किलोग्राम की परिभाषा में बदलाव का महत्त्व | 26 Oct 2017
चर्चा में क्यों
- फ्राँस के सेवरिस शहर में हाल ही में संपन्न मेट्रोलॉजी संस्थानों के प्रमुखों के एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यह फैसला किया गया कि द्रव्यमान मापन की इकाई किलोग्राम को और अधिक सटीक बनाया जाएगा।
- विदित हो कि फ्राँस के सेवरिस में ही माप-तौल के अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो में सुरक्षित रखे प्लेटिनम-इरीडियम मिश्र धातु के बने हुए बेलन के द्रव्यमान को मानक किलोग्राम कहते हैं।
- लेकिन मापन में सटीकता लाने के उद्देश्य से 90 प्रतिशत प्लेटिनम और 10 प्रतिशत इरीडियम की मिश्र धातु से बने इस बेलन को वर्ष 2019 से आधार मानकों के अन्य प्रतिरूपों से विस्थापित कर दिया जाएगा।
क्यों लाया जा रहा है यह बदलाव?
- इकाइयों को कलाकृतियों के आधार पर परिभाषित के सिद्धांत में पिछले 60 सालों में व्यापक बदलाव आया है। कई मानक इकाइयों जैसे- सेकेंड, मीटर, ऐम्पियर, केल्विन, और मोल आदि को भौतिक वस्तुओं द्वारा परिभाषित करना बंद किया जा चुका है।
- दरअसल, भौतिक वस्तुओं का निश्चित जीवन-काल होता है और इस अवधि के दौरान उनकी अवस्था में लगातार परिवर्तन आता है या यूँ कहें कि किलोग्राम को परिभाषित करने वाले बेलन का भार हमेशा एक समान नहीं रहने वाला। अतः द्रव्यमान की इकाई किलोग्राम में और अधिक सटीकता लाने के उद्देश्य से ऐसा करना आवश्यक है।
- उल्लेखनीय है कि द्रव्यमान की इकाई किलोग्राम को परिभाषित करने के लिये प्लेटिनम-इरीडियम मिश्रधातु के बने हुए बेलन के बजाय अब किबल बैलेंस (kibble balance) का सिद्धांत प्रयोग में लाया जाएगा। इसमें द्रव्यमान को संतुलित करने के लिये किसी चुंबकीय क्षेत्र में विद्युत-प्रवाहित तारों द्वारा उत्पादित बल का उपयोग किया जाता है।
अन्य एसआई मात्रक
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति (International System of Units or S.I. Units) को 1960 ई. में अंतर्राष्ट्रीय माप-तौल के अधिवेशन में स्वीकार किया गया था। इस पद्धति में मूल मात्रकों की संख्या सात है।
1. लंबाई: इस पद्धति में लंबाई का मूल मात्रक मीटर है। 1 मीटर वह दूरी है, जिसे प्रकाश निर्वात में 1/299792458 सेकेण्ड में तय करता है।
2. द्रव्यमान: द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम को माना गया है। फ्राँस के सेवरिस नामक स्थान पर माप-तौल के अंतर्राष्ट्रीय माप तौल ब्यूरो में सुरक्षित रखे प्लेटिनम-इरीडियम मिश्रधातु के बने हुए बेलन के द्रव्यमान को मानक किलोग्राम कहते हैं।
3. समय: इस पद्धति में समय का मात्रक सेकेंड है। सीजियम-133 परमाणु की मूल अवस्था के दो निश्चित ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण से उत्पन्न विकिरण के 9192631770 आवर्तकालों की अवधि को 1 सेकेण्ड कहते हैं।
4. विद्युत-धारा: विद्युत धारा का मूल मात्रक ऐम्पियर है। यदि दो लम्बे और पतले तारों को निर्वात में 1 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे के समानांतर रखा जाए और उनमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो विद्युत धारा के उस परिमाण को 1 ऐम्पियर कहा जाता है।
5. ताप: ताप का मूल मात्रक ‘केल्विन’ को माना गया है। जल के त्रिक बिंदु (triple point) के उष्मागतिक ताप के 1/273.16 वें भाग को केल्विन कहते हैं।
6. ज्योति-तीव्रता: इसका मूल मात्रक ‘कैण्डेला’ है। किसी निश्चित दिशा में किसी प्रकाश स्रोत की ज्योति-तीव्रता 1 कैण्डेला तब कही जाती है, जब यह स्रोत उस दिशा में 540 x 1012 हर्ट्ज़ का तथा 1/ 683 वाट/स्टेरेडियन तीव्रता का एकवर्णीय प्रकाश उत्सर्जित करता है।
7. पदार्थ की मात्रा: इसका मात्रक ‘मोल’ है। एक मोल, पदार्थ की वह मात्रा है, जिसमें उसके अवयवी तत्त्वों (परमाणु, अणु आदि) की संख्या 6.023 x 1023 होती है। इस संख्या को ऐवोगाड्रो नियतांक कहते हैं।