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शासन व्यवस्था

जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जनजाति सूची में समुदायों का समावेशन

  • 03 Aug 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का रजिस्ट्रार जनरल, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के लिये राष्ट्रीय आयोग, पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS), प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना  PMAGY)

मेन्स के लिये:

ST सूची में शामिल करने की प्रक्रिया और मानदंड, भारत में अनुसूचित जनजातियों की स्थिति

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार ने संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया है, जिसका लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) सूची में चार समुदायों को शामिल करना है।

  • "गड्डा ब्राह्मण (Gadda Brahmin)," "कोली (Koli)," "पद्दारी जनजाति (Paddari Tribe)," और "पहाड़ी जातीय समूह (Pahari Ethnic Group)" को शामिल करने के प्रस्तावित प्रस्ताव ने आरक्षण लाभों के वितरण के संबंध में आशंकाएँ उत्पन्न कर दी हैं।

ST सूची में शामिल करने की प्रक्रिया और मानदंड:

  • अनुसूचित सूची में शामिल करने के लिये मानदंड: यह निर्धारित करना कि कोई समुदाय अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किये जाने के योग्य है या नहीं, कई मानदंडों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
    • नृजातीयता संबंधी लक्षण (Ethnographic Features): इस समुदाय के विशिष्ट और पहचाने जाने योग्य नृजातीयता संबंधी लक्षणों को इसकी जनजातीय पहचान स्थापित करने के लिये माना जाता है।
    • पारंपरिक विशेषताएँ: जनजातीय संस्कृति के प्रति समुदाय की प्रतिबद्धता का आकलन करने के लिये पारंपरिक प्रथाओं, रीति-रिवाज़ों और जीवनशैली की जाँच की जाती है।
    • विशिष्ट संस्कृति: एक अनोखी और विशिष्ट संस्कृति की उपस्थिति जो समुदाय को अन्य समूहों से अलग करती है।
    • भौगोलिक अलगाव:  विशिष्ट क्षेत्रों में इसकी ऐतिहासिक और निरंतर उपस्थिति का आकलन करने के लिये समुदाय के भौगोलिक अलगाव को ध्यान में रखा जाता है।
    • पिछड़ापन: समुदाय को होने वाले नुकसान के स्तर का मूल्यांकन करने के लिये सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन पर विचार किया जाता है।
  • किसी समुदाय को ST सूची में जोड़ने की प्रक्रिया:
    • यह प्रक्रिया राज्य या केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर शुरू होती है, जहाँ संबंधित सरकार या प्रशासन एक विशिष्ट समुदाय को शामिल करने की सिफारिश करता है।
    • प्रस्ताव को परीक्षण और आगे के विचार-विमर्श के लिये केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है।
    • इसके बाद जनजातीय कार्य मंत्रालय अपने विचार-विमर्श से प्रस्ताव की जाँच करता है और इसे भारत का महापंजीयक (Registrar General of India) को भेजता है।
    • किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करना तभी प्रभावी होता है जब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित होने के बाद राष्ट्रपति संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 [Constitution (Scheduled Tribes) Order, 1950] में संशोधन करने वाले विधेयक को मंज़ूरी दे देता है।

भारत में अनुसूचित जनजातियों की स्थिति: 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)

जनजाति                     राज्य

  1. लिम्बू               सिक्किम
  2. कार्बी               हिमाचल प्रदेश
  3. डोंगरिया कोंध   ओडिशा
  4. बोंडा                तमिलनाडु

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत के संविधान में पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के उपबंध निम्नलिखित में से किसके लिये किये गए हैं?(2015)

(a) अनुसूचित जनजातियों के हितों के संरक्षण के लिये
(b) राज्यों के बीच सीमाओं के निर्धारण के लिये
(c) पंचायतों की शक्तियों, अधिकारों और ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करने के लिये
(d) सभी सीमावर्ती राज्यों के हितों के संरक्षण के लिये

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

प्रश्न. क्या कारण है कि भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' कहा जाता है? भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित उनके उत्थान के लिये प्रमुख प्रावधानों को सूचित कीजिये। (2016)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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