल बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं और संसाधनों के दोहन पर केंद्रित है।
- दूसरी ओर, भारत का दृष्टिकोण स्थानीय क्षमताओं के निर्माण और अफ्रीकी देशों के साथ समान भागीदारी पर केंद्रित है, न कि केवल संबंधित अफ्रीकी अभिजात वर्ग के साथ।
- चीन, अफ्रीका में सक्रिय रूप से ‘चेकबुक एंड डोनेशन’ कूटनीति का उपयोग कर रहा है।
- वैश्विक प्रतिद्वंद्विता को रोकना:
- हाल के वर्षों में विश्व के कई अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं ने ऊर्जा, खनन, बुनियादी ढाॅंचे और कनेक्टिविटी सहित बढ़ते आर्थिक अवसरों की दृष्टि से अफ्रीकी देशों के साथ अपने संपर्क को मज़बूत किया है।
आगे की राह
- खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा:
- यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- भारत और अफ्रीका आपसी लाभ के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।
- यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- सामरिक अभिसरण को सक्षम करना:
- एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर के माध्यम से अफ्रीका के विकास के लिये साझेदारी बनाने में भारत और जापान दोनों के साझा हित हैं।
- इस संदर्भ में भारत वैश्विक राजनीति के रणनीतिक मानचित्र पर अफ्रीका के विकास के लिये अपनी वैश्विक स्थिति का लाभ उठा सकता है।
- एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर के माध्यम से अफ्रीका के विकास के लिये साझेदारी बनाने में भारत और जापान दोनों के साझा हित हैं।
- अन्य:
- उच्च शिक्षा या कौशल विकास, मज़बूत वित्तीय साझेदारी का निर्माण या कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में मूल्य शृंखला को मज़बूत करना, ये सभी भारत एवं अफ्रीका के बीच सहयोग के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होे सकते हैं।
- जैसे-जैसे अफ्रीका में वैश्विक जुड़ाव बढ़ता है, भारत और अफ्रीका को यह सुनिश्चित करना होगा कि अफ्रीका प्रतिद्वंद्वी महत्त्वाकांक्षाओं में न बदल जाए।