अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग | 16 Jan 2021

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कार्यकाल में दो बार महाभियोग का सामना करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं। अमेरिकी काॅन्ग्रेस ने उन पर विद्रोह भड़काने का आरोप लगाया गया है।

  • ज्ञात हो कि 06 जनवरी, 2021 को जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन की जीत को प्रमाणित करने के लिये अमेरिकी काॅन्ग्रेस का सत्र शुरू हुआ तो डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग (जहाँ अमेरिकी संसद स्थित है) पर कब्ज़ा करने का असफल प्रयास किया।

प्रमुख बिंदु

अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग

  • दो सदन: संयुक्त राज्य अमेरिका की विधायिका यानी संयुक्त राज्य अमेरिका की काॅन्ग्रेस में कुल दो सदन हैं:
    • सीनेट में प्रत्येक राज्य से दो प्रतिनिधि (सीनेटर) चुने जाते हैं, चाहे उस राज्य की आबादी कितनी भी हो।
    • हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स, जिसमें सदस्यों का चुनाव राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। 
  • महाभियोग का कारण: अमेरिकी संविधान के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रपति को देशद्रोह, रिश्वत लेने अथवा किसी अन्य गंभीर अपराध या दुष्कर्म के कारण पद से हटाया जा सकता है।
  • पूर्ववर्ती महाभियोग
    • अब तक तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों- डोनाल्ड ट्रंप (वर्ष 2019), बिल क्लिंटन (वर्ष 1998) और एंड्रयू जॉनसन (वर्ष 1868) पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स द्वारा महाभियोग चलाया गया है, हालाँकि सभी को सीनेट में विमुक्त कर दिया गया।
    • इस प्रकार किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति को अब तक महाभियोग द्वारा पद से हटाया नहीं गया है।

भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग संबंधी प्रावधान

  • भारत में राष्ट्रपति को केवल 'संविधान का उल्लंघन' करने की स्थिति में ही हटाया जा सकता है, साथ ही भारतीय संविधान में 'संविधान के उल्लंघन' के अर्थ को परिभाषित नहीं किया गया है।
  • महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन- लोकसभा अथवा राज्यसभा द्वारा शुरू की जा सकती है।

भारत और अमेरिका में राष्ट्रपति पर महाभियोग संबंधी तंत्र

भारतीय राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रकिया (अनुच्छेद 61)

अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग पर की प्रक्रिया

भारतीय राष्ट्रपति को ‘संविधान के उल्लंघन’ के मामले में महाभियोग की प्रकिया के माध्यम से पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग की प्रकिया को संसद के किसी भी सदन द्वारा शुरू किया जा सकता है।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स का कोई भी सदस्य महाभियोग के प्रस्ताव को प्रस्तुत कर सकता है यदि उसे संदेह है कि राष्ट्रपति ‘राजद्रोह, रिश्वतखोरी अथवा किसी अन्य गंभीर अपराध या दुष्कर्म का दोषी है।’

जिस भी सदन में प्रकिया शुरू की गई है, उसके एक-चौथाई सदस्यों द्वारा संबंधित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया जाना आवश्यक है, तभी सदन द्वारा उस पर विचार किया जाता है, जिसके बाद राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस दिया जाता है।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में सामान्य बहुमत (51 प्रतिशत) के माध्यम से महाभियोग की प्रकिया शुरू की जा सकती है, इसके बाद प्रकिया ट्रायल की और बढ़ती है।

संसद के किसी एक सदन द्वारा महाभियोग प्रस्ताव के पारित (सदन की कुल सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से) होने के बाद, उसे विचार हेतु दूसरे सदन में भेजा जाता है।  

ट्रायल की शुरुआत होती है, सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश इसकी अध्यक्षता करता है, जबकि अभियोजन पक्ष के सदस्य और सीनेटर एक निर्णायक मंडल के रूप में कार्य करते हैं। राष्ट्रपति अपनी ओर से एक वकील की नियुक्ति कर सकता है।

यदि अन्य सदन द्वारा भी दो-तिहाई बहुमत से महाभियोग प्रस्ताव को पारित कर दिया जाता है, तो राष्ट्रपति को उस प्रस्ताव के पारित होने की तिथि से उसे पद से हटाया जा सकता है। 

ट्रायल के अंत में, सीनेट के सदस्यों द्वारा वोट किया जाता है और यदि कम-से-कम दो-तिहाई (67 प्रतिशत) सीनेटर राष्ट्रपति को अपराध का दोषी मानते हैं, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है और शेष कार्यकाल के लिये उप-राष्ट्रपति पदभार संभाल लेता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस