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सामाजिक न्याय

आप्रवासन के मामले में भारत का शीर्ष स्थान

  • 20 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा जारी ‘इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019’ (Internationl Migrant Stock) नामक रिपोर्ट के अनुसार 17.5 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों के साथ भारत आप्रवासियों के मामले शीर्ष स्थान पर पहुँच गया है। वर्ष 2015 में भारतीय आप्रवासियों की संख्या 15.9 मिलियन थी।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (United Nations Department of Economic and Socia।Affairs- UN DESA) के जनसंख्या प्रभाग के द्वारा जारी ‘इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019’ रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों की संख्या लगभग 272 मिलियन तक पहुँच गई है, जो वर्ष 2001 की तुलना में 51 मिलियन अधिक है।
  • वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों का प्रतिशत बढ़कर कुल वैश्विक आबादी का 3.5 प्रतिशत हो गया है, जबकि वर्ष 2000 में यह 2.8 प्रतिशत था।
  • भारत अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों के मामले में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है, भारत में रहने वाले आप्रवासियों की संख्या में वर्ष 2015 में 5.24 मिलियन की गिरावट आई, जो वर्ष 2019 में 5.15 मिलियन अनुमानित है।
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत, बांग्लादेशी आप्रवासियों के लिये प्रमुख गंतव्य है।
  • UN DESA के जनसंख्या प्रभाग के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आप्रवासियों की कुल संख्या के एक-तिहाई आप्रवासियों का संबंध केवल 10 देशों से है।
  • भारत के बाद, मेक्सिको 12 मिलियन प्रवासियों के मूल देश के रूप में दूसरे स्थान पर है। इसके बाद क्रमशः चीन (11 मिलियन), रूस (10) मिलियन) और सीरिया (8 मिलियन) का स्थान आता है।

Indias on the move

  • वर्ष 2019 में यूरोपीय क्षेत्र ने 82 मिलियन से भी अधिक आप्रवासियों की मेज़बानी की , उसके बाद क्रमशः उत्तरी अमेरिका (59 मिलियन) और उत्तरी अफ्रीका तथा पश्चिमी एशिया (49 मिलियन) का स्थान है।
  • सभी देशों में अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों (51 मिलियन) की वैश्विक आबादी की सर्वाधिक संख्या (लगभग 19 प्रतिशत) की मेज़बानी करता है।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की कुल संख्या का लगभग 2/5 भाग एक विकासशील देश से दूसरे में चला जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विस्थापन लगातार बढ़ रहा है, वर्ष 2010 से 2017 तक शरणार्थियों (Refugees) और शरण चाहने वालों ( Asylum Seekers) की संख्या में लगभग 13 मिलियन की वृद्धि हुई है।

स्रोत: द हिंदू

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