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खुदरा महँगाई दर बढ़कर 3.36 फीसदी हुई, औद्योगिक उत्पादन में भी सुधार

  • 13 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

सब्ज़ियों और फलों की कीमतें बढ़ने से खुदरा महँगाई  (Retail inflation) की दर अगस्त महीने में बढ़कर पिछले 5 महीने के उच्चस्तर पर यानी 3.36% पर पहुँच गई है। इससे पिछले महीने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर 2.36% पर थी। अगस्त महीने का खुदरा मुद्रास्फीति का आँकड़ा मार्च, 2017 के बाद सबसे ऊँचा है, मार्च में यह 3.89% पर थी। 

प्रमुख बिंदु 

  • सरकार की ओर से मंगलवार को जारी अर्थव्यवस्था के आँकड़ों के अनुसार अगस्त में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 1.52 पर पहुँच गई थी। 
  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) की ओर से जारी आँकड़ों के अनुसार महीने के दौरान रोजाना उपभोग वाले फल और सब्ज़ियों की महँगाई दर बढ़कर क्रमश: 5.29% और 6.16% हो गई। 
  • परिवहन और संचार क्षेत्रों में भी महँगाई दर बढ़कर 3.71% हो गई, जो जुलाई में 1.76% थी। 
  • इसके अलावा मोटे अनाज और उत्पाद, मांस एवं मछली, तेल और वसा की महँगाई दर घटकर क्रमश: 3.87%, 2.94% और 1.03% पर आ गई।
  • आँकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में सुधार दिखाई दे रहे हैं। देश के औद्योगिक उत्पादन में जुलाई में बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है और यह 1.2 फीसदी रही, जबकि जून में यह 0.16 फीसदी थी। 
  • जुलाई में बिजली क्षेत्र में 6.5% की वृद्धि हुई, जो जून में 2.1% थी।
  • विनिर्माण क्षेत्र में जून के 0.4% संकुचन से केवल 0.1% की वृद्धि हुई।

मुद्रास्फीति (Inflation)

  • जब मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा होती है तो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। कीमतों में इस वृद्धि को मुद्रास्फीति कहते हैं।  
  • अत्यधिक मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के लिये हानिकारक होती है, जबकि 2 से 3% की मुद्रास्फीति की दर अर्थव्यस्था के लिये ठीक होती है। 
  • मुद्रास्फीति मुख्यतः दो कारणों से होती है, मांग कारक और मूल्य वृद्धि कारक से।
  • मुद्रास्फीति के कारण अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में मंदी आ जाती है। 
  • मुद्रास्फीति का मापन तीन प्रकार से किया जाता है:- थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एवं राष्ट्रीय आय विचलन विधि से।   

थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index )  

  • इसमें मुद्रास्फीति की दर की गणना थोक मूल्यों पर की जाती है अर्थात, जो सामान थोक में बेचा जाता है और उपभोक्ताओं के बजाय संगठनों के बीच कारोबार होता है। 
  • भारत में मुद्रास्फीति की गणना के लिये इसी पद्वति का प्रयोग किया जाता है। 
  • मुद्रास्फीति ज्ञात करने की यह एक आसान विधि है। 
  • इसमें मुद्रास्फीति की दर वर्ष के शुरुआत और अंत में गणना की गई थोक मूल्य सूचकांक के अंतर से निकाली जाती है। 

उपभोक्ता कीमत सूचकांक (Consumer Price Index) : 

  • किसी अर्थव्यवस्था के उपभोग व्यय का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कीमत परिवर्तन का आकलन करने वाली व्यापक माप को उपभोक्ता कीमत सूचकांक कहा जाता है। 
  • इसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें खुदरा मूल्य पर ली जाती हैं। 
  • इसका आधार वर्ष 2011-12 है। 
  • इसे मासिक आधार पर ज़ारी किया जाता है।
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