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भारतीय सर्वेक्षण विभाग (SoI)

  • 16 Sep 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत का सबसे प्राचीन वैज्ञानिक विभाग ‘भारतीय सर्वेक्षण विभाग’ (Survey of India-SoI) पहली बार देश का मानचित्र तैयार करने के लिये ड्रोन (Drone) पर निर्भर रहेगा।

इस प्रकार के प्रयास का उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य आगामी दो वर्षों में भारत के 75% भौगोलिक भाग अर्थात् कुल 3.2 मिलियन वर्ग किमी. में से लगभग 2.4 मिलियन वर्ग किमी. का नक्शा तैयार करना है।
  • इस विशालकाय कार्य को समय से पूरा करने के लिये विभाग ने लगभग 300 ड्रोनों की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है, अभी तक विभाग को करीब 30 ड्रोन ही प्राप्त हुए हैं।
  • हालाँकि इस नक्शे को तैयार किये जाने के दौरान वनों, पहाड़ियों और रेगिस्तानों को कवर न किये जाने की संभावना बनी हुई है।
  • ड्रोन द्वारा मैप किये गए प्रत्येक वर्ग मील को 2500 चित्रों के माध्यम से समझाया जाएगा अर्थात् उनके बारे में स्पष्ट किया जाएगा, इस प्रकार यह डिजिटल डेटा के एक भाग के रूप में तैयार होगा।

सटीक मानचित्रण के लिये

  • सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, गाँवों में भूमि के उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले मानचित्रों का निर्माण करने से उनके डिजिटलीकरण में आसानी होगी।
  • वर्तमान में सर्वश्रेष्ठ SoI मानचित्रों का रिज़ॉल्यूशन 1:250000 है, जिसका अर्थ है कि मानचित्र पर 1 सेमी. ज़मीन के 2500 सेमी. का प्रतिनिधित्व करता है।
  • परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, तैयार किये जा रहे नक्शे 1: 500 रिज़ॉल्यूशन के होंगे, अर्थात् 1 सेमी. 500 सेमी. का प्रतिनिधित्व करेगा।

ग्रामीण मुद्दों का समाधान करना

  • ड्रोन-आधारित अभ्यास का एक प्रमुख परिणाम ग्रामीण आवासों (जिसे कानूनी भाषा में आबादी क्षेत्र कहा जाता है) का मानचित्रण करना होगा।
  • सटीक मानचित्रों की उपलब्धता के आधार पर, निवासियों को अंततः संपत्ति कार्ड के साथ-साथ उनकी ज़मीनों के लिये उचित कानूनी अधिकार भी प्राप्त हो सकेंगे।

भारतीय सर्वेक्षण विभाग

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत देश अक राष्ट्रीय सर्वेक्षण एवं मानचित्रण संगठन, भारतीय सर्वेक्षण विभाग भारत सरकार का सबसे प्राचीन वैज्ञानिक विभाग है। इसका गठन वर्ष 1767 में हुआ था।
  • इसका मुख्यालय देहरादून में स्थित है।
  • भारतीय सर्वेक्षण विभाग स्थलाकृतिक, भौगोलिक एवं अन्य सार्वजनिक श्रृखंला के मानचित्रों/डेटा के उत्पादन एवं रख-रखाव के साथ ही ज्योडेटिक डेटा के उत्पादन का कार्य भी कर रहा है।

कार्य

भारतीय सर्वेक्षण विभाग सभी सर्वेक्षण कार्यों अर्थात् ज्योडेसी, फोटोग्राममिति, मानचित्रण और पुनरूत्पादन आदि में भारत सरकार के सलाहकार के रूप में कार्य कर रहा है। तथापि भारतीय सर्वेक्षण विभाग के मुख्य कार्य और उत्तरदायित्व निम्न हैं-

  • सभी ज्योडीय नियंत्रण (क्षैतिज और उर्ध्वाधर) ज्योडीय और भौगोलिक सर्वेक्षण।
  • भारत की सीमाओं के अंतर्गत सभी स्थलाकृतिक नियंत्रण, सर्वेक्षण और मानचित्रण।
  • भौगोलिक मानचित्रों और वैमानिकीय चार्टों का मानचित्रण और पुनरुत्पादन करना।
  • विकासात्मक परियोजनाओं का सर्वेक्षण, बड़े पैमाने के नगरों, मार्गदर्शी मानचित्र और भू-कर (कैडेस्ट्रल) सर्वेक्षण, इत्यादि।
  • विशेष उददेश्यों वाले मानचित्रों का सर्वेक्षण और मानचित्रण।
  • भौगोलिक नामों की वर्तनी (स्पैलिंग्स) सुनिश्चित करना।
  • भारत की बाह्य सीमाओं का सीमांकन और देश में प्रकाशित मानचित्रों पर उनका चित्रण करना तथा अंतर्राजीय सीमाओं के सीमांकन के संबंध में परामर्श देना।
  • भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों, अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों तथा विदेशों से सर्वेक्षण एवं मानचित्रण की शिक्षा ग्रहण करने के लिये आने वाले विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देना।
  • अंकीय मानचित्रण कला, मुद्रण, ज्योडेसी, फोटोग्राममिति, स्थलाकृतिक सर्वेक्षण का अनुसंधान और विकास करना तथा स्वदेशीकरण करना।
  • 14 विदेशी बंदरगाहों सहित 44 बंदरगाहों पर ज्वार-भाटे से संबंधित भविष्यवाणी (पूर्वानुमान) करना और नौवहन कार्यकलापों की सहायता के लिये एक वर्ष पहले ही ज्वार-भाटा तालिका प्रकाशित करना।
  • निजी प्रकाशकों सहित अन्य अभिकरणों द्वारा प्रकाशित मानचित्रों पर भारत गणराज्य की बाह्य सीमाओं और तटरेखाओं की संवीक्षा करना और प्रमाणित करना।

विवादों का निपटान

भारतीय सर्वेक्षण विभाग और अन्य व्यक्तियों के मध्य दिशा-निर्देशों के अनुप्रयोज्यता या विवेचना पर कोई विवाद होने की स्थिति में मामले को सचिव, भारत सरकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को भेजा जाएगा, जिसका निर्णय दोनों पक्षकारों के लिये बाध्यकारी होगा।

स्रोत: द हिंदू

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