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बेनामी संपत्ति कानून के उल्लंघन पर दोहरी कानूनी कार्रवाही का प्रावधान

  • 06 Mar 2017
  • 3 min read

सन्दर्भ 

भारत सरकार के आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति संव्यवहार अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा के साथ-साथ सामान्य आयकर अधिनियम के तहत भी आरोपी बनाया जा सकता है। 

प्रमुख बिंदु 

देश के विभिन्न अखबारों में आज जारी विज्ञापन में आयकर विभाग ने कहा है कि काला धन मानवता के विरूद्ध एक अपराध है। सभी कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों से हमारा अनुरोध है कि इसके उन्मूलन में सरकार को सहयोग दें 'बेनामी संव्यवहार न करें।' क्योंकि बेनामी संपत्ति संव्यवहार का प्रतिषेध अधिनियम-1988, 1 नवंबर 2016 से 'अब सक्रिय है।'

  • गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में कानून के प्रभावी होने से अब तक विभाग ने देशभर में ऐसे 230 मामले दर्ज किए हैं और करीब 55 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं।
  • विज्ञापन में विभाग ने कानून की कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण धाराओं पर भी प्रकाश डाला है। 
  • इसके अनुसार, बेनामीदार (जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है) और हिताधिकारी (जिसने वास्तव में प्रतिफल का भुगतान किया है) तथा वे व्यक्ति जो बेनामी संव्यवहार के लिए उकसाते हैं या प्रलोभन देते हैं, वे अभियोज्य है तथा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य वर्ष के 25 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त सात वर्ष तक का कठोर कारावास हो सकता है।
  • इसमें यह भी कहा गया है, 'जो व्यक्ति बेनामी अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारियों के समक्ष झूठी सूचना प्रस्तुत करते हैं, वे अभियोज्य हैं तथा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त पांच वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
  • आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि बेनामी संपत्तियों को सरकार कुर्क या जब्त कर सकती है। 
  • ध्यातव्य है कि ये कार्यवाहियाँ  आयकर अधिनियम 1961 जैसे अन्य कानूनों के अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाहियों से अलग होंगी।
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