विकसित देशों की नीतियों का आईटी क्षेत्र पर प्रभाव | 29 Apr 2017

संदर्भ

  • पिछले दो दशकों से सूचना प्रौद्योगिकी के महत्त्व में वृद्धि हुई है| आईटी क्षेत्र से न केवल सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है बल्कि यह युवा भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक भी है|
  • आज विश्व का झुकाव संरक्षणवाद की ओर हो रहा है| विश्व प्रतिभा केंद्रित, सॉफ्टवेयर निर्यात मॉडलों में चुनौतियों का सामना कर रहा है|
  • विदित हो कि कुछ सप्ताह पूर्व ही कई देशों( जिनके राजस्व का तीन-चौथाई हिस्सा आईटी क्षेत्र से प्राप्त होता है) ने अपनी कंपनियों में प्रतिभावान व्यक्तियों को संरक्षण देने के लिये कड़े नियम बना दिये हैं|
  • हालाँकि समय के साथ ही बढ़ती जा रही संरक्षणवाद की यह चुनौती वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण पर भी निर्भर करेगी| 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ब्रेक्ज़िट व अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के पश्चात भारतीय तकनीकी कर्मियों के लिये बदले गए वीज़ा नियम पूर्णतः अप्रत्याशित नहीं थे| अब अन्य कई देशों(जैसे-अमेरिका,ब्रिटेन,सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया) की सरकारें भी अमेरिका का ही अनुसरण कर रही हैं|
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले सप्ताह ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ (Buy American, Hire American’) नामक एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किये थे| इस आदेश को जारी करने का उद्देश्य एच-वन वीज़ा पर प्रतिबंध लगाना था|
  • ध्यातव्य है कि इस वीज़ा के माध्यम से भारतीय कम्पनियाँ को अधिक कुशल परन्तु कम वेतनभोगी कामगार प्राप्त होते हैं| अप्रैल माह की शुरुआत में ब्रिटेन ने भी ‘अल्पकालिक अवधि’ के वीज़ा को रद्द कर दिया है|
  • अल्पकालिक वीज़ा का उपयोग भी उपयोग अधिकतर भारतीय कंपनियों द्वारा भारतीय आईटी पेशेवरों को विदेशों में लाने के लिये किया जाता था| इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भी ‘457 वीज़ा’ नियमों पर प्रतिबंध लगा दिया है| अभी तक प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, सिंगापुर में भी ‘कार्य की अनुमति’(work permits ) को अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है|

निष्कर्ष

  • विभिन्न देशों द्वारा लिये गए इन निर्णयों के आईटी कंपनियों पर पड़ने वाले उचित प्रभावों का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि ये कम्पनियाँ अपनी कार्य करने की क्षमता और परिचालन मॉडल पर भी निर्भर करती हैं|
  • वर्तमान समय में कारोबार में धीमी प्रगति, रुपये का मजबूतीकरण, परंपरागत मॉडल से आधुनिक मॉडल में बदलाव की चुनौतियाँ इत्यादि उद्योगों के लिये कठिन परिस्थितियों का निर्माण कर रहे हैं|
  • नैसकॉम ने फरवरी में अविश्वसनीय रूप से अपने वार्षिक राजस्व का पूर्वानुमान लगाना इसलिये  बंद कर दिया है क्योंकि वर्तमान में अमेरिका की नीतियों में अनिश्चितता बनी हुई है|
  • इस तथ्य का कोई औचित्य नहीं है कि विकसित देश वास्तव में भारत के आईटी पेशेवरों के बिना कुछ नहीं कर सकते हैं|
  • सरकार ने विकसित देशों द्वारा अपनाये गए कड़े नियमों के परिप्रेक्ष्य में सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने के लिये विश्व व्यापार संगठन के जिस ढाँचे का अनुसरण किया है वह स्वाभाविक रूप से चिंताजनक है|
  • उल्लेखनीय है कि आईटी उद्योग 3.5 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार देता है तथा आईटी निर्यातों से राजस्व के रूप में 100 बिलियन डॉलर कमाता है परन्तु अब इसकी स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है|