इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कृषि ऋण माफी के प्रभाव

  • 02 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

कृषि ऋण छूट को एक "त्वरित सुधार" करार देते हुए, आरबीआई ने फिर से अपनी चिंता व्यक्त की है। आरबीआई का कहना है कि इससे स्थायी कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल असर देखने को मिलेगा।

आरबीआई ने क्या कहा?

हाल ही में जारी अर्द्धवर्षीय आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक यदि सभी राज्यों ने कृषि ऋण माफी योजना पर अमल करना शुरू कर दिया तो करीब 2.2 से 2.7 लाख करोड़ रूपए तक का कर्ज़ माफ करना होगा। इससे अर्थव्यवस्था को अपस्फीति का झटका लग सकता है।

राज्यों को ऋण माफी के बाद खजाने का वित्तपोषण करना होगा, ताकि राजकोषीय घाटे को नियंत्रण योग्य स्तर पर रखा जा सके। यद्यपि केंद्र सरकार राजकोषीय समेकन के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास करती है, फिर भी राज्यों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ने से सरकारी ऋण में वृद्धि हो सकती है।

चिंताएँ क्या हैं?

दरअसल, किसानों की आय बढ़ाने के लिये समन्वित और निरंतर प्रयासों का अभाव है और किसान जब भी विरोध दर्ज़ कराता है तो कर्ज़ माफी को त्वरित उपाय के रूप में अमल में लाया जाता है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने चालू वित्त वर्ष में 1.3 ट्रिलियन रूपए के कर्ज़ माफी को मंज़ूरी दी है जो कि जीडीपी के 0.8% के बराबर है।

ऋण माफी के कारण ज़रुरतमंद लोगों तक पहुँच बनाना मुश्किल हो जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने जहाँ सभी किसानों की ऋण माफी की योजना बनाई है वहीं उत्तर प्रदेश में छोटे और सीमांत किसानों को यह छूट दी गई है। इन परिस्थितियों में यह चुनाव करना कठिन हो जाता है कि कौन ज़्यादा ज़रूरतमंद है, क्योंकि सभी ऋण माफी के लिये प्रयास कर रहे होते हैं।

वैसे किसान जो ऋण चुकाने का खर्च वहन कर सकते हैं ऋण माफी की उम्मीद में वे भी अपना ऋण नही चुकाते हैं। इससे होता यह है कि भविष्य में बैंक किसानों को उधार देने के लिये अनिच्छुक हो जाते हैं। साथ ही ऋण माफी सरकार की वित्तीय प्रणाली को अव्यवस्थित कर देती है।दरअसल, ऋण माफी भी चुनावी जीत के लिये एक रणनीति बन गई है, जिसमें राजनीतिक दलों और बड़े किसानों को फायदा होता है जबकि छोटे और सीमांत किसानों के हालात स्थिर रहते हैं। इसके अलावा, चयनात्नक ऋण माफी को भी ठीक ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है।

क्या होना चाहिये?

इसमें कोई शक नहीं है कि ऋण माफी से किसानों को काफी राहत मिली है, लेकिन इस तरह की माफी का कोई दीर्घकालिक प्रभाव अभी तक देखने को नहीं मिला है। हालाँकि कर्ज़ माफी से किसानों को अस्थायी राहत मिल सकती है, फिर भी कृषि को स्थायी बनाने के लिये एक दीर्घकालिक प्रभावी उपाय की आवश्यकता है। दीर्घकालिक उपायों में शामिल हैं: 

  • तकनीक उन्नयन से अक्षमता में कमी लाना।
  • कृषि लागत में कमी लाना।
  • किसानों की आय में वृद्धि का प्रयास करना।
  • बीमा योजनाओं के माध्यम से फसल सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • सिंचाई क्षमता को बढ़ाना और कोल्ड स्टोरेज चेन का निर्माण करना।
  • कृषि क्षेत्र को सीधे बाज़ार से जोड़ना।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2