निवेश सलाहकार के लिये योग्यता नियमों में सुधार | 18 Feb 2020
प्रीलिम्स के लिये:SEBI, इनसाइडर ट्रेडिंग मेन्स के लिये:निवेश सलाहकारों के लिये योग्यता नियमों में सुधार से संबंधित मुद्दे, पूंजी बाज़ार से संबंधित विवाद एवं मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Security Exchange Board of India- SEBI) ने निवेश सलाहकारों के लिये योग्यता नियमों में सुधार करने फैसला लिया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- निवेशकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से, पूंजी बाज़ार नियामक सेबी निवेश सलाहकारों के लिये योग्यता मानदंडों को कड़ा बनाने और अधिकतम फीस तय करने की तैयारी में है।
- इसके अतिरिक्त नियामक जल्द ही कार्वी (Karvy) जैसे मामलों से बचने के लिये एक सर्कुलर जारी करेगा। ध्यातव्य है कि कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग सर्विसेज लिमिटेड (Karvy Stock Broking Services Limited) पर ग्राहकों की अनुमति के बिना उनकी प्रतिभूतियों का उपयोग निजी लाभ के लिये करने का आरोप है।
- इसके अतिरिक्त नियामक मिड कैप (Mid Cap) और स्माल कैप (Small Cap) म्यूचुअल फंड स्कीम्स को दोबारा श्रेणीबद्ध करने की तैयारी कर रहा है। गौरतलब है कि in सुधारों के माध्यम से म्यूचुअल फंड के निवेश का दायरा बढ़ाया जा सकता है।
SEBI द्वारा किये गए हालिया सुधार
- सेबी ने निवेश सलाहकारों के रूप में पंजीकृत नहीं होने की स्थिति में स्वतंत्र ‘फाइनेंसियल एडवाइज़र’ या ‘वेल्थ एडवाइज़र’ जैसे टाइटल के प्रयोग पर भी रोक लगा दी है।
- सेबी के अनुसार, नए नियम चार परामर्श पत्रों और सार्वजनिक टिप्पणियों पर विचार करने के बाद बनाए गए हैं, जिनका उद्देश्य फीस के भुगतान में पारदर्शिता लाना और निवेशकों से वसूल की जाने वाली फीस पर ऊपरी सीमा तय करना है।
- सेबी निवल योग्यता (Networth Qualification) और अनुभव (Experience) सहित निवेश सलाहकार के रूप में पंजीकरण के लिये इनहांस्ड एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया (Enhanced Eligibility Criteria) भी लागू करेगा।
- सेबी के अनुसार, अधिक पारदर्शिता के लिये सलाहकार और क्लाइंट को सभी नियमों एवं शर्तों को शामिल करते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे।
- सेबी के अनुसार, नए नियमों के अंतर्गत सलाह एवं वितरण की सेवाएँ किसी व्यक्तिगत सलाहकार द्वारा दिये जाने की अनुमति नहीं होगी।
SEBI द्वारा किये गए सुधारों का महत्त्व
- सेबी द्वारा किये गए सुधारों से पूंजी बाज़ार से संबंधित चुनौतियों से निपटने में सहायता प्रदान करेंगे।
- निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सकेगी और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने के लिये प्रेरित किया जा सकेगा।
- निवेश सलाहकार के रूप में नियुक्ति हेतु आवश्यक योग्यता मानदंडों को कठोर बनाए जाने से बेहतर निवेश सलाहकार व्यवस्था में शामिल होंगे तथा निवेशकों को बेहतर सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
SEBI द्वारा किये गए सुधारों के प्रभाव
- इससे निवेश सलाहकारों द्वारा मनमाने ढंग से फीस में एक सीमा से अधिक वृद्धि नहीं कर पाएँगे जिससे निवेशकों पर पड़ने वाला फीस का अतिरिक्त भार कम होगा।
- नए नियमों के अंतर्गत सलाह एवं वितरण की सेवाएँ किसी व्यक्तिगत सलाहकार द्वारा दिये जाने की अनुमति नहीं होने से व्यवस्था के औपचारिकरण में मदद मिलेगी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI):
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
- इसका मुख्यालय मुंबई में है तथा नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
- इसके मुख्य कार्य हैं -
- प्रतिभूतियों (Securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
- प्रतिभूति बाज़ार (Securities Market) के विकास का उन्नयन तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।
आगे की राह
- SEBI को पूंजी बाज़ार में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिये निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है, गौरतलब है कि SEBI निरंतर इनसाइडर ट्रेडिंग और निवेश जैसे मुद्दों पर कार्रवाई करता रहा है।
- ग्राहकों की अनुमति के बिना उनकी प्रतिभूतियों का उपयोग निजी लाभ के लिये नहीं किया जा सके, इससे संबंधित कड़े मानदंडों के निर्धारण एवं क्रियान्वयन की आवश्यकता है जिससे कि निवेशकों का इस व्यवस्था पर विश्वास बना रहे।