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जैव विविधता और पर्यावरण

फ्लाई ऐश का सुंदरबन की पारिस्थितिकी पर प्रभाव

  • 12 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मुरी गंगा, हुगली नदी, सागर द्वीप, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण

मेन्स के लिये:

फ्लाई ऐश और पारिस्थितिकी 

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण विशेषज्ञों एवं मत्स्य संगठनों ने हुगली नदी में फ्लाई ऐश से भरे बर्गों (एक प्रकार की नौका) के डूबने की हालिया घटनाओं को ‘सुंदरवन की पारिस्थितिकी’ के लिये एक गंभीर खतरे के रूप में चिह्नित किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • फ्लाई ऐश से भरी नौकाओं के डूबने की घटनाओं में से एक हुगली नदी पर तथा दूसरी मुरी गंगा (Muri Ganga) नदी; जो सागर द्वीप के पास हुगली से मिलती है, पर हुई है।
  • लगभग 100 बांग्लादेशी नौकाएँ जिनमें प्रत्येक का वज़न 600-800 टन होता है, नियमित रूप से भारतीय जल-मार्गों से गुजरते हैं।
  • इन नौकाओं के माध्यम से भारत के तापीय ऊर्जा संयत्रों से उत्पन्न फ्लाई ऐश को बांग्लादेश में ले जाया जाता है जहाँ फ्लाई ऐश का उपयोग सीमेंट उत्पादन में किया जाता है।

मुरी गंगा (Muri Ganga): 

  • मुरी गंगा हुगली नदी की एक सहायक नदी है जो पश्चिम बंगाल के बहती है। यह सागर द्वीप (Sagar Island) को काकद्वीप (Kakdwip) से जोड़ती है।

हुगली नदी (Hugli River):

  • हुगली, गंगा नदी की एक वितरिका है। हुगली नदी कलकत्ता से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर में गंगा से निकलती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

सागर द्वीप (Sagar Island):

  • हुगली नदी और मुरी गंगा तथा बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। यह द्वीप उच्च ज्वार के समय समुद्री लहरों से प्रभावित रहता है।

Sagar-Island

फ्लाई ऐश (Fly Ash):

  • फ्लाई ऐश (Fly Ash) प्राय: कोयला संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न प्रदूषक है, जिसका वर्तमान में कई आर्थिक गतिविधियों जैसे- सीमेंट निर्माण, ईंट निर्माण, सड़क निर्माण आदि में प्रयोग किया जाता हैं।

फ्लाई ऐश का पारिस्थितिकी पर प्रभाव:

  • फ्लाई एश में मौजूद विभिन्न विषैले तत्त्वों के मिश्रण के कारण नदी प्रदूषित हो रही है तथा ये प्रदूषक मत्स्य उत्पादन तथा उपभोग को प्रभावित कर सकता है।
  • फ्लाई ऐश के कारण न केवल मत्स्यन अपितु मैंग्रोव क्षेत्र की पारिस्थितिकी भी प्रभावित हो सकती हैं।
  • जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने पर फ्लाई ऐश धीरे-धीरे बाहर निकलकर नदी के तल में जमा हो जाती है।
  • फ्लाई ऐश मे उपस्थित प्रदूषक जैसे- सीसा, क्रोमियम, मैग्नीशियम, जस्ता, आर्सेनिक आदि पानी में मिल जाते हैं। ये प्रदूषक जलीय वनस्पतियों एवं जीवों को नुकसान पहुँचाते हैं।

परिवहन का नियमन: 

  • ‘भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण’ (Inland Waterways Authority of India- IWAI) सीमा-पार जलयानों की आवाजाही को नियंत्रित करता है।

आगे की राह:

  • बांग्लादेश में फ्लाई ऐश ले जाने वाले अधिकांश जहाज काफी पुराने हैं तथा इतनी लंबी यात्रा के लिये उपयुक्त नहीं है। अत: सरकार को सुंदरवन से गुजरने वाले इन जहाज़ों पर रोक लगाई जानी चाहिये। 

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI): 

  • अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास और विनियमन हेतु भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) की स्थापना 27 अक्तूबर, 1986 को की गई। 
  • IWAI जहाज़रानी मंत्रालय (Ministry of Shipping) के अधीन एक सांविधिक निकाय है। 
  • यह जहाज़रानी मंत्रालय से प्राप्त अनुदान के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्गों पर अंतर्देशीय जल परिवहन अवसंरचना के विकास और अनुरक्षण का कार्य करता है। 
  • वर्ष 2018 में IWAI ने कार्गो मालिकों एवं लॉजिस्टिक्स संचालकों को जोड़ने हेतु समर्पित पोर्टल ‘फोकल’ (Forum of Cargo Owners and Logistics Operators-FOCAL) लॉन्च किया था जो जहाज़ों की उपलब्धता के बारे में रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराता है।

स्रोत: डाउन-टू-अर्थ

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