शासन व्यवस्था
भारत की बदतर स्वास्थ्य रिपोर्ट
- 13 Sep 2018
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी की गई ‘भारत राज्य स्तरीय रोग का बोझ संबंधी रिपोर्ट’ के अनुसार, 1990 से 2016 तक की अवधि के दौरान भारतीयों में स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग और स्ट्रोक के प्रसार में 50% की वृद्धि दर्ज की गई है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2016 की अवधि में मधुमेह के मामलों की संख्या 26 मिलियन से बढ़कर 65 मिलियन हो गई है। साथ ही, पुरानी अवरोधक फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या 28 मिलियन से बढ़कर 55 मिलियन हो गई है।
- भारत में स्वास्थ्य में होने वाले कुल नुकसान के लिये कैंसर का आनुपातिक योगदान 1990 से लेकर 2016 तक दोगुना हो चुका है, लेकिन विभिन्न प्रकार के कैंसर रोग के मामले राज्यों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होते हैं।
- विशेषज्ञों ने नोट किया कि इन निष्कर्षों द्वारा प्रदान की गई अंतर्दृष्टि हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन, आयुष्मान भारत की योजना के लिये सही समय पर है। ICMR आयुष्मान भारत के लिये मानक उपचार कार्यप्रणाली बनाने पर भी काम कर रहा है।
- परिषद ने कहा कि वह क्लीनिकल रिसर्च के भारतीय जर्नल के 150वें यादगार प्रकाशन के हिस्से के रूप में महात्मा गांधी के स्वास्थ्य रिकॉर्ड- सामान्य स्वास्थ्य, रक्तचाप आँकड़े इत्यादि को सार्वजनिक करने के लिये तैयार है।
संयुक्त पहल
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) तथा इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की संयुक्त पहल है जिसमें 100 से अधिक भारतीय संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ और हितधारक शामिल थे।
- राज्यवार रोग के बोझ से पता चला है कि पंजाब को स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग के बोझ के लिये शीर्ष स्थान पर रखा गया है, इसके बाद तमिलनाडु का स्थान है और इसी प्रकार मधुमेह के लिये तमिलनाडु शीर्ष पर है और पंजाब दूसरे स्थान पर।
- कई प्रमुख गैर-संक्रमणीय बीमारियों (NCD) के व्यापक विश्लेषण के अनुसार, पश्चिम बंगाल सबसे ज़्यादा स्ट्रोक के मामलों के कारण शीर्ष पर है, जबकि ओडिशा इस मामले में दूसरे स्थान पर है।
- कैंसर के बोझ के लिये केरल को शीर्ष स्थान पर रखा गया उसके बाद असम का स्थान है। अधिक वज़न होना मधुमेह का प्रमुख कारण माना गया और 1990 से लेकर 2016 तक भारत के हर राज्य में मधुमेह के मामलों में दुगनी वृद्धि हुई।
- चिकित्सा पत्रिका ‘द लांसेट’ में एक टिप्पणी के साथ 'द लांसेट ग्लोबल हेल्थ', 'द लांसेट पब्लिक हेल्थ' और 'लांसेट ओन्कोलॉजी' में प्रकाशित पाँच शोध-पत्रों की श्रृंखला में इन निष्कर्षों की सूचना मिली है।
- जबकि यह ज्ञात है कि भारत में गैर-संचारी रोगों (NCD) के मामले बढ़ रहे हैं, एक प्रमुख चिंताजनक तथ्य यह है कि स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग और मधुमेह में वृद्धि की उच्चतम दर भारत के कम विकसित राज्यों में है। इन राज्यों में पहले से ही पुरानी अवरोधक फेफड़ों की बीमारी, और संक्रामक तथा बचपन की बीमारियों का एक बड़ा बोझ है, इसलिये इन राज्यों में NCD के नियंत्रण हेतु अविलंब प्रयास किया जाना चाहिये।
आयुष्मान भारत
- केंद्रीय बजट 2018-19 में ‘आयुष्मान भारत’ पहल के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर दो महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ की गईं।
- जहाँ एक ओर 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के लिये 1200 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, वहीं दूसरी ओर, 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमज़ोर परिवारों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना की शुरुआत की गई है।
- इस योजना में प्रतिवर्ष प्रति परिवार के लिये पाँच लाख रुपए का लाभ कवर किया गया है।
- इस योजना के लक्षित लाभार्थी दस करोड़ से अधिक परिवार होंगे जो एसपीसीसी डाटा बेस पर आधारित गरीब और कमज़ोर आबादी के होंगे।
- आयुष्मान भारत - राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (Ayushman Bharat : National Health Protection Mission - AB-NHPM) में चालू केंद्र प्रायोजित योजनाएँ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (Rashtriya Swasthya Bima Yojana -RSBY) तथा वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (Senior Citizen Health Insurance Scheme -SCHIS) समाहित होंगी।