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रूस के साथ भारत का एस-400 रक्षा सौदा

  • 05 Jun 2018
  • 5 min read

संदर्भ

रूस में विकसित एस-400 ट्रायम्फ लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रक्षेपात्र प्रणाली की खरीद करने की भारत की महत्त्वाकांक्षा वैश्विक रणनीतिक जटिलताओं के रूप में दिखाई दे रहा है| गौरतलब है कि इसके खरीद की सभी औपचारिकताएँ अंतिम दौर में हैं|

एस-400 रक्षा सैन्य प्रणाली 

  • एस-400 एक जटिल सैन्य प्रणाली है जिसमें कई रडार, कमांड पोस्ट, विभिन्न प्रकार के मिसाइल और लांचर शामिल हैं जो कई दर्जन की संख्या में आ रही वस्तुओं को सैकड़ों किलोमीटर दूर एक साथ ट्रैक कर सकते हैं, एक सेकेंड के भीतर काउंटर मिसाइल लॉन्च कर सकते हैं और उन्हें बड़ी दक्षता के साथ शूट कर सकते हैं।
  • साथ ही यह एक साथ 26 लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है| आसमान में ही लक्ष्यों को भेदने वाले एस-400 ट्रायम्फ मिसाइलों की मारक क्षमता 400 किलोमीटर है|
  • एंटी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली एस-400 खरीदने के बाद चीन या पाकिस्तान की ओर से किसी मिसाइल हमले की स्थिति में भारत मुँहतोड़ जवाब दे सकेगा|

रणनीतिक दृष्टिकोण 

  • अपनी उन्नत क्षमताओं के कारण इस  हथियार प्रणाली ने सीरिया, सऊदी अरब, कतर, चीन तथा पड़ोसी देशों सहित दुनिया भर में चल रहे स्टैंड-ऑफ (stand-off) के लिये एक नया रणनीतिक कोण जोड़ा है।
  • रक्षा मंत्रालय सुरक्षा पर बनी कैबिनेट कमेटी (CCS) के समक्ष एस-400 सिस्टम के लिये खरीद प्रस्ताव पेश करने के लिये तैयार है|
  • अधिकारियों का मत इस बात पर विभाजित है कि क्या नई दिल्ली संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों और चेतावनियों के बावजूद सौदे को आगे बढ़ाएगी| 
  • उन्होंने यह भी कहा है कि इससे अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • सरकारी सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली और मॉस्को ने वार्ता का निष्कर्ष निकाल लिया है और 5.5 अरब डॉलर के सौदे के लिये सीसीएस नोट तैयार किया जा रहा है।
  • इस समझौते पर अक्टूबर में भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर किये जाने की संभावना है|
  • लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज़ में मिलिट्री एयरोस्पेस के सीनियर फेलो डगलस बैरी ने कहा है कि इस सौदे पर चिंताएँ आंशिक रूप से तकनीकी और आंशिक रूप से राजनीतिक हैं।
  • एस-400 (एसए -21 ग्रोलर), जब उचित रूप से संचालित किया जाता है, तो यह एक शक्तिशाली लंबी दूरी की सतह से मार करने वाली एयर मिसाइल प्रणाली बन जाता है।
  • हालाँकि, सबसे प्रभावी होने के लिये इसे अन्य वायु रक्षा प्रणालियों और घटकों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता होती है, जैसे कि रडार|
  • हालाँकि, इनमें से कुछ को यू.एस. या संभावित रूप से अन्य पश्चिमी देशों से खरीदा गया है, जहाँ सुरक्षा चिंताओं के कारण रडार सहित अन्य प्रभावी उपकरणों के एकीकरण के आवश्यक स्तर संभव नहीं होगा|
  • हाल के दिनों में  वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने भारत के प्रस्ताव पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इसके अन्य घटकों के एकीकरण पर कोई संशय नहीं है|
  • भारत अमेरिका के साथ अधिक प्रौद्योगिकी साझाकरण और सह-उत्पादन करना चाहता है|
  • मुद्दा यह है कि यदि अमेरिका अधिक तकनीक प्रदान करता है और भारत एस-400 खरीदता है, तो इससे चिंताएँ और बढेंगी|
  • इससे न सिर्फ भारत-अमेरिका-रूस के आपसी संबंध प्रभावित होंगे बल्कि एस-400 एक विवादित मुद्दा बन जाएगा।
  • पिछले सप्ताह यह खबर सामने आई थी कि यदि पड़ोसी देश कतर रूस से एस-400 हासिल करने के प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ता है तो सऊदी अरब उसपर सैन्य कार्रवाई कर सकता है| 
  • खतरा किंग सलमान और फ्राँसीसी राष्ट्रपति के बीच बातचीत का हिस्सा है|
  • आतंकवाद के कथित वित्तपोषण के कारण कतर पहले से ही अन्य खाड़ी देशों द्वारा विभिन्न प्रतिबंधों को झेल रहा है।
  • सीरियाई युद्ध क्षेत्र में एस-400 की तैनाती और तुर्की के उन्हें हासिल करने की ओर बढ़ने से जटिल वैश्विक परिदृश्य में नए आयाम जुड़ गए हैं।
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