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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

यातना के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का महत्त्व

  • 04 Dec 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही विधि आयोग द्वारा कहा गया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र के यातना के विरुद्ध कन्वेंशन (UN Convention Against Torture) की पुष्टि कर देनी चाहिये।
गौरतलब है कि दो दशक पहले इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर कर चुका भारत अब तक इसकी पुष्टि नहीं कर पाया है।

संयुक्त राष्ट्र का यातना के विरुद्ध कन्वेंशन

  • यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसकी घोषणा वर्ष 1984 में तथा इसे लागू वर्ष 1987 में किया गया।
  • इस कन्वेंशन को वर्तमान में 162 सदस्य अपनी सहमति दे चुके हैं, जबकि 83 पक्ष इसके हस्ताक्षरकर्ता हैं।
  • कन्वेंशन को स्वीकृति देने से इनकार करने वाले कुछ देश हैं- अंगोला, बहामा, ब्रुनेई, जाम्बिया, हैती और सूडान आदि। भारत भी इन देशों के साथ इस निंदनीय सूची का हिस्सा है।

कन्वेंशन के उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य दुनिया भर में होने वाली यातनाओं तथा क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक कृत्यों को रोकना है।
  • यह यातना देने को एक दंडनीय अपराध मानता है और पीड़ितों के लिये मुआवज़े के अधिकार को मान्यता देता है।
  • यह देशों को अपने नागरिक, उन देशों में भेजने से मना करता है, जहाँ यह संभावना है कि उन्हें यातना झेलनी पड़ सकती है।

कन्वेंशन की पुष्टि आवश्यक क्यों?

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001 से वर्ष 2010 के बीच ‘न्यायिक हिरासत’ में 12,727 लोगों की, जबकि ‘पुलिस हिरासत’ में 1275 लोगों की मौत हो चुकी है।
  • अन्य देशों से अपराधियों के प्रत्यर्पण का भारत का अनुरोध कई बार सिर्फ इसलिये खारिज़ कर दिया जाता है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के भीतर यह डर व्याप्त है कि भारत में आरोपी व्यक्तियों को यातनाएँ दी जाती हैं।
  • भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure Code) दोनों में ही ‘कैद में यातना’ (custodial torture) के संबंध में कोई विशेष और व्यापक प्रावधान नहीं हैं।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा सरकार को ‘कैद में यातना’ को एक अलग और दंडनीय अपराध के रूप में पहचान करने की मांग की जाती रही है।

आगे की राह

  • सरकार को चाहिये कि विधि आयोग सुझाव के पर अमल करते हुए इस कन्वेंशन की पुष्टि करे।
  • जब भारत इस कन्वेंशन की पुष्टि कर लेगा तो सरकार को यातना तथा अन्य क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक कृत्यों को रोकने के लिये विधायी उपाय करने आवश्यक हो जाएंगे।
  • विधायी उपायों में यह किया जाना चाहिये कि बिना विलम्ब के ‘प्रिवेंशन ऑफ टार्चर बिल’ 2017 को पारित कर इसे कानून की शक्ल दी जाए।
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