कंपनियों में बढ़ते बैड लोन : चार्टर्ड एकाउंटेंट आरबीआई की निगरानी में | 11 Apr 2018

चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैड लोन (Bad Loans) की समस्या पर नियंत्रण हेतु की जा रही कार्यवाही के अंतर्गत तीन दर्जन से भी अधिक ऐसे चार्टर्ड एकाउंटेंटों (सीए) की पहचान की गई है जो कि प्रमोटरों के साथ मिलकर स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियाँ (Stressed Assets)  का पुनर्गठन करने एवं डिफॉल्ट करने की प्रक्रिया में लिप्त पाए गए हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • वर्तमान में अधिक संख्या में कंपनियॉ स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियों की समस्या का सामना कर रही हैं और दिवालिया और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत आ रही हैं, ऐसे में भारतीय रिज़र्व बैंक ऐसी संस्थाओं से जुड़े विभिन्न कर्मियों की भूमिका पर नज़र रख रहा है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक इन कंपनियों द्वारा ऋण चूक के मामलों में 35-40 चार्टर्ड एकाउंटेंटों की भूमिका देख रहा है।
  • इससे संबंधित नियामक यह जाँच पड़ताल कर रहे हैं कि-
    ♦ क्या इन चार्टर्ड एकाउंटेंटों ने किसी भी तरह के अवैध तरीके से इन संस्थाओं की मदद की है?
    ♦ क्या इन चार्टर्ड एकाउंटेंटों ने किसी भी तरह से अवैध तरीके से इन कंपनियों की स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियों का पुनर्गठन करने में मदद की है?
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह कदम उन परिस्थितियों में उठाया है, जब बहुत अधिक संख्या में कंपनियॉ स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियों के चलते दिवालिया और दिवालियापन संहिता निपटान तंत्र के अधीन आ रही हैं। 
  • बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित संपत्तियों के बढ़ते संकट का एक उदाहरण पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी और मेहुल चोक्सी द्वारा 13,000 करोड़ रुपए का घोटाला है।
  • सेबी के नए मानकों के अनुसार यदि चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सचिव, लागत लेखाकारों को पंजीकृत कंपनियों के साथ इस तरह की अवैध गतिविधियों एवं कार्यों में संलिप्त पाया जाता है तो उनकी फीस को ज़ब्त कर लिया जाएगा।  
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रतिभूति बाज़ारों में इस तरह की धोखाधड़ी की जाँच करने के लिये नए नियमों को अपनाकर अधिक निगरानी रखना चाहता है।
  • सेबी, उन नियमों को अंतिम रूप दे सकता है जो चार्टर्ड एकाउंटेंटों, कंपनी सचिवों, लागत लेखाकारों, मूल्यांकनकत्ताओं और निगरानी एजेंसियों को सभी पंजीकृत फर्मों एवं कंपनियों के प्रतिभूति नियमों का पालन करने एवं शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने के लिये उत्तरदायी बनाए।
  • इसके साथ ही पंजीकृत कंपनियों को अतिरिक्त प्रकटीकरण आवश्यकता और ऑडिटर व अन्य तीसरी पार्टी संस्थाओं द्वारा वित्तीय विवरणों की अधिक-से-अधिक जाँच करने की आवश्यकता होगी।

गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets-NPAs)

  • गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ वित्तीय संस्थानों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक ऐसा वर्गीकरण है जिसका सीधा संबंध ऋण/लोन न चुकाने से होता है। जब ऋण लेने वाला व्यक्ति 90 दिनों तक ब्याज अथवा मूलधन का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसको दिया गया ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति माना जाता है। 
  • स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियों में बड़े पैमाने पर वृद्धि के बाद आरबीआई ने पिछले जून के बाद से 40 सबसे बड़े तनावग्रस्त खातों की पहचान की है और बैंकों से उन्हें विभिन्न ऋण वसूली ट्रिब्यूनलों को भेजने के लिये कहा है।

इरादतन चूककर्ता (Wilful Defaulter)

  • क़र्ज़ को लौटाने में समर्थ होने के बावजूद जानबूझ कर क़र्ज़ को न लौटाने वाले ऋणी को इरादतन चूककर्त्ता कहते हैं।

‘बैड लोन्स’ क्या है?(What is Bad Loans)

  • ऐसे ऋण जहाँ लिये गए ऋणों का पुनर्भुगतान देनदार और लेनदार के मध्य पूर्व सहमति से किये गए समझौते के अनुरूप नहीं किया जाता तथा जिनका भुगतान कभी नहीं होता, उन्हें ‘बैड लोन्स’ (Bad loans) कहा जाता है। 
  • जब कोई व्यक्ति ऋण लेता है तथा उसका पुनः भुगतान नहीं करता है तो उसे भविष्य में आसानी से ऋण प्राप्त नहीं हो पाता तथा बैंक उसे दिये गए ऋण को ‘बैड लोन’ की श्रेणी में शामिल कर देता है, जिसका तात्पर्य यह है कि वह ऋण देनदार के लिए एक जोखिम है। 
  • परन्तु यदि व्यक्ति के ऋण को ‘बैड लोन्स’ की श्रेणी में रखा गया हैं और वह पुनः नया ऋण लेना चाहता है तो वह इसे उन देनदारों से प्राप्त कर सकता है, जो ऋण देने के लिये उसके द्वारा लिये गए पूर्व ऋणों की जाँच ही नहीं करते। 
  • ‘बैड संपत्ति’ (bad asset) को उसकी समयावधि के आधार पर खराब संपत्ति (substandard asset) संदिग्ध संपत्ति (doubtful asset) और नुकसानदायक संपत्ति (loss assets) में वर्गीकृत किया जाता है।

स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियाँ (Stressed Assets) 

  • स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियाँ बैंकिंग व्यवस्था के स्वास्थ्य की महत्त्वपूर्ण सूचक हैं। इसे समझने के लिये हमें गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों (Non Performing Assets-NPA) और पुनर्गठित ऋणों को समझना होता है। 
  • बैंकिंग व्यवस्था की संपत्ति को दिये गए ऋणों और बैंकों द्वारा किये गये निवेश के रूप में परिभाषित किया जाता है। संपत्ति की गुणवत्ता इस बात की सूचक होती है कि लेनदार द्वारा लिये गए कितने ऋणों का पुनर्भुगतान ब्याज और मूलधन के रूप में किया जा चुका है। संपत्ति की गुणवत्ता की जाँच का सबसे अच्छा पैमाना गैर- निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ ही हैं।

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (Asset Reconstruction Company-ARC) 

  • ARC एक विशेष वित्तीय संस्थान है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बैलेंस शीट को पारदर्शी  और संतुलित बनाए रखने में उनकी सहायता करने के लिये उनसे NPA या खराब ऋण खरीदता है।
  • दूसरे शब्दों में ARC बैंकों से खराब ऋण खरीदने के कारोबार में कार्यरत वित्तीय संस्थान हैं।
  • भारत में सरफेसी अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act) ARC की स्थापना के लिये कानूनी आधार प्रदान करता है।

राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority) 

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) की स्थापना को मंज़ूरी प्रदान की है।
  • राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, तीन पूर्णकालिक सदस्य एवं एक सचिव होगा।
  • चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और उनकी फर्मों की जाँच करने के लिये NFRA का कार्यक्षेत्र सूचीबद्ध कंपनियों तथा बड़ी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों तक विस्तृत होगा। 
  • इसके अलावा सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ऐसे अन्य निकायों की जाँच के लिये भी कह सकती है।
  • विभिन्न कार्य क्षेत्रों में लेखापरीक्षा घोटालों को ध्यान में रखते हुए लेखापरीक्षा मानकों को लागू करने और ऑडिट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने तथा लेखापरीक्षा फर्मों की स्वतंत्रता को मज़बूत करने के लिये एक स्वंतत्र नियामक राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण की स्थापना की ज़रुरत महसूस की जा रही थी। कंपनियों की वित्तीय स्थिति के खुलासे से निवेशकों व आम लोगों का कंपनी पर विश्वास बढ़ेगा।