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भारतीय राजव्यवस्था

मानसून सत्र में 'प्रश्नकाल' और 'शून्यकाल' पर प्रतिबंध

  • 04 Sep 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रश्नकाल और शून्यकाल

मेन्स के लिये:

प्रश्नकाल और शून्यकाल का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में  लोकसभा और राज्यसभा के सचिवों ने अधिसूचित किया है कि COVID-19 महामारी के चलते संसद के मानसून सत्र के दौरान 'प्रश्नकाल' नहीं होगा तथा 'शून्यकाल' प्रतिबंधों के साथ दोनों सदनों में होगा।

प्रमुख बिंदु:

  • ये अधिसूचनाएँ 14 सितंबर से 1 अक्तूबर के बीच लागू रहेगी।
  • विपक्षी सांसदों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे वे सरकार से प्रश्न करने का अधिकार खो देंगे। 

प्रश्नकाल:

  • संसदीय प्रक्रिया नियमों में प्रश्नकाल उल्लिखित नहीं है। 
  • संसदीय कार्यवाही का पहला एक घंटा प्रश्नकाल के लिये निर्धारित होता है। इस अवधि के दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से प्रश्न पूछे जाते हैं। मंत्री सामान्यत: इन प्रश्नों का उत्तर देते हैं। 
  • वर्ष 1991 के बाद से प्रश्नकाल के प्रसारण के साथ, प्रश्नकाल संसदीय कार्यप्रणाली का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है।
  • ‘प्रश्नकाल’ में पूछे गए प्रश्न निम्नलिखित श्रेणी के होते हैं:

तारांकित प्रश्न: 

  • ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की अनुमति होती है। 

अतारांकित प्रश्न: 

  • ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा लिखित रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलता है।

अल्पसूचना प्रश्न: 

  • इस प्रकार के प्रश्नों को कम-से-कम 10 दिन का पूर्व नोटिस देकर पूछा जाता है, तथा प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता है। 

Question-Hour

शून्यकाल:

  • संसदीय प्रक्रिया नियमों में प्रश्नकाल के समान ‘शून्यकाल’ भी उल्लिखित नहीं है।
  • यह संसदीय कार्यप्रणाली का अनौपचारिक साधन है, संसद सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी मामले को उठा सकते हैं। 
  • शून्यकाल का समय प्रश्नकाल के तुरंत बाद अर्थात दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक होता होता है।
  • संसदीय प्रक्रिया में यह ‘नवाचार’ भारत की देन है।

प्रश्नकाल और शून्यकाल का महत्त्व:

  • पिछले 70 वर्षों में सांसदों ने सरकारी कामकाज पर प्रकाश डालने के लिये इन संसदीय साधनों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
  • सांसदों द्वारा इन साधनों का प्रयोग करके सरकार की अनेक वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है। 
  • प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए प्रश्नों से सरकारी कामकाज के बारे में आँकड़ों और जानकारी की सार्वजनिक डोमेन में उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।
  • संसदीय नियम पुस्तिका में ये संसदीय प्रक्रिया साधन उल्लिखित नहीं होने के बावज़ूद  इन्हें नागरिकों, मीडिया, सांसदों और पीठासीन अधिकारियों का व्यापक समर्थन प्राप्त है। 

आगे की राह:

  • सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है, इसलिये सरकार की जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के लिये संसदीय कार्यवाही को निलंबित या बंद नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि यह संविधान की भावना के विरुद्ध होगा

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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