एंटीबायोटिक दवाओं की बढ़ती प्रभावकारिता | 23 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:एएमआर। मेन्स के लिये:एएमआर, स्वास्थ्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावकारिता को अधिक सक्रिय बनाने के लिये एक नई विधि विकसित की हैं।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक एडज़ुवेंट्स के संयोजन में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया है, ये ऐसे तत्त्व है जो मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं।
- एंटीबायोटिक एडज़ुवेंट्स गैर-एंटीबायोटिक यौगिक हैं जो प्रतिरोध को अवरुद्ध करके या संक्रमण से प्रभावित मेज़बान की प्रतिक्रिया को बढ़ाकर एंटीबायोटिक प्रभाव को बढ़ाते हैं।
- वैज्ञानिकों ने एक ट्रायमाइन युक्त यौगिक में चक्रीय हाइड्रोफोबिक मौएट्स (अणु का हिस्सा) को शामिल किया, इस प्रकार विकसित हुए एडज़ुवेंट्स बैक्टीरिया की झिल्ली को प्रभावित करते हैं।
- एंटीबायोटिक दवाओं का प्रतिरोध विभिन्न आणविक तंत्रों के माध्यम से होता है, जिसमें दवा की पारगम्यता में कमी, सक्रिय प्रवाह, दवा के लक्ष्य में परिवर्तन या बाईपास, एंटीबायोटिक-संशोधित एंज़ाइमों का उत्पादन और बायोफिल्म जैसे शारीरिक अवस्थाएँ शामिल हैं जो एंटीबायोटिक गतिविधि के लिये कम संवेदनशील हैं।
- ट्रायमाइन (Triamine): एक यौगिक जिसमें तीन अमीनो समूह होते हैं।
- हाइड्रोफोबिक मोएटिस: ये जल से दूर भागते हैं और जल में अघुलनशील हैं।
- चक्रीय: अणु चक्रीय होता है यदि उसके परमाणु एक वलय संरचना बनाते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप झिल्ली से जुड़े प्रतिरोधक तत्त्वों जैसे- पारगम्यता अवरोध और इफ्लक्स पंपों द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं के निष्कासन का सामना किया गया।
- इफ्लक्स पंप इंट्रासेल्युलर एंटीबायोटिक सांद्रता को कम करता है, जिससे बैक्टीरिया उच्च एंटीबायोटिक सांद्रता में जीवित रह सकते हैं।
- जब इन सहायक पदार्थों का उपयोग एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन में किया जाता है (जो ऐसे झिल्ली से जुड़े प्रतिरोधक तत्त्वों के कारण अप्रभावी हो गए थे) तो एंटीबायोटिक्स शक्तिशाली हो जाते हैं और संयोजन बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी होता है।
अध्ययन का महत्त्व:
- यह रणनीति बैक्टीरिया के सबसे महत्त्वपूर्ण समूह का मुकाबला कर सकती है जिससे मौजूदा एंटीबायोटिक को जटिल संक्रमणों के लिये फिर से उपयोग किया जा सके। यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने में मदद कर सकता है।
- यह अप्रचलित एंटीबायोटिक दवाओं की गतिविधि को मज़बूत करने और जटिल संक्रमणों के इलाज़ के लिये उन्हें वापस उपयोग में लाने में मदद कर सकता है।
एंटीबायोटिक्स और ड्रग प्रतिरोधकता:
- एंटीबायोटिक्स:
- एंटीबायोटिक्स उल्लेखनीय दवाएँ हैं जो शरीर को नुकसान पहुँचाए बिना किसी के शरीर में जैविक जीवों को मारने में सक्षम हैं।
- इनका उपयोग सर्जरी के दौरान संक्रमण को रोकने से लेकर कीमोथेरेपी के दौर से गुज़र रहे कैंसर रोगियों की सुरक्षा तक के लिये किया जाता है।
- भारत एंटीबायोटिक दवाओं का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत द्वारा अत्यधिक एंटीबायोटिक उपयोग बैक्टीरिया में एक शक्तिशाली उत्परिवर्तन पैदा कर रहा है जो पहले कभी नहीं देखा गया।
- दवा प्रतिरोधक क्षमता:
- दवा प्रतिरोध तब होता है जब मनुष्यों, जानवरों और पौधों के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग किया जाता है।
- जब एक नया एंटीबायोटिक पेश किया जाता है, तो इसके बहुत अच्छे, यहाँ तक कि जीवन रक्षक परिणाम हो सकते हैं लेकिन केवल कुछ समय के लिये। उसके बाद बैक्टीरिया अनुकूल हो जाते हैं और धीरे-धीरे एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी हो जाते हैं।
- एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीवन के किसी भी चरण में लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। जब कोई व्यक्ति एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया से संक्रमित होता है, तो न केवल उस रोगी का इलाज मुश्किल हो जाता है, बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया अन्य लोगों में भी प्रसारित हो सकता है।
- जब एंटीबायोटिक्स काम नहीं करते हैं, तो यह स्थिति धीरे-धीरे अधिक जटिल बीमारियों, मज़बूत और महँगी दवाओं के उपयोग तथा बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाली मौतों को बढ़ा सकती है।
- दुनिया भर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का प्रसार जीवाणु संक्रमण से लड़ने में दशकों की प्रगति को कमज़ोर कर रहा है।
- दवा प्रतिरोध तब होता है जब मनुष्यों, जानवरों और पौधों के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग किया जाता है।
दवा प्रतिरोध से संबंधित पहलें:
- भारत:
- AMR नियंत्रण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: इसे वर्ष 2012 में शुरू किया गया। इस कार्यक्रम के तहत राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में प्रयोगशालाओं की स्थापना करके AMR निगरानी नेटवर्क को मज़बूत किया गया है।
- AMR पर राष्ट्रीय कार्ययोजना: यह स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर केंद्रित है और अप्रैल 2017 में विभिन्न हितधारक मंत्रालयों/विभागों को शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
- AMR सर्विलांस एंड रिसर्च नेटवर्क (AMRSN): इसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था ताकि देश में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के सबूत और प्रवृत्तियों तथा पैटर्न का अनुसरण किया जा सके।
- AMR अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने AMR में चिकित्सा अनुसंधान को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से नई दवाओं को विकसित करने की पहल की है।
- एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम: ICMR ने अस्पताल के वार्डों और ICU में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग एवं अति प्रयोग को नियंत्रित करने के लिये पूरे भारत में एक पायलट परियोजना पर एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप कार्यक्रम (AMSP) शुरू किया है।
वैश्विक उपाय:
- विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (WAAW):
- वर्ष 2015 से सालाना आयोजित किया जाने वाला WAAW एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में जागरूकता को बढ़ाना और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के विकास एवं प्रसार को धीमा करने के लिये आम जनता, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच सर्वोत्तम उपायों को प्रोत्साहित करना है।
- वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध और उपयोग निगरानी प्रणाली (GLASS):
- वर्ष 2015 में WHO ने ज्ञान अंतराल को समाप्त करने और सभी स्तरों पर रणनीतियों को लागू करने हेतु ग्लास (GLASS) को लॉन्च किया।
- ग्लास की कल्पना मनुष्यों में AMR की निगरानी, रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग की निगरानी, खाद्य शृंखला और पर्यावरण में AMR डेटा को प्राप्त करने के लिये की गई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन भारत में माइक्रोबियल रोगजनकों में बहु-दवा प्रतिरोध की घटना के कारण हैं? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न: क्या डॉक्टर के निर्देश के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और मुफ्त उपलब्धता भारत में दवा प्रतिरोधी रोगों के उद्भव में योगदान कर सकते हैं? निगरानी एवं नियंत्रण के लिये उपलब्ध तंत्र क्या हैं? इसमें शामिल विभिन्न मुद्दों पर आलोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014, मुख्य परीक्षा) |