श्रीलंका में बढ़ता चीनी प्रभाव और भारतीय चिंता | 09 Jun 2017

संदर्भ
 चीन की महत्त्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड (OBOR) परियोजना व हिन्द महासगीय क्षेत्र में  विशेषकर श्रीलंका व बंगलदेश में बढती सक्रियता के कारण भारत की चिंता स्वाभाविक है| परंतु भारत कुटनीतिक स्तर पर चीन के विकल्प रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिये प्रयासरत है| इसका प्रत्यक्ष प्रमाण श्रीलंका के विदेश मंत्री के भारत दौरे के दौरान दिखा| गौरतलब है कि चीन श्रीलंका में विभिन्न आधारिक अवसंरचना निर्माण में संलग्न है फिर भी श्रीलंकाई विदेश मंत्री का ये स्पष्ट कहना है कि श्रीलंका की सरकार का अभी वन बेल्ट वन रोड में शामिल होने की कोई भी योजना नहीं है| 

  मुख्य बिंदु

  • श्रीलंका के विदेश मंत्री, श्री करुणानायके का कहाँ है की जिस प्रकार चीन के लिये उसका तटवर्ती पडोसी, हांगकांग आर्थिक गतिविधियों का एक हब बन सकता है तो भारत के लिये श्रीलंका क्यों नहीं हो सकता है|अर्थात श्रीलंका का पक्ष स्पष्ट है वो भारत के तरफ से अधिक से अधिक निवेश चाहता है|
  • श्रीलंका में बढ़ते हुए चीनी निवेश पर विदेश मंत्री का कहना है कि इससे कही से भी ये सिद्ध नहीं होता है कि श्रीलंका भारतीय पक्ष को नजरंदाज़ कर रहा है| बल्कि उनका ये कहना हैं कि समय के साथ क्षेत्रीय जरूरतों के अनुरूप अपने संबंधों में व्यापकता लाने की आवश्यकता है|
  • श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने ये भी स्वीकार किया कि श्रीलंका चीन के साथ- साथ भारत और जापान दोनों से ये चाहता है कि वे उसकी जमीन पर निवेश करें|
  • साथ ही श्रीलंका कोलोंबो के पूर्वी टर्मीनल में भारत से निवेश चाहता है| यह टर्मीनल उन दो कंटेनर टर्मीनलों में से एक है जो चीन की बंदरगाह निर्माण परियोजना के अगले चरण में विकसित किये जाने हैं|
  • वर्ष 2016 में इन परियोजनाओं के लिये हो रही बोलीं लगाने वालों में दो भारतीय कंपनी यथा कंटेनर कोरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) एवं शपूरजी पलोनजी लिमिटेड शामिल थी|

श्रीलंका का पक्ष

  • श्रीलंकाई पक्ष ने इस वार्ता के दौरान मछुआरों की समस्याओं को जल्द से जल्द समाधान करने की बात कही| श्रीलंका का कहना है कि वो भारतीय मछुआरों का श्रीलंकाई सागरीय क्षेत्र में प्रवेश पर भी चिंतित है जिसका समाधान दोनों देशों की सरकारों के द्वारा वातचीत से ही की जा सकती है|
  • इसके साथ ही हाल ही में श्रीलंका में आई बाढ़ के दौरान भारत के द्वारा किये गए सहयोग के लिये विदेश मंत्री ने भारतीय पक्ष की सराहना की है|
  • इसके अतिरिक्त श्रीलंका की मूल चिंता यह है की कैसे भारत के निवेश को श्रीलंका में बढाया जाये| इसलिये वो बार-बार बढ़ते चीनी प्रभाव का खंडण करता है|  

भारतीय पक्ष
यधपि श्रीलंका के विदेश मंत्री के द्वारा इस बात से इंकार किया गया है कि भारत ने उसके समक्ष वन बेल्ट वन रोड से संबंधित कोई चिंता जाहिर की है| परन्तु भारतीय पक्ष की ये चिंता स्वाभाविक है कि चीन की इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना में श्रीलंका की बड़ी निर्माण परियोजाऍ भी शामिल हैं| इससे हिन्द महासागरीय क्षेत्र में चीन का भूराजनीतिक प्रभाव बढ़ सकता है|

निष्कर्ष
श्रीलंकाई विदेश मंत्री के द्वारा पेश किये गए पक्ष पर गहराई से गौर किया जाये तो ये स्पष्ट है कि श्रीलंका चीनी निवेश को अपने क्षेत्र में आकर्षित तो करना चाहता है परन्तु यह भारत के साथ द्विपक्षीय  संबंधों के मूल्य पर हों, इसके लिये श्रीलंकाई सरकार कहीं से भी तैयार नहीं है|