बोतल बंद पेयजल में हानिकारक माइक्रोप्लास्टिक संदूषण | 20 Mar 2018

चर्चा में क्यों?

  • प्लास्टिक की समुद्र तटरेखाओं के साथ-साथ झीलों, नदियों और यहाँ तक ​​कि मृदा में भी उपस्थिति एक गंभीर पर्यावरणीय संकट है।
  • एक शोध में अब तक सुरक्षित मानी जाने वाली पानी की बोतलों में इनकी मौजूदगी इस संकट की भयावहता को दर्शाता है।
  • अमेरिका की एक गैर-लाभकारी संस्था ओर्ब मीडिया ने भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों में बोतल बंद पीने का पानी बेचने वाली कंपनियों के 259 नमूनों के शोध के आधार पर यह कहा है कि इन कंपनियों के लगभग 90% जल में मानव और पर्यावरण के लिये हानिकारक माने जाने वाले पॉलीप्रोपिलीन, नायलॉन और पॉलीथिलीन टेरेफ्थेलेट जैसे तत्त्व मौजूद रहते हैं। इन सबका प्रयोग बोतलों के ढक्कन बनाने में होता है।

क्या था शोध?

  • इस शोध हेतु बिस्लेरी और एक्वाफिना जैसे भारतीय ब्रांड के अतिरिक्त नेस्ले प्योर लाइफ, एक्वा, एवियन, सान पेलेग्रिनो, मिनाल्बा जैसे अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड के नमूने भी लिये गए थे। 
  • शोध में प्लास्टिक की जाँच के लिये नाइल रेड डाई नामक विशेष रंग का इस्तेमाल किया गया था। इसे पानी में डालते ही प्लास्टिक के कण चमकने लगते हैं।
  • इसका उपयोग वर्तमान में समुद्र के पानी में प्लास्टिक की मात्रा का मापन करने के लिये किया जाता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने डाई से चिपकने वाले कणों को फिल्टर कर इनका इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी के ज़रिये विश्लेषण किया और यह पाया कि ये प्लास्टिक के सूक्ष्म कण हैं। बाद में इनके पॉलीमर (बहुलक) के बारे में जानकारी जुटाई गई।
  • सभी नमूनों का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि 93% बोतल बंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद थे जिनका आकार 100 माइक्रोंस से लेकर 6.5 माइक्रोंस तक पाया गया।
  • शोध में प्रति एक लीटर बोतल बंद पानी में प्लास्टिक के 10.4 सूक्ष्म कण (Microplastic ) पाए गए हैं।
  • हालाँकि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार बोतल बंद पेयजल में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता केवल 0.1 पार्ट्स प्रति बिलियन (PPB) है। इसमें मानव स्वास्थ्य को खतरा पैदा करने वाली कोई बात सामने नहीं आई है।

प्लास्टिक प्रदूषण 

  • माइक्रोप्लास्टिक 5MM से कम आकार के कण हैं जो पर्यावरण में या तो प्राथमिक औद्योगिक उत्पादों जैसे-स्क्रबर्स और कॉस्मेटिक्स के रूप में या शहरी अपशिष्ट जल के माध्यम से और उपभोक्ताओं द्वारा फेंक दिये गए सामानों के टूटे-फूटे टुकड़ों के रूप में प्रवेश करते हैं।
  • कपड़े धोते समय निकलने वाले सिंथेटिक माइक्रोफाइबर्स जल निकायों और समुद्र में मिल जाते हैं। पीने के पानी, भोजन और यहाँ तक ​​कि वायु में भी पॉलीप्रोपिलिन, पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट और अन्य रसायनों की मौजूदगी का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है लेकिन निर्विवाद रूप से ये दूषित पदार्थ हैं।
  • यह सुखद संकेत है कि इस शोध के जारी होने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पानी में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक के स्वास्थ्य पर प्रभावों का अध्ययन करने की पहल की है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 300 मिलियन टन से भी अधिक उत्पादित होने वाले प्लास्टिक को कचरे के रूप में फेंकने से इस पर नियंत्रण पाने की सरकारों की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

समाधान 

  • हर साल बोतलों और पैकेजिंग उत्पादों सहित आठ मिलियन प्लास्टिक समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। इसी तथ्य के आलोक में पिछले दिसंबर में नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने समुद्री वातावरण में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये 18 महीने में एक बाध्यकारी समझौते को अंतिम रूप देने का संकल्प लिया था।
  • प्लास्टिक, विशेषतया शॉपिंग बैग के रूप में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की थैलियों के चलते भारत में एक बड़ी समस्या यह है कि ये कचरे के साथ डंपिंग साइट, नदियों और झीलों तक पहुंच जाती हैं।
  • प्रदूषण से निपटने का सबसे कारगर तरीका प्लास्टिक उत्पादन और वितरण को नियंत्रित करना है।
  • प्लास्टिक के शॉपिंग बैग पर प्रतिबंध लगाना और उपभोक्ताओं को अधिक टिकाऊ विकल्प के लिये प्रोत्साहित करना एक समाधान हो सकता है।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 जिसके तहत इस वर्ष 8 अप्रैल से कचरे का पृथक्करण अपेक्षित है, को प्रभावी रूप से लागू करने से प्लास्टिक और अन्य सामग्री को पुनः प्राप्त किया जा सकेगा जिससे पर्यावरण पर बोझ को कम किया जा सकता है।
  • अपशिष्ट पृथक्करण के लिये समुदायों की भागीदारी पर ज़ोर दिया जा सकता है जिससे रोज़गार भी सृजित हो सकते हैं।
  • हालाँकि समस्या का समाधान दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करके ही पाया जा सकता है।
  • जैसा कि यूरोपीय संघ के चक्रीय प्लास्टिक इकॉनमी सृजित करने संबंधी विज़न 2030 डॉक्यूमेंट के अनुसार इसका वास्तविक समाधान प्लास्टिक की प्रकृति को सस्ते और प्रयोग कर फेंके जाने वाले उत्पाद से टिकाऊ, पुन: प्रयोज्य और पूर्णतया पुन: चक्रित करने योग्य उत्पाद में बदलना है।