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जम्मू- कश्मीर में ‘हंगुल’ हिरन के संरक्षण के प्रयास

  • 28 Jan 2017
  • 8 min read

संदर्भ :

जम्मू कश्मीर के राज्य पशु विश्व प्रसिद्ध हंगुल हिरन की संख्या लगातार घट रही है | कश्मीर का रेड डियर यानि हंगुल प्रजाति का यह हिरन लुप्त होने की कगार पर है । 

प्रमुख बिन्दु : 

  • श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में स्थित दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान (Dachigam National Park) में 2009 तक इनकी संख्या 234 थी, वहीँ 2015 में घटकर सिर्फ 186 रह गई |  
  • 2011 में की गई गणना में, हंगुल की संख्या 218 होने का अनुमान था । 
  • हन्गुल की संख्या के आकलन का यह प्रयास दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और कश्मीर घाटी में आसपास स्थित क्षेत्र मे किया गया |
  • जंगलों में आधिपत्य, चारागाहों की कमी और इनकी खाल और सींगों के लिए इनके शिकार से इनकी संख्या काफी कम हो गई । 
  • कश्मीर में इस हिरण का इतना शिकार हुआ कि इस प्रजाति को संरक्षित करना मुश्किल हो गया । 
  • जब तक सरकार इसकी तरफ ध्यान देती तब तक कश्मीर में पाई जाने वाली यह प्रजाति लुप्त होने लगी। 
  • रेड डाटा बुक ऑफ इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिर्सोसेज (आइयूसीएन) ने वर्ष 1947 के बाद से ही इस हिरण को लुप्तप्राय घोषित किया था । 
  • वर्ष 1970 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने आइयूसीएन और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड से एक संयुक्त परियोजना शुरू की ताकि हंगुल प्रजाति को संरक्षित रखने के लिए एक ठोस प्रबंधन डाचीगाम में किया जाए । 
  • यह प्रजाति इस राष्ट्रीय पार्क तक ही सीमित रह गई है। 
  • इतना ही नहीं, प्रजनन के लिए मादा हिरण की संख्या काफी गिर गई । 
  • कुछ विशेषज्ञों की राय में इसका एक बड़ा कारण हिरणों के झुंड को श्रीनगर से 21 किलोमीटर दूर डाचीगाम नेशनल पार्क में विचरण के लिए सीमित रखना भी है इससे उन्हें प्रजनन के लिये चारागाह, खुले एवं घने जंगल, झरने आदि नहीं मिल पाए |


हंगुल हिरण की प्रमुख विशेषताएँ : 

  • हंगुल 3 से 18 के झुंड में रहते हैं।
  • इन हिरणों के लिए घने जंगल, जलवायु और ठंडा तापमान की जरूरत होती है। 
  • उत्तर भारत में यह कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के चंबा के जंगलों में मिलते हैं। 


हंगुल के संरक्षण हेतु प्रयास :

  • अब यह प्रजाति केवल डाचीगाम नेशनल पार्क तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इसके संरक्षण और प्रजनन के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी की ओर से वित्तीय सहायता मिलेगी। 
  • यह ब्रीडिंग सेंटर घाटी के तराल और शिकारगाह  इलाके में बनाए जाएंगे।
  • भारतीय डाक विभाग ने इसे संरक्षित करने के लिए एक डाक टिकट भी शुरू किया है ।
  • वन्य जीव सरंक्षण विभाग ने पर्यावरण, वन एवं वातावरण परिवर्तन विभाग की भी सहायता ली जाएगी |
  • बर्फीले क्षेत्रों में रहने वाले इस प्रजाति के हिरणों को गर्मियों के दौरान प्रजनन में कोई बाधा न आए, इसके लिए जंगलों के दायरे को भी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है |
  • हंगुल सहित अन्य वन्य जीव प्रजातियों की सुरक्षा हेतु गश्त लगाई जाएगी । 
  • इसके लिए विभाग की ओर से अधिकारियों और सुरक्षा गार्ड सहित विशेषज्ञों की टीमें बनाई गई हैं ।
  • रोटेशन में ये टीमें एक हजार से अधिक किलोमीटर वर्ग वाले पार्क की हर रोज गश्त करेंगी, ताकि वन्य प्राणियों के शिकार पर रोक लगाई जा सके । 
  • हन्गुल की संख्या के आकलन का यह प्रयास दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और कश्मीर घाटी में आसपास स्थित क्षेत्र मे किया गया |
  • सरकार ने एक ‘हंगुल संरक्षण कार्य योजना’ (Hangul conservation action plan) तैयार की है जिसमें  हिरण, इसके संरक्षण और सुरक्षा के मामले में सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है |
  • दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान, जिसे पहले प्रशासनिक रूप से दो वन्यजीव डिवीजनों के बीच विभाजित किया गया था, बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए अब एक केन्द्रीय वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत एकल प्रशासनिक इकाई बना दिया गया है |
  • हंगुल के अंतिम ज्ञात निवास स्थान में बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए, "दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और आसन्न संरक्षण की सीमाओं के सीमांकन केंद्रीय वन्यजीव प्रभाग के तहत भी अभ्यारण्य शुरू किया गया है जो प्रवर्तन और सुरक्षा को मजबूत करेगा।
  • हंगुल नस्ल के संरक्षण के लिए शिकारगाह तराल ( Shikargah Tral ) में प्रजनन केंद्र की स्थापना की जा रही है |
  • गर्मियों में ऊपरी दाचीगम क्षेत्रों में चराई को प्रतिबंधित करने के प्रयास किए जा रहे हैं |
  • स्थायी कैबिनेट के फैसले के अनुसार दाचीगम से भेड़ प्रजनन फार्म स्थानांतरित करने के लिए भी प्रयास चल रहा है जिससे अप्रत्यक्ष रूप से हंगुल सम्बन्धी रोगजनक गतिविधियों की रोकथाम में मदद मिलेगी
  • राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों; पार्क के अंदर अनावश्यक और अपरिहार्य वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध के विनियमन को लागू किया जा रहा है
  • संवेदनशील क्षेत्रों में उपलब्ध सीमावर्ती कर्मचारियों द्वारा नियमित गश्त और अवैध शिकार को विफल करने हेतु निगरानी को सुनिश्चित किया जा रहा है।
  • देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (डब्लूआईआई) के विशेषज्ञों के सहयोग से हंगुल की संख्या की नियमित रूप से निगरानी की जा रही है।
  • हंगुल के व्यवहार और पारिस्थितिकी से सम्बंधित अध्ययन और अनुसन्धान को भी प्राथमिकता दी जा रही है | 
  • डब्ल्यूआईआई एवं शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Sher-e-Kashmir University of Agriculture Sciences and Technology-SKUAST) में इस सम्बन्ध में शोध किए जा रहे हैं |
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